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छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तीन हाथ… संगठन का हाथ सबके साथ… TS बाबा ने शुक्रवार को दिल्ली से लौटने के बाद हाईकमान के लिए जिस ‘इच्छाशक्ति’ शब्द का प्रयोग किया है वह अब विचारणीय है…

  • सुरेश महापात्र।

अब छत्तीसगढ़ में सत्ता कांग्रेस की, संगठन कांग्रेस का और विपक्ष भी कांग्रेसी। ऐसी हालत होगी किसी ने शायद ही सोचा हो। ढाई साल का चैप्टर खत्म ही नहीं हो रहा बल्कि दिन प्रतिदिन नासूर बनता जा रहा है। बिलासपुर में जो कुछ हो रहा है और रायपुर में जो कुछ दिख रहा है वह बता रह है कि अब आर—पार जैसी ही स्थिति है।

इस घटनाक्रम के बीच अब तक पूरी तरह से मौन पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम का बयान सबसे रोचक है ‘मैं ना भूपेश के साथ, ना सिंहदेव के साथ… संगठन सबके साथ होता है।’ यानी अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के स्पष्ट तौर पर तीन हाथ हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम बेहद सधे हुए कांग्रेसी निकले। उन्होंने एक तो अब तक ढाई साल वाले किसी भी फार्मुले में पड़ने की जहमत नहीं उठाई है। ना ही किसी भी पक्ष से किसी प्रकार का बयान दिया है। बिलासपुर में विधायक शैलेश पांडे के निष्काष्न के शहर कांग्रेस के प्रस्ताव पर उन्हें बयान देना ही पड़ा।

भले ही कोई कितना भी दावा कर ले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार भारी बहुमत के बाद भी अप्रत्याशित को लेकर संशंकित है। यही अंदेशा कांग्रेस को भारी भी पड़ रहा है। जून 2021 तक केवल बड़े नेताओं तक जो बात थी अब जमीन तक पहुंच चुकी है।

इस बार मामला तूल पकड़ता दिख रहा है। कांग्रेस के विधायकों के दिल्ली परेड के बाद यह सबसे बड़ा मसला है जो मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है। वैसे मामला स्वास्थ्य विभाग से संबंधित है। जिसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की है। बिलासपुर में सिम्स प्रबंधन के साथ हुए विवाद के बाद कांग्रेस नेता पंकज सिंह के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद शहर कांग्रेस विधायक शैलेष पांडे अपने कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे और थाने की घेराबंदी कर दी। वहां नारेबाजी की गई। आरोप लगाया गया कि टीएस बाबा के समर्थकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।

इसके बाद दूसरा धड़ा शहर कांग्रेस विधायक शैलेष पांडे के खिलाफ अनुशासन हीनता मानते 6 साल के लिए पार्टी से निष्काषन का प्रस्ताव पारित कर संगठन को भेज देता है। इस घटनाक्रम के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का बयान सबसे रोचक है जिसमें उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान स्पष्ट कहा कि ‘मैं ना भूपेश के साथ, ना मैं टीएस के साथ, संगठन का हाथ सबके साथ…’ इसके मायने तलाशे जा रहे हैं।

बिलासपुर के घटनाक्रम को समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि वहां की जमीनी राजनीति क्या है। बिलासपुर में कांग्रेस के स्पष्ट तौर पर दो गुट है एक अटल श्रीवास्तव का जो सीएम भूपेश बघेल के बेहद करीबी हैं और दूसरा शैलेष पांडे का जिन्हें टीएस बाबा के कोटे से टिकट मिला। ताजा घटनाक्रम के प्रमुख चेहरे पंकज सिंह पहले पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी के बेहद करीबी रहे। लोग बताते हैं कि जोगी के पक्ष में उन्होंने आत्मदाह की कोशिश तक की थी। समय के साथ इनकी आस्था भी बदली। 2009 के बाद से बाबा के साथ हैं। यानी विपक्ष के नेता बनने के बाद वे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के करीबी हैं।

बिलासपुर शहर कांग्रेस कमेटी की बैठक में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद नायक, महापौर रामशरण यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण चौहान, कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय, राजेंद्र शुक्ला, नरेंद्र बोलर सहित कार्यकारिणी के सदस्य मौजूद थे। यानी शहर कांग्रेस की बैठक में जो कुछ हुआ उसमें सीधे तौर पर भूपेश बघेल के करीबी और पीसीसी उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव उपस्थित थे।

बावजूद इसके दिल्ली से लौटने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बेहद संयत और सम्मानजनक जवाब मीडिया के सवाल पर दिया है। उन्होंने माना कि सिम्स प्रबंधन की लापरवाही है।

उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा ‘एक घटना हुई थी जिसके बारे में मैंने जानकारी ली है। संयोग से कहें या दुर्भाग्य से कहें कि वो स्वास्थ्य विभाग की कमी को ही दूर करने गए थे। ये भी एक संयोग है कि यह किसी भी मरीज के साथ हो सकता है। जो कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ परिवार था जिनकी एमआरआई की व्यवस्था होनी थी और सात बजे से वो पहल कर रहे थे। पंकज रायपुर से गए तब से उन तक खबर आ रही थी वो पहल कर रहे थे कि हो जाए।

सबसे पहले तो यह सिम्स प्रबंधन की कमी है कि ऐसी स्थिति बनी ही क्यों। किसी मरीज को 12 बजे तक रुकना पड़ा, मशीन खराब है, ठंडी है, गरम है, फिल्म है कि नहीं। स्वास्थ्य विभाग को यह देखना चाहिए कि यह स्थिति क्यों है। बच्ची कह रही थी कि उससे दो हजार मांगा गया, तब ये होगा।

सबसे पहले तो स्वास्थ्य विभाग के प्रबंधन की कमी को दर्शाता है और लोग तकलीफ में रहते हैं तो आवेश में कभी कभी व्यवहार में ऐसी कहीं कोई बात हो गई हो तो सामने वाले ने एफआईआर कराया। पुलिस का काम है जांच करके घटनाक्रम के अनुसार कार्रवाई करें।’

जब मीडिया ने शैलेष पांडे के खिलाफ शहर कांग्रेस के निष्काषन प्रस्ताव पर बात की तो कहा ‘ये तो पार्टी को तय करना पड़ेगा, कि कब, कहां, कैसा, क्या कदम उठाना चाहेंगे। मैं अपने आप को मानता भी हूं और चाहता भी हूं कि अनुशासन में रहूं और अनुशासित सदस्य के रुप में रहूं।’

शैलेष पांडे के बारे में कहा ‘वो भावनात्मक व्यक्ति हैं। भावना में आते हैं और मन जो बातें रहती हैं कई बार सामने आ जाती हैं। वरना सार्वजनिक जीवन में जितना हम संयमित रहें, गुणदोष अपनी जगह रहता है लेकिन जितना बच के चलें, बच के बोलें उतना अच्छा रहता है।’

अपने पांच दिन के दौरे के बाद दिल्ली से लौटने पर मीडिया का यह सवाल तो जरूरी ही था कि अब आगे क्या? इस बार भी टीएस ने जिस तरह से जवाब दिया है उससे सवाल ही खड़े हो रहे हैं और इस बात को बल भी मिल रहा है कि छत्तीसगढ़ में जमीनी स्तर पर जो कुछ हो रहा है यह सब कुछ उसका ही परिणाम है।

मसलन इस बार उन्होंने साफ कहा कि परिवर्तन एक प्रक्रिया है यकायक नहीं होता है। इस बार उन्होंने हाईकमान के इच्छाशक्ति को भी शामिल किया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि ‘परिवर्तन अचानक से नहीं,ये प्रक्रिया है चल रही है। अब लोग तो ढाई-ढाई साल की बात कर रहे हैं। ढाई साल तो कब का बीत गया। नई बात नहीं है। ये बातें तो चर्चा में रहती हैं। उसी चर्चा को अंजाम तक ले जाने की जो बात है वो निर्णय के रूप में आ जाता है।’

इधर सीएम भूपेश बघेल अक्टूबर के पहले सप्ताह में दिल्ली जाएंगे। यह आधिकारिक जानकारी सरकार के प्रवक्ता रविंद्र चौबे ने दे दी है। ​दिल्ली से लौटने के बाद से राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ प्रवास को लेकर तैयारी चल रही है। अब तक डेट फाइनल नहीं हुआ है। सीएम का प्रस्तावित दिल्ली दौरा सिर्फ राहुल के प्रवास के डेट फाइनल करने के लिए यह मानना फिलहाल कठिन है।

ढाई—ढाई साल के फार्मुला पर प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री ने अपनी मुलाकात के बाद राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ आने और आमंत्रण का जिक्र सीधे तौर ​पर किया था। उस पर अब तक हाईकमान का मुहर नहीं लगना भी सवाल खड़ा कर रहा है। यानी संशय फिलहाल खत्म नहीं हुआ है।

पंजाब के बाद राजस्थान को लेकर दिल्ली में लगातार बैठकों की खबरें हैं। इसी कतार में छत्तीसगढ़ भी है। पर यदि बदलाव करने की बात है तो इस पर स्पष्ट निर्णय लेने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। टीएस बाबा ने शुक्रवार को दिल्ली से लौटने के बाद हाईकमान के लिए जिस ‘इच्छाशक्ति’ शब्द का प्रयोग किया है वह अब विचारणीय है। क्योंकि यह शब्द सीधे तौर पर हाईकमान के परिप्रेक्ष्य में हैं जिसमें ‘कमजोर और मजबूत’ दोनों समाहित हैं।

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