National News

30 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रहा, फिर एक कॉल ड्रॉप से यूं बचा इंजीनियर

हैदराबाद
 फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाने की धमकी देकर एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को 24 घंटे से ज्यादा डिजिटल अरेस्ट रखा गया। 44 साल के इंजीनियर से लाखों की ठगी हो जाती लेकिन उसकी सूझबूछ से वह बच गया। उसने पुलिस की मदद मांगी और रविवार की सुबह बिना कोई पैसा गंवाए साइबर अपराधियों के चंगुल से भागने में सफल रहा। इन 24 घंटे पर एक लॉज में कैद भी रहा।

जालसाजों ने उसे कहा था कि जब तक मामला सुलझ न जाए, तब तक वह घर से चला जाए, ताकि उसके परिवार को इसमें शामिल न किया जाए। पुलिस के अनुसार, पीड़ित ने मियापुर में अपने घर से 15 किलोमीटर की दूरी बाइक से तय की और अमीरपेट में एक लॉज में गया, जबकि धोखेबाजों के निर्देशानुसार वह लगातार व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर था।

शुक्रवार देर रात से यूं शुरू हुई परेशानी

शुक्रवार देर रात को तकनीकी विशेषज्ञ की परेशानी टेक्स्ट मैसेज से शुरू हुई, जिसे उसने पहले स्पैम समझकर अनदेखा कर दिया। लेकिन शनिवार को सुबह करीब 3 बजे