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गांव में जब भी पटवारी आते थे तो मैं ही उनके लिए खाना बनाने और जमीन नापने का काम करता था… अब बहुत कुछ बदल गया है… : कवासी लखमा

सतीश चांडक. सुकमा।

राजनीति में इनका अपना अलग स्टाइल है… बात रखने की चतुरता उन्हें किसी का चापलूस बनने नहीं देती… बस्तर का इक वह चेहरा जिसने फर्श से अर्श का फासला तय किया है नाम तो सब जानते हैं कवासी लखमा…

इम्पेक्ट ने बस्तर के इस जननेता के अतीत से लेकर अब तक के अभिनव सफर पर बात की है… संभव हो बहुत सी बातें ऐसी कि जो पहली बार लोगों के सामने आएंगी…

मंगलवार को अपने गृहग्राम नागारास पहुंचे मंत्री कवासी लखमा ने सोनाकुकानार स्थित देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की… ग्राम माता से प्रार्थना की कि इस कोरोना संकट से क्षेत्र, प्रदेश व देश को बचाएं साथ ही यहां पर गांव के लोगों को कहा कि कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय है एक-दूसरे से फिजिकल दूरी बनाए रखें… साथ ही नसीहत दी आसपास साफ-सफाई करना और बिना काम के गांव से बाहर ना जाना… अपने ही घर पर रहकर खेती-किसानी का कार्य करें और स्वस्थ्य रहें…

मंगलवार का दिन कोंटा विधायक और प्रदेश के उद्योग व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के अपने क्षेत्र के इस प्रवास का आखिरी दिन… सुबह से ही मिलने वालों का तांता… आवेदन लेकर पहुंचे लोगों से मिलते हुए दादी से बातचीत भी जारी रही… वे हर पूछे सवाल पर जवाब देते और कभी-कभी गंभीर मुद्रा में अतीत के पन्नों को खंगालने की कोशिश करते… बात हुई तो होती रही…

अपने पहले चुनाव के सवाल पर

लखमा दादी ने कहा – विपक्षी नेता कहते थे कि ये अनपढ़ है जीतकर क्या करेगा… और यह सच भी था… मैं भी सोचता था जीतकर कैसे जनता की सेवा करूंगा?

लेकिन मैं जानता हूँ मैंने ईमानदारी से अपने लोगों के लिए मेहनत की है… जो हूं आज आपके सामने हूं… सफर चल रहा है।

जब मैं सरपंच रहने के बाद पहली बार विधायक के लिए चुनाव लड़ा। उस वक्त विपक्ष के नेता कहते थे कि ये अनपढ़ है जीतकर भी क्या करेगा? क्योंकि उस वक्त विधानसभा भोपाल में लगती थी। मैं भी यही बात सोचता रहता था कि जीतकर जनता की सेवा कैसे करूंगा? भोपाल-दिल्ली कैसे जाउंगा और जनता की आवाज को कैसे रखूंगा?

समय ने बहुत कुछ सिखाया है। इतना कह सकता हूँ मैंने सिर्फ इमानदारी से मेहनत की है और जनता के आर्शीवाद ने मुझे यहां तक पहुंचाया है। मैं जनता को भगवान मानता हूं।

दलगत राजनीति में शुरूआत कैसे हो सकी…?

गांव के बाजार में टिकिट काटता था लेकिन हर वक्त मैंने सिर्फ सीखने की कोशिश की। उस समय में नागारास गांव का एकलौता युवक था जो हाफ पेंट पहनता था। गांव में जब भी पटवारी आते थे तो मैं ही उनके लिए खाना बनाने और जमीन नापने का काम करता था।

आज भी मुझे याद है कि मैंने सोनाकुकानार बाजार में रसीद काटने का ठेका लिया था। मैं नागारास से साईकिल पर सोनाकुकानार आता था और बाजार में लग रही दुकानों के टिकिट काटता था।

