Madhya Pradesh

MP में बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने सरकारी स्कूल और छात्रवासों में कराटे ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दी जा रही

भोपाल

 भोपाल से कुछ ही दूरी पर स्थित मुबारकपुर की रहने वालीं चांदनी कुशवाहा की उम्र 14 साल है. इस छोटी सी उम्र में वो बड़ी बात कहती हैं. वो कहती हैं- मेरी दो और छोटी बहनें हैं. मुझे और इन दोनों को पहले मेरे माता-पिता स्कूल भेजने से डरते थे. अब मैं रोज इन्हें लेकर अकेले स्कूल जाती हूं. क्योंकि हमें गुड टच और बैड टच बताया गया है. कोई हमें परेशान करेगा तो हम उनको पंच मारेंगे. हम जानते हैं बुरे लोगों को कैसे निबटाना है.

चांदनी में बुरे लोगों का मुकाबला करने का आत्मविश्वास यूं ही ही नहीं आया…दरअसल मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूल (Government Schools of Madhya Pradesh) और छात्रावासों में बच्चियों को कराटे ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दी जा रही है. इस योजना के तहत शासकीय विद्यालयों, 408 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (Kasturba Gandhi Girls School) और 324 नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालिका विद्यालयों में बालिकाएं सशक्त बन रहीं है.इस योजना में कन्या शालाओं के साथ उन सभी माध्यमिक स्कूलों का चयन किया गया है, जिनमें बालिकाओं की संख्या ज़्यादा है. यहां महिला प्रशिक्षक बेटियों को शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार कर रही है.

चांदनी जैसी लड़कियां सिर्फ भोपाल में ही नहीं है. रायसेन में रहने वाली आठवीं क्लास की महक मीना और साक्षी लोधी भी पिछले दो साल से हॉस्टल में रहकर कराटे की ट्रेनिंग ले रही हैं. वे आदिवासी इलाके से आती हैं. अब वे कराटे का हर दांवपेंच जानती है. महक कहती हैं उन्हें अब अकेले आने-जाने में डर नहीं लगता. दूसरी तरफ साक्षी का कहना है कि मैं अपने बहनों को भी आत्मरक्षा के गुण सीखा रही हूं. मैं अब बहुत सुरक्षित महसूस करती हूं.

बता दें कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश में संचालित 207 कस्तूरबा गाँधी विद्यालय और 324 नेताजी सुभाष चंद्र बोद बालिका छात्रावास में छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है,महिला प्रशिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए रखा गया है,जहाँ रोज़ बच्चियों को ट्रेनिंग के साथ मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है,गुड और बैड टच भी सिखाया जाता है.

कराटे ट्रेनर  अलीशा बतती हैं कि लड़कियों की सुरक्षा के लिए ये बेहद ज़रूरी है. हम उनको ब्लॉक और अन्य चीज़ों की ट्रेनिंग देते हैं. यदि कोई मनचला जबरन हाथ पकड़े तो कैसे बचना है ये बताया जाता है. एक सुभाष चंद्र बोस छात्रावास केन्द्र की प्रभारी अर्चना तिवारी बताती हैं कि  हम लम्बे समय से ये सब सिखाते आ रहे हैं. लड़कियों को इसके आलावा मानसिक तौर पर भी तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि एक बार एक लड़की को उसके पिता ही शोषित कर रहे थे,उसने हमें बताया , हमने उनके चंगुल से उसे छुड़ाया.

दरअसल इस ट्रेनिंग में लड़कियां हर तरह के दांवपेंच सीख रही है. चाहे किसी भी दांव की बात करें,ट्रिपल पंच, मिडिल पंच, सिंगल हैंड ग्रिप, चिन पंच, फेस पंच, चेस्ट अटैक, थाई डिफेंस, नेक अटैक, एल्बो अटैक, बैक साइड डिफेंस, रिब अटैक और फारवर्ड ब्लाक जैसे दांव हमारी बेटियां सीख रही हैं. बता दें कि प्रदेश के सरकारी छात्रवासों में कुल 61 ,450 बच्चियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है , साथ ही स्कूल की 74 ,466 छात्राएं ट्रेनिंग के ज़रिये आत्मनिर्भर बन रहीं हैं.

अहम ये है कि ट्रेनिंग के दौरान छात्राओं की इन विधाओं में परीक्षा भी ली जाती है. जिसके बाद उन्हें पुरुस्कृत कर सर्टिफिकेट दिए जाते हैं. इस ट्रेनिंग के माध्यम से लड़कियां टूर्नामेंट भी खेल रही हैं.