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ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जारी समन का पालन न करने को लेकर केजरीवाल के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया

नई दिल्ली
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को 'दिल्ली शराब घोटाले' से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जारी समन का पालन न करने को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। ईडी अब तक केजरीवाल के खिलाफ 5 समन जारी कर चुकी है। लेकिन उन्होंने एक बार भी पूछताछ के लिए ईडी को समय नहीं दिया। शनिवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत ने ईडी की कुछ दलीलें सुनीं। बाकी दलीलों पर विचार करने के लिए मामले की सुनवाई 7 फरवरी को होगी।

शिकायत अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिव्या मल्होत्रा के समक्ष दायर की गई, जिन्होंने मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को तय की। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 50 के अनुपालन में उपस्थित नहीं होने के लिए नयी शिकायत प्राप्त हुई है।’’ न्यायाधीश ने आंशिक दलीलें सुनीं और मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह नयी शिकायत का मामला है। दलीलें सुनी गईं। शेष दलीलें सात फरवरी, 2024 को रखी जाएंगी।’’

यह अब केजरीवाल के लिए दोहरा झटका है। दिल्ली अपराध शाखा और ईडी दोनों ने दो अलग-अलग मामलों में मुख्यमंत्री पर शिकंजा कस दिया है। केजरीवाल के आवास पर यहां शनिवार को उस समय नाटकीय घटनाक्रम हुआ, जब अपराध शाखा की एक टीम भाजपा द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) के कुछ विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का प्रयास किए जाने के आरोपों की जांच के सिलसिले में नोटिस तामील करने वहां पहुंची।

ईडी की बात करें तो यह केंद्रीय एजेंसी पिछले साल से शराब मामले में केजरीवाल को समन भेज रही है। अब तक केजरीवाल ने एजेंसी के पांच समन को गैरकानूनी बताते हुए पेश होने से इनकार किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के कथित मामले में पूछताछ के लिए शुक्रवार को भी प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं हुए। इससे पहले ईडी केजरीवाल के खिलाफ 2 नवंबर, 21 दिसंबर, 3 जनवरी, 19 जनवरी और 2 फरवरी को समन जारी कर चुकी है। केंद्रीय एजेंसी द्वारा केजरीवाल को बुधवार को पांचवीं बार समन जारी किया गया था। पार्टी ने समन को ‘‘अवैध’’ करार देते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए बार-बार नोटिस भेज रहा है।

आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने संबंधी दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति में उन कुछ शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया गया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी। हालांकि, आम आदमी पार्टी आरोपों का बार-बार खंडन करती रही है। बाद में इस नीति को वापस ले लिया गया था और दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया था।