पॉलीथिन का विकल्प बनेगी धान की भूसी से बनी बायोडिग्रेडेबल शीट… शेल्फ लाइफ को बनाने सहित जानें इसकी खासियत…
इम्पैक्ट डेस्क.
पशुओं व मानव जीवन सहित पर्यावरण के लिए वैश्विक समस्या बन चुकी पॉलीथिन जल्द बाजार से विलुप्त हो सकती है। इसका विकल्प तलाश रहे विवि के वैज्ञानिकों ने पांच वर्ष की कड़ी मेहनत से राइस वेस्ट (धान की भूसी) से हूबहू पॉलीथिन जैसी दिखने वाली बायोडिग्रेडेबल शीट बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इसकी खासियत यह है कि यह मिट्टी के संपर्क में आते ही तीन से छह महीने में स्वत: नष्ट हो जाएगी और खेती को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा।
जीबी पंत कृषि विवि स्थित प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में प्रोसेस एंड फूड इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक प्रो. पीके ओमरे व उनकी शोध छात्रा शीबा मलिक ने धान की भूसी को रिफाइंड कर पॉली लेक्टिक ऐसिड बेस्ड शीट तैयार की है जिसका उपयोग विभिन्न उत्पाद रखने में किया जा सकता है। शोधार्थी शीबा ने बताया कि भारत एक प्रमुख चावल उत्पादक देश है।
धान की मिलिंग के दौरान करीब 24 मिलियन टन चावल की भूसी का उत्पादन होता है। इसका बॉयलर, बिजली उत्पादन आदि के लिए ईंधन के रूप में एक छोटी राशि का उपयोग किया जाता है। ज्यादातर भूसी या तो जला दी जाती है, या खुले मैदान में कचरे के रूप में फेंक दी जाती है।
सेल्यूलोज का सबसे उपलब्ध स्रोत
इसके कम वाणिज्यिक मूल्य और उच्च उपलब्धता के कारण, इसे फिलर के रूप में बायोकंपोजिट पैकेजिंग मैटीरियल में इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही इसे सेल्यूलोज का सबसे उपलब्ध स्रोत माना जाता है। उन्होंने चावल की भूसी से सेल्यूलोज निकाला और पॉलीलैक्टिक एसिड में चावल की भूसी निकाले गए सेल्यूलोज को शामिल करके बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग शीट बनाई है, जो आने वाले समय में पॉलीथिन पैकेजिंग की जगह ले सकती है। इस शीट में उन्होंने चाय के बीज का तेल भी डाला है जिसमें अच्छे एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। यह शेल्फ लाइफ को बनाए रखने के साथ खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता को भी बढ़ाते हैं। उनकी विकसित पैकेजिंग शीट में पॉलीथिन की तुलना में बेहतर यांत्रिक शक्ति है। उनके द्वारा विकसित पैकेजिंग शीट गैर बायोडिग्रेडेबल पॉलीथिन पैकेजिंग के बजाय एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
ऐसे बनाई बायोडिग्रेडेबल शीट
सबसे पहले सेल्यूलोज को केमिकल ट्रीटमेंट दिया ताकि वह पॉलीलैक्टिक एसिड में समान रूप से घुल जाए। पैकेजिंग शीट बनाने के लिए पॉलीलैक्टिक एसिड को क्लोरोफॉर्म में घोला जाता है, जब तक कि वह पूरी तरह से घुल नहीं जाता। इसके बाद चावल की भूसी से निकाला गया सेल्यूलोज और चाय के बीज के तेल को निश्चित अनुपात में मिलाकर 50 डिग्री तापमान पर मैग्नेटिक स्टिरर के साथ एक समान घोल बनाया जाता है। इस घोल को पेट्री डिश में डाला जाता है और रात भर कमरे के तापमान पर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। शीट को पेट्री डिश से निकालने से पहले उसको ओवन में 40 डिग्री तापमान पर सुखाया जाता है और उसके बाद शीट को निकाल लिया जाता है। संवाद
यह शीट पॉलीथिन का अच्छा सॉल्यूशन है और इसको तैयार करने में ज्यादा खर्च भी नहीं आएगा। हालांकि शीट में रखे जाने वाले फूड और वेजिटेबल की क्वालिटी कितने समय तक मेंटेन रखी जा सकती है, इस पर शोध किया जा रहा है। नई ईजाद की गई तकनीक का पेटेंट कराया जाएगा। यदि कोई तकनीक लेने का इच्छुक होगा, तो उसे दिया जा सकता है। – प्रो. पीके ओमरे, प्राध्यापक प्रोसेस एंड फूड इंजीनियरिंग विभाग