सर्जरी की जगह मिल रही मौत : नवजात बच्चे भी तोड़ रहे दम, गाजा में बंद हुए अस्पतालों का हाल…
इम्पैक्ट डेस्क.
हमास के हमले के बाद गाजा में इजरायल ने ऐसी तबाही मचाई है कि अस्पताल और स्कूल तक महफूज नहीं हैं। गाजा के सबसे बड़े अस्पताल अल-शिफा में आतंकी कमांड सेंटर होने का दावा करने के बाद इजरायल ने जमकर बमबारी की। इस बमबारी में 26 से ज्यादा ने दम तोड़ दिया। हालांकि चिकित्सा सुविधाओं की कमी और बिजली ठप होने की वजह से मरने वालों से यह आंकड़ा बहुत कम है। अस्पताल का हाल यह है कि हमलों में घायल हुए लोग फर्श पर पड़े तड़प रहे हैं। बिजली ना होने की वजह से ऑपरेशन थिएटर बंद हो गए हैं। अस्पताल में जन्म लेने वाले मासूम जिंदगी शुरू होते ही दम तोड़ रहे हैं। गंभीर रूप से बीमार मरीज बिना इलाज के ही मर रहे हैं।
सीएनएन की रीपोर्ट के मुताबिक अल शिफा अस्पताल के डायरेक्टर ने कहा, ऑपरेटिंग रूप पूरी तरह से बंद हो गए हैं। अब घायल लोगों को केवल प्राथमिक उपचार देना ही संभव है। अल शिफा के कर्मचारियों का कहना है कि अस्पताल में लोगों की हालत देखी नहीं जा रही है। वहीं इजरायली सेना रह-रहकर गोलाबारी करती है। बता दें कि 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद ही इजरायल ने युद्ध की घोषणा कर दी थी। हमास के हमले में 1200 से ज्यादा इजरायली मारे गए थे।
गाजा में जमीनी हमला करने के बाद इजरायल ने अल शिफा अस्पताल को घेर लिया। अस्पताल पर हमले का विरोध भी पूरी दुनिया में हो रहा है और कई देश इजरायल से युद्ध विराम की अपील कर चुके हैं। हालांकि इजरायल का कहना है कि युद्धविराम का मतलब सरेंडर होगा। ऐसे में जब तक हमास का पूरी तरह खात्मा नहीं हो जाता युद्धविराम नहीं होगा। वहीं रविवार को वाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि हमास ने जितने लोगों को बंधक बनाया है, सबको मुक्त करे। इसके बाद ही शांति का कोई रास्ता तलाशा जा सकता है।
खतरे में मासूमों की जिंदगी
इजरायल डिफेंस फोर्स ने अल शिफा अस्पताल को 300 लीटर ईंधन देने का वादा किया था। हालांकि आईडीएफ का ही दावा है कि हमास के दबाव में ईंधन लेने से इनकार कर दिया गया। आईडीएफ ने कहा कि, हमारे सैनिकों ने अपनी जान को खतरे में डालकर अल शिफा अस्पताल को आकस्मिक तौर पर 300 लीटर फ्यूल देने को कहा था। हालांकि हमास ने फ्यूल लेने से उन्हें रोक दिया। हमास ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि यह अस्पताल गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आता है। हमास का कहना है कि जो फ्यूल ऑफर किया गया था वह इतना कम है कि इससे आधा घंटा भी जनरेटर नहीं चल सकते।
रॉयटर्स के मुताबिक 45 मासूम अस्पताल में इनक्यूबेटर्स में रखे गए हैं. वहीं तीन बच्चों ने नियोनेटल वॉर्ड में दम तोड़ दिया। मशनें काम नहीं कर रही है। गंभीर हालत वाले बच्चों को भी सामान्य बेड पर ही शिफ्ट कर दिया गया है। उनको गर्म रखने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनें बिजली ठप होने की वजह से काम ही नहीं कर रही हैं। एक डॉक्टर ने कहा कि बच्चों को गर्म रखने के लिए उन्हें फॉइल में लपेटकर गर्म पानी के पास रखा जा रहा है। हालांकि रोज ही मासूम मर रहे हैं।