आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक 31 अगस्त से केरल के पालक्कड़ में
नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक 31 अगस्त से दो सितंबर तक केरल के पालक्कड़ में संपन्न होगी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित संघ से जुड़े अन्य संगठनों के साथ परस्पर सहयोग तथा समन्वय को और अधिक मजबूत बनाने के उपायों तथा अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक बयान में यह जानकरी दी।
इस बैठक को अहम माना जा रहा है क्योंकि यह बैठक लोकसभा चुनावों के बाद हो रही है, जिसमें भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा था। लोकसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 303 से घटकर 240 आ गई थी।
यह इसलिए भी अहम है क्योंकि इस बैठक के बाद हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने हैं। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है।
इस बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले सहित संघ के सभी छह सह सरकार्यवाह और अन्य प्रमुख पदाधिकारी भाग लेंगे।
बयान के मुताबिक, इस बैठक में राष्ट्र सेविका समिति, वनवासी कल्याण आश्रम, विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय किसान संघ, विद्या भारती, भारतीय मजदूर संघ सहित 32 संघ प्रेरित विविध संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, संगठन मंत्री एवं प्रमुख पदाधिकारी शामिल होंगे।
आंबेकर ने कहा, ‘‘बैठक में विविध संगठन के कार्यकर्ता अपने कार्य की जानकारी तथा अनुभवों का आदान-प्रदान करेंगे। राष्ट्रीय हित के विभिन्न विषयों के संदर्भ में वर्तमान परिदृश्य, हाल में हुई महत्वपूर्ण घटनाओं तथा सामाजिक परिवर्तन के अन्य आयामों पर योजनाओं के संदर्भ में बैठक में चर्चा होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सभी संगठन विविध विषयों पर परस्पर सहयोग तथा समन्वय को और अधिक बढ़ाने के लिए आवश्यक उपायों पर भी चर्चा करेंगे।’’
बयान में कहा गया कि आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक इस वर्ष केरल के पालक्कड़ में 31 अगस्त एवं 1 तथा 2 सितंबर को आयोजित हो रही है।
तीन दिवसीय यह अखिल भारतीय बैठक सामान्यतः वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। पिछले वर्ष यह बैठक सितंबर 2023 में पुणे में संपन्न हुई थी।
आंबेकर ने कहा कि इस अखिल भारतीय समन्वय बैठक में संघ प्रेरित विविध संगठनों में कार्यरत संगठन के प्रमुख पदाधिकारी सहभागी होते हैं।
उन्होंने कहा कि यह सभी संगठन जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के सकारात्मक कार्यों में लोकतांत्रिक पद्धति से सामाजिक परिवर्तन के कार्य में सक्रिय रहते है।