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कोंटा पहुंचे दुसरे प्रदेशों के मजदूर, अब घर जाने का कर रहे इंतजार

इम्पेक्ट न्यूज. सुकमा
कल कोंटा की सीमा पर काफी संख्या में दुसरे प्रदेश व प्रदेश के मजदूर पहुंचे। जिसमें महिलाए बच्चे भी शामिल थे। लगातार आ रहे मजदूरों की संख्या काफी हो गई लिहाजा क्वारीटाईन सेंटर भी भर गया। ऐसे में इन मजदूरों ने सीमा पर पेड़ के नीचे रात बिताई। इधर कोंटा के समाजसेवियों ने उन्हे खाने की व्यवस्था की। मजदूरों का कहना है कि हमारे पास कोई साधन नहीं है और पैसे भी नहीं है इसलिए पैदल चलकर यहां पहुचे है। आगे क्या होगा पता नहीं। वहीं जिले के मजदूरों को क्वारीटाईन किया जा रहा है। और दुसरे प्रदेशों के मजदूरों का क्या करना है अभी तक शासन स्तर पर गाईडलाईन जारी नहीं हुआ है।

कोरोना काल में सबसे ज्यादा मजदूरों पर कहर बरपा रहा है। क्योंकि जहां मजदूरी करने गए मजदूरों के कामकाज ठप्प है और उनके पास ना ही खाने की व्यवस्था है। इसके अलावा यातायात के साधन नहीं है। ऐसे में यूपी, बिहार व झारखंड के मजदूर विजयवाड़ा से पैदल चलकर कोंटा सीमा पहुंचे है। उनके पास ना तो खाने के लिए पैसे है और ना ही कोई अन्य व्यवस्था। सीमा पर कोंटा के स्थानीय प्रशासन ने स्वास्थ्य की जांच तो कर ली लेकिन हर रोज सैकड़ों की संख्या में पहुंच रहे मजदूरों के रूकने की व्यवस्था कैसे करे यह चिंता का विषय है। इधर मजदूरों की भी ऐसी मजबूरी की वो पैदल चलकर भी पहुंच रहे है।

एक और जहां केन्द्र व राज्य सरकारे मजदूरों को लाने के लिए ट्रेन व बस चलाने की बात कह रही हो ठीक दूसरी और मजदूरों का सब्र टूट गया है। अब वो पैदल ही चलकर अपने मंजिल जाना चाहते है। लेकिन उसमें भी काफी परेशानी हो रही है। मजदूरों की मजबूरी का फायदा भी ट्रासपोर्ट वाले उठा रहे है। एक तो मजदूरों से पैसे लिए जा रहे है ठीक दूसरी और ट्रकों में लादकर उन्हे भेजा जा रहा है। तेलंगाना व आन्ध्र प्रदेश की सरकारें बिना सोचे-समझे और सोशल डिस्टेंस का पालन किए बगैर ही वाहनों में लादकर मजदूरों को भेजा जा रहा है।


इधर स्थानीय प्रशासन ने संभाली व्यवस्था

कोंटा जहां स्थानीय प्रशासन पिछले कई दिनों से लगातार वहां पर व्यवस्था को संभाले हुए है। लेकिन हर रोज इतनी ज्यादा संख्या में मजदूर पहुंच रहे है कि वहां स्थित क्वारीटाईन सेंटर भी भर चुके है। कोरोना संक्रमण बढ़ ना जाऐं इसको लेकर भी स्थानीय प्रशासन एतिहात बरत रहा है। ऐसे में इतनी संख्या में मजदूरों को संभालना मुश्किल हो गया हैं

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