AAJ-KALEditorial

दंतेवाड़ा में भाजपा जहां से चली थी… वहीं ना पहुंच जाए…

अजय सरस्वती श्रीवास्तव।

दन्तेवाड़ा जिले में बीजेपी जिन परिस्थितियों में स्थापित हो पाई थी वो बेहद ही कठिन थी, स्व.महेन्द्र कर्मा जैसा लोकप्रिय और दिग्गज नेता वे जब अपनी राजनीति के पूर्ण वेग में थे तब दन्तेवाड़ा में बीजेपी का झंडा उठाने वाले गिने चुने लोग ही थे।

बाद में दन्तेवाड़ा बीजेपी का जिला संगठन इतना मजबूत हो गया कि एक पंचायत सचिव को दिग्गज महेंद्र कर्मा के आगे खड़ा कर चुनाव जीतवा ले गया…

सत्ता के 15 सालों में सत्ता के दीमक ने छत्तीसगढ़ बीजेपी संगठन की बुरी तरह कुतर दिया है… दन्तेवाड़ा भी इससे अछूता नहीं रहा ….

स्व. शिवदयाल तोमर जिनकी नक्सलियों ने दन्तेवाड़ा के कांवड़गांव बर्बरतापूर्ण तरीके से हत्या कर दी थी। वे उस समय बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष थे।

दन्तेवाड़ा में बीजेपी को पहली बार विजयश्री दिलवाने में उनका अहम योगदान था। उनके भांजे सत्यभान सिंह जादौन, पार्षद संजय विश्वकर्मा सहित 7 भाजपाइयों ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली है।

ऐसा नहीं है कि इन्होंने कांग्रेस इसलिये ज्वाइन नहीं की, कि कांग्रेस सत्ता में है… दरअसल दन्तेवाड़ा भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है… अभी कुछ दिनों पूर्व ही और 4 भाजपाईयों ने कांग्रेस प्रवेश किया था….

दन्तेवाड़ा नगर पालिका में बीजेपी का बहुमत है। यदि यही स्थिति रही तो बीजेपी अल्पमत में भी आ सकती है…पार्टी छोड़कर जाने वाला मामला राजनीतिक लाभ का कतई नही है, बल्कि यह पार्टी नेताओं के आपसी टकराव के कारण हो रहा है। पार्टी के बड़े नेता इसकी वजह को अच्छी तरह जानते समझते हैं। परंतु वे इस मामले हस्तक्षेप नहीं कर रहे।

जिसकी वजह से एक-एक करके पार्टी के कार्यकर्ता, पार्टी छोड़कर जा रहे हैं… अपने प्रिय नेताओं को संरक्षण और कर्मठ कार्यकर्ताओं से पक्षपात की वजह से दन्तेवाड़ा भाजपा, अपनी प्रारंभिक स्थिति पर पहुंच गया है।

बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सहित बीजेपी के बड़े और जिम्मेदार नेताओं से मेरा आग्रह है कि जल्द से जल्द इस विवाद को समाप्त कर दन्तेवाड़ा बीजेपी को बचा लें। क्योंकि अब की स्थिति में बीजेपी को दन्तेवाड़ा में पुनः स्थापित करना असम्भव होगा।

लेखक भाजपा संगठन से जुड़े सदस्य हैं। फेसबुक से इस पोस्ट को लिया गया है

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