जबलपुर में फेक रजिस्ट्री से बैंक से करोड़ों की ठगी करने वाली गैंग STF ने का पर्दाफाश
जबलपुर
जबलपुर में लगातार बैंकों से फर्जी रजिस्ट्री लगाकर लोन लेने की शिकायत आने पर एसटीएफ की टीम ने मामले की जांच कर आरोपियों के एक गिरोह को हिरासत में ले लिया है. सुमित काले नाम के एक शख्स ने एसटीएफ को शिकायत की थी कि उसकी जमीन की फर्जी रजिस्ट्री तैयार कर बैंक में मिलीभगत करके लाखों रुपये का लोन लिया गया है.
सुमित की शिकायत को आधार बनाते हुए एसटीएफ की टीम ने हिंदुजा हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में संपर्क कर रजिस्ट्री जब्त की और इसकी जांच कलेक्ट्रेट कार्यालय में कराई गई. रजिस्ट्री की पुष्टि में पता चला कि हिंदुजा हाउसिंग फाइनेंस कंपनी की तरफ से जिस रजिस्ट्री के आधार पर लोन दिया जा रहा है, वो असल में सुमित काले के नाम पर है, लेकिन बैंक में गिरवी रखने के लिए फर्जी रजिस्ट्री तैयार की गई है.
आरोपी ऐसे करते थे फर्जी रजिस्ट्री
इस मामले की जांच-पड़ताल में विकास तिवारी नाम का एक आरोपी पकड़ा गया. आरोपी के पकड़े जाने पर इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हुआ. आरोपी विकास तिवारी लोगों को होम लोन दिलाने का काम करता था. विकास के साथ मिलकर संदीप चौबे, अनीश और अनवर लोगों से ली गई असली रजिस्ट्री को फोटोशॉप के जरिए फर्जी रजिस्ट्री में बदलते थे. इसके बाद उप पंजीयन की फर्जी सील लगाई जाती थी, जिसके बाद सभी आरोपी मिलकर बैंकों में फर्जी रजिस्ट्री को गिरवी रख लोन लेते थे.
फर्जीवाड़े में एक्सिस बैंक का पूर्व मैनेजर भी शामिल
इस पूरे फर्जीवाड़े में एक्सिस बैंक का पूर्व मैनेजर अनुभव दुबे भी शामिल था. अनुभव आरोपियों से मिलीभगत कर अपने बैंक में लोगों के नाम के फर्जी अकाउंट खुलवाता और इसी अकाउंट में फर्जी रजिस्ट्री पर दिए गए लोन की रकम आती थी. इस पूरे गिरोह ने मिलकर एक ऐसा तंत्र बना लिया था, जिसमें असली रजिस्ट्री को फर्जी रजिस्ट्री में बदलकर फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड लगाकर बैंकों में होम लोन के लिए अप्लाई किया जाता और फिर लोन की रकम निकाल ली जाती थी.
9 आरोपियों को एसटीएफ ने किया गिरफ्तार
एसटीएफ की टीम ने 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास 10 फर्जी रजिस्ट्री, 4 पैन और कार्ड आधार कार्ड, एक्सिस बैंक की रकम की दस्तावेज, आरोपियों के मोबाइल और रजिस्ट्री बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक मशीन जब्त की है.
एसटीएफ का कहना है कि गिरोह में अन्य सदस्य भी शामिल हो सकते हैं. कुल 22 लोगों का गिरोह होने की संभावना है, जिन्होंने 40 से 50 लोगों के नाम पर फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर लोन लिया है. फिलहाल, बैंकों से ली गई रकम तकरीबन 4 से 5 करोड़ रुपये आंकी जा रही है जो आगे जाकर जांच में बढ़ भी सकती है.