चुनाव लड़ने वाले तीसरे ठाकरे होंगे अमित ठाकरे, चाचा उद्धव ठाकरे और भाई आदित्य ठाकरे लड़ चुके हैं चुनाव
मुंबई
आदित्य ठाकरे के बाद ठाकरे फैमिली की तीसरी पीढ़ी का एक और सदस्य ने चुनावी राजनीति में डेब्यू किया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे को शिवसेना के गढ़ माने जाने वाले माहिम सीट से टिकट दिया है। एक्सपर्ट मानते हैं कि चुनावी इम्तिहान में अमित ठाकरे को उतारकर राज ठाकरे अपनी ताकत की आजमाइश करेंगे। शिवसेना के यूथ विंग के प्रमुख के तौर पर राज ठाकरे ने मुंबई को शिवसेना का किला बनाया था। उद्धव ठाकरे के सक्रिय होने से पहले राज ही मुंबई में पार्टी को डील करते थे। आज भी मनसे का जनाधार मुंबई में है। यह भी तय है कि अगर अमित जीत जाते हैं तो वह न सिर्फ मनसे पार्टी और राज के उत्तराधिकारी के तौर पर स्थापित हो जाएंगे।
आदित्य को मनसे ने दिया था वॉकओवर, मगर …
अमित ठाकरे के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा, क्योंकि इस सीट पर शिंदे सेना और उद्धव सेना के उम्मीदवारों से उनका मुकाबला होगा। बीजेपी के करीबी होने के बाद भी शिवसेना (शिंदे) ने मौजूदा विधायक सदा सरवणकर को टिकट दिया है। शिवसेना (यूबीटी) ने भी महेश सावंत को अमित ठाकरे के खिलाफ मैदान में उतार दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में आदित्य ठाकरे ने मुंबई की वर्ली सीट से चुनाव में पदार्पण किया था, तब राज ठाकरे ने उनके खिलाफ मनसे उम्मीदवार नहीं उतारे थे। यूबीटी नेता संजय राउत ने कहा कि दादर-माहिम सीट शिवसेना का गढ़ रही है। इस सीट पर यूबीटी के चुनाव नहीं लड़ने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है। हालांकि अमित ठाकरे इससे चिंतित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मुझे चुनाव लड़ने का मौका मेरे पिता ने दिया है और लोग मेरे भाग्य का फैसला करेंगे।
उम्मीदवारों का ऐलान भी होने लगा है. सत्ताधारी महायुति में शामिल भारतीय जनता पार्टी ने 99, शिवसेना (शिंदे) ने 45 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) ने 38 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है.
उम्मीदवारों की एक लिस्ट महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में शामिल उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) ने भी जारी कर दी है. उद्धव ठाकरे की पार्टी ने 65 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में उद्धव की पार्टी ने ठाकरे परिवार की एक रवायत तोड़ दी है. उद्धव ठाकरे ने अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे के खिलाफ भी उम्मीदवार उतार दिया है.
ऐसा तब है जब पिछले चुनाव में आदित्य ठाकरे की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद राज ठाकरे ने बड़ा दिल् दिखाते हुए वर्ली सीट से उम्मीदवार नहीं उतारा था. राज ठाकरे ने तमाम विरोधाभास के बावजूद आदित्य ठाकरे को बिना किसी शर्त के समर्थन दिया था. ठाकरे परिवार की एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने की जो रवायत पिछले चुनाव में राज ठाकरे ने शुरू की थी, उद्धव ने इस बार उसे तोड़ दिया है.
गौरतलब है कि अमित ठाकरे मध्य मुंबई की माहिम सीट से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से शिवसेना (शिंदे) ने मौजूदा विधायक सदा सरवणकर को उम्मीदवार बनाया है. ऐसे कयास थे कि उद्धव ठाकरे की पार्टी अमित के खिलाफ उम्मीदवार उतारने से परहेज कर सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उद्धव की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) ने महेश सावंत को टिकट दे दिया है.
गौरतलब है कि अमित ठाकरे के चचेरे भाई आदित्य ठाकरे साल 2019 के चुनाव में माहिम से सटी वर्ली सीट से चुनाव मैदान में उतरे और जीते थे. आदित्य ठाकरे, ठाकरे परिवार से चुनावी रणभूमि में उतरने वाले पहले सदस्य थे. आदित्य ठाकरे के बाद उद्धव ठाकरे भी बतौर विधान परिषद सदस्य एक्टिव पॉलिटिक्स में आए. हालांकि, उद्धव ठाकरे ने चुनाव मैदान से दूरी बनाए रखी है. राज ठाकरे ने भी कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा है.
राज ठाकरे कभी नहीं लड़े चुनाव, अब बेटे को उतारा
मुंबई में ठाकरे परिवार 58 साल से सक्रिय राजनीति एक्टिव है। 1966 में बाल ठाकरे ने अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के सुझाव पर शिवसेना बनाई। पांच दशक तक ठाकरे परिवार मातोश्री से मुंबई और महाराष्ट्र की राजनीति में हस्तक्षेप करता रहा, मगर चुनाव मैदान से दूर ही रहे। बाल ठाकरे कभी चुनाव नहीं लड़े। शिवसेना से निकलकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाने वाले राज ठाकरे भी चुनावी राजनीति करते रहे, मगर कभी खुद किस्मत नहीं आजमाया। वह चुनाव नहीं लड़ने की ठाकरे परंपरा पर कायम रहे। 2019 में आदित्य ठाकरे अपने परिवार के पहले शख्स थे, जो सीधे मैदान में उतरे और विधायक बन गए। उद्धव ठाकरे ने सीएम बनने के बाद विधान परिषद में एंट्री ली। वह लोकसभा या विधानसभा चुनाव नहीं लड़े। अब राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मध्य मुंबई की माहिम सीट से उतारा है।
जीत गए तो विधानसभा में दिखेगा ठाकरे वर्सेज ठाकरे
पिछले विधानसभा चुनाव में हाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। 2006 में गठन के बाद से मनसे को चुनावों में कोई खास सफलता नहीं मिली। राज ठाकरे शिवसेना से अलग हुए तो उद्धव ठाकरे का पार्टी पर वर्चस्व हो गया। 2019 में वह खुद मुख्यमंत्री बने और बेटे आदित्य को कैबिनेट मंत्री बनाकर महाराष्ट्र की राजनीति में स्थापित कर दिया। राज ठाकरे चुनाव न लड़कर राजनीति में पीछे खिसकते चले गए। अब बेटे अमित ठाकरे को मुंबई से चुनाव लड़ाकर अपना पुराना बकाया वसूलने की तैयारी कर रहे हैं। चुनाव में जीत के बाद अगर महायुति की सरकार बनती है तो अमित ठाकरे भी कैबिनेट मंत्री के दावेदार होंगे। विधानसभा के सदन में ठाकरे के मुकाबले में एक और ठाकरे होगा। मनसे खुले तौर पर नरेंद्र मोदी और बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा करती रही है।