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इजरायल और ईरान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा, ईरान के एक कदम से मुश्किल में आ जाएगा भारत

नई दिल्ली  
इजरायल और ईरान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। सिर्फ मध्य पूर्व ही नहीं पूरी दुनिया की नजरें इस वक्त इन दो ताकतवर मुल्कों पर है। दुनिया के सामने एक महायुद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। इसने भारत समेत कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। भारत की इसलिए क्योंकि ईरान अगर होर्मुज जलडमरूमध्य अवरुद्ध कर देता है तो भारत के लिए कच्चे तेल का आयात मुश्किल हो जाएगा। इससे तेल और एलएनजी की कीमतें बढ़ सकती हैं। ईरान-इजराइल संघर्ष पर विश्लेषकों का कहना है कि अगर ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध किया तो कच्चे तेल और एलएनजी की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस जलडमरूमध्य से भारत जैसे देश सऊदी अरब, इराक और यूएई से कच्चा तेल आयात करते हैं।

गौर हो कि ईरान और इजरायल के बीच हालिया तनाव का पहला चरण 1 अप्रैल को तब शुरू हुआ जब इजरायली सेना ने सीरिया में ईरानी दूतावास में धमाका किया। इस हमले में ईरान के टॉप कमांडर समेत 13 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायली धरती पर 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलें छोड़ दी। हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल के सुरक्षा कवच आयरन डोम की मदद से 99 फीसदी हमले नाकाम कर दिए गए। जवाब में इजरायल ने भी गुरुवार रात ईरान में धमाके किए। हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी न ही इजरायल ने ली है और न ही ईरान ने खुद पर हमला होने की बात कबूली है।

कच्चे तेल की कीमत आसमान तक पहुंची
इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष के बाद से कच्चे तेल की कीमतें 90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गईं। ममोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा कि हालांकि तनाव कम करने के प्रयासों से संकट पर नियंत्रण होने की संभावना है, लेकिन अगर ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध किया तो तेल और एलएनजी की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी।

होर्मुज जलडमरूमध्य क्या है
होर्मुज जलडमरूमध्य ओमान और ईरान के बीच लगभग 40 किलोमीटर चौड़ी एक समुद्री पट्टी है। इस मार्ग के जरिए सऊदी अरब (63 लाख बैरल प्रति दिन), यूएई, कुवैत, कतर, इराक (33 लाख बैरल प्रति दिन) और ईरान (13 लाख बैरल प्रति दिन) कच्चे तेल का निर्यात करते हैं। वैश्विक एलएनजी व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा इसके जरिए जाता है। इसमें कतर और यूएई से लगभग सभी एलएनजी निर्यात शामिल हैं। मोतीलाल ओसवाल ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के लिए कोई वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध नहीं है। भारत सऊदी अरब, इराक और यूएई से तेल के साथ ही एलएनजी का आयात इसी मार्ग से करता है।