जो कभी माओवादी दस्ते का हिस्सा थी अब वह हैं देश सेवा के लिए महिला कमांडो…
पी रंजन दास। बीजापुर। सियारी के पत्तों से पत्तल और दोना, चूल्हा-चौकी के साथ बस्तर की फिजा में मांदर की थाप और बांसूरी की सुरीली आवाज को लौटाने, यहां शांति बहाली के लिए महिलाएं भी पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर नक्सलियों को उनके ही गढ़ में मुंहतोड़ जबाव दे रही हैं। बस्तर में इस समय नक्सलियों के खिलाफ छिड़ी निर्याणक जंग में महिला कमांडोज को भी युद्धग्रस्त इलाकों में उतारा गया है। इनमें समर्पित महिला माओवादी भी शामिल है जो कल तक लोकतंत्र की मुखालफत में हथियार लेकर
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