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आय से अधिक संपत्ति के मामले में FIR दर्ज करने के बाद #ACB #EOW ने की कार्रवाई… नगद व निवेश के दस्तावेज मिले

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इम्पेक्ट न्यूज़। रायपुर।

बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता जताते मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पहली बार भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष को घेरा था। तब अपने कार्यकाल में एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई का जिक्र करते साफ किया था कि सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति पर काम कर रही है। कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं बख़्शा जाएगा।

इसके बाद वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने भी अपने बजट भाषण में यही सब कुछ दोहराया। यह पहली बार हुआ जब छत्तीसगढ़ सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई को सदन में प्रमुखता से पेश किया। आदिवासियों के प्रति संकल्पित छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर में बने भ्रष्टाचार के चारागाह को लेकर अपना रूख सत्र के बीच ही स्पष्ट कर दिया है। यह पहली बार हुआ है जब बस्तर संभाग के बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों पर सीधी कार्रवाई भ्रष्टाचार के आरोप पर की गई है।

एक ही दिन में बस्तर के “वन, शिक्षा और आदिवासी विकास विभाग के तीन अफसरों के खिलाफ 3 मार्च को ईओडब्ल्यू-एसीबी ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया।

इसके 6 दिन बाद रविवार तड़के उनके घर, बंगले, ऑफिस और करीबियों सहित 16 ठिकानों पर छापेमारी की। छापे के दौरान डीएफओ अशोक पटेल के सरकारी बंगले में 5 लाख और पैतृक घर में 15 लाख कैश मिला है। इसके अलावा 90 जमीन और 12 से ज्यादा मकान के दस्तावेज मिले हैं। एक करोड़ से ज्यादा एलआईसी निवेश के दस्तावेज मिले हैं।”

“डिप्टी कमिश्नर और डीएमसी के घर पर 70 से ज्यादा जमीन व मकान के कागजातों के अलावा बीमा में लाखों रुपए निवेश किए जाने के दस्तावेज मिले हैं। रात 10 बजे तक एजेंसी की जांच चलती रही। ईओडब्ल्यू-एसीबी के अफसरों ने बताया कि सुकमा के तत्कालीन डीएफओ अशोक पटेल, समग्र शिक्षा के तत्कालीन डीएमसी श्याम सुंदर सिंह चौहान और बीजापुर के आदिवासी विकास विभाग के डिप्टी कमिश्नर आनंद जी सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें पहले से हैं।”

“तीनों पर आरोप है कि अशोक ने 3 करोड़ और श्याम सुंदर व आनंद ने दो-दो करोड़ संपत्ति आय से अधिक बनाई है। इसके अलावा लाखों रुपए प्रॉपर्टी पर निवेश किया है। शिकायतों की जांच के बाद ही शासन ने अशोक और श्याम सुंदर को पहले ही निलंबित कर दिया था। उनके खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है। 3 मार्च को ईओडब्ल्यू ने भी उनके खिलाफ केस दर्ज किया है। उसके बाद छापेमारी की है।”

“सुकमा के तत्कालीन डीएफओ अशोक पटेल: कृष्ण वाटिका रायगढ़ के रहने वाले हैं। लंबे समय से वे बस्तर संभाग में पदस्थ हैं। अशोक पर आरोप है कि 2021-2022 में सुकमा में तेंदूपत्ता बोनस वितरण में उन्होंने भारी भ्रष्टाचार किया है। सुकमा वनमंडल को बोनस के तौर पर सरकार से 6 करोड़ 54 लाख रुपए मिले थे। इसका 66 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान होना था, लेकिन 8 माह तक पैसा आने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया। कैश भुगतान में गड़बड़ी की गई। बाद में कुछ ऐसे लोगों को भुगतान करना बताया जिनकी मौत हो चुकी है। इसका खुलासा होने के बाद सरकार ने 3 मार्च को अशोक को निलंबित कर दिया।”

“प्रॉपर्टी के 150 से ज्यादा दस्तावेज मिले तीनों अधिकारियों पर आय से अधिक संपत्ति अर्जी करने का आरोप है। इसकी जांच के लिए छापेमारी की गई है। तीनों अधिकारियों के घर से 150 से ज्यादा प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले है। उन दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
– अमरेश मिश्रा, चीफ एसीबी-ईओडब्ल्यू”