सुप्रीम कोर्ट को पोस्ट ऑफिस समझ रखा है क्या… CJI की बेंच ने वकील को फटकारा, समझें क्यों?…
इम्पैक्ट डेस्क.
सुप्रीम कोर्ट ने केरल के एक वकील को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि उसने देश के सर्वोच्च न्यायालय को पोस्ट ऑफिस समझ रखा है। दरअसल, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा केरल के 39 वर्षीय वकील की एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें वकील ने अपने गृह जिले मल्लपुरम के तिरूर में वंदे भारत ट्रेन के लिए स्टॉप आवंटित करने का आदेश देने का अनुरोध कोर्ट से किया था।
याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस नरसिम्हा ने याचिकाकर्ता पीटी शीजिश को फटकार लगाते हुए कहा, “क्या आपने सुप्रीम कोर्ट को पोस्ट ऑफिस बना रखा है। आप चाहते हैं कि हम तय करें कि वंदे भारत ट्रेन कहां -कहां रुकेगी? क्या हमें आगे दिल्ली-मुंबई राजधानी के ठहराव की भी सुनवाई करनी चाहिए? यह एक नीतिगत मामला है, आप अधिकारियों के पास जाइए।”
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट को कम से कम सरकार को इस प्रतिनिधित्व पर विचार करने के लिए कहना चाहिए, लेकिन सीजेआई ने कहा कि वह हस्तक्षेप नहीं करेंगे, क्योंकि ऐसा लगेगा कि अदालत ने इस मामले में संज्ञान लिया है। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी। केरल हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद वकील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
केरल हाई कोर्ट के जस्चिस बेचू कुरियन थॉमस और जस्टिस सी. जयचंद्रन की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि रिट याचिका में कोई सार्वजनिक हित नहीं है और यह कि ट्रेन के लिए स्टॉप प्रदान करना एक ऐसा मामला है जिसे रेलवे द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए, और किसी भी व्यक्ति को इसकी मांग करने का निहित अधिकार नहीं है।
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 28 अप्रैल, 2023 के अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि जनता की मांग पर स्टॉप प्रदान किया जाएगा, तो “एक्सप्रेस ट्रेन” खासकर वंदे भारत एक्सप्रेस का एक्सप्रेस शब्द अपने आप में एक मिथ्या नाम बन जाएगा। अधिवक्ता श्रीराम पी के माध्यम से दायर एसएलपी में कहा गया था कि मलप्पुरम जिला केरल राज्य के सबसे घनी आबादी वाले जिलों में से एक है, जहां बड़ी संख्या में लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवा पर निर्भर हैं।