उसके बाद मैंने आसपास के बाजार भी जाना शुरू कर दिया था। उसके बाद मैंने बकरी, बैला बाजार में परची काटने से लेकर और भी ना जाने क्या-क्या काम किए…

लेकिन हर काम मन लगाकर किया और हर समय मैंने सिर्फ सीखने की कोशिश की। सीखने में कई बार शिक्षा की कमी का आभास हुआ पर जब लगन मजबूत हो तो ऊपरवाला भी साथ देता है… इसीलिए चाहता हूँ हर किसी को पूरा पढ़ने का मौका मिले…

मैंने पहले वार्ड पंच जीता था। उसके बाद मैंने सरपंच बनने के लिए प्रयास किया… और चुनाव जीतकर नागारास का सरपंच भी बन गया।

इसके बाद विधायक बनने के लिए राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत हुई… टिकट मांगने के लिए पहुंचा तो कई लोग हंसे भी और बहुत से लोगों ने साथ दिया… यहां कोंटा क्षेत्र की जनता का जो आशीर्वाद मिला यह विश्वास का बंधन है… और आज अगर मंत्री पद में हूं तो इसमें भी यहां के लोगों के विश्वास का ही यह परिणाम है… मैं मतदान करके चुनने वाली जनता को भगवान मानता हूँ और उनके बीच हमेशा रहना चाहता हूं। आज में जो कुछ भी हूँ वह जनता की बदौलत ही हूँ…

मंत्री बनने के बाद क्षेत्र में आना और लोगों से मिलना कितना प्रभावित होता है…

मुझे सुकमा आए तीन माह हो गए थे। ऐसा लग रहा था कि तीन साल हो गए हैं। जब मैं यहां आ रहा था तो मुझे सीएम साहब और वरिष्ठ लोगों ने ना जाने की सलाह दी… लेकिन मेरा दिल नहीं मान रहा था… इसीलिए में यहां आया हूँ। दो दिन में जिन कुछ लोगों से मिल सका तो दिल में सूकून मिला… अब फिर से रायपुर लौटना है। पर यहां आने का क्रम कभी नहीं टूटने दूंगा… यहां अपने लोगों से मिलकर प्रसन्नता होती है…

लखमा दादी आप लंबे समय तक विपक्ष में रहे अब कैसा लगता है…?

विपक्ष में रहते हुए भी मेंने जनता का हर काम किया।
जब में विपक्ष में 15 साल रहा उस दौर में भी मेने हमेशा जनता का हित ऊपर रखा। जनता के हक की लड़ाई लड़ी। चाहे सल्वा जुडूम की लड़ाई हो या फिर कोंटा रोड की लड़ाई… मैंने हर लड़ाई लड़ी है और इसमें जनता ने मेरा भरपूर सहयोग किया है। इसका नतीजा यह रहा है कि हमें हर बार सफलता मिली है।

आज में भले ही मंत्री बन गया हूँ लेकिन जनता के लिए हमेशा उनका दादी ही रहूंगा। हररोज में विधानसभा के प्रमुख लोगों से फोन पर बात करता हूँ। कोई भी काम हो प्राथमिकता के साथ करता हूं। जो मेरा कर्तब्य है।

केंद्र में भाजपा की सरकार है और यहां कांग्रेस की… काम काज को लेकर क्या सोचते हैं?

प्रदेश में जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार है। भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार हमेशा जनता के हित को सर्वोपरि रखा है। कोरोना के इस संकट के दौर में भी हमारी सरकार ने कई ठोस कदम उठाए। इसी का नजीता है कि हमारे प्रदेश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या कम है। लगातार मरीज ठीक हो रहे हैं। केन्द्र सरकार को छत्तीसगढ़ से सीखना चाहिए। केन्द्र की सरकार भाषण देती है लेकिन काम कम करती है। इससे ठीक विपरित हमारी सरकार काम कर रही है। खाली भाषण से लोगों का भला नहीं हो सकता…

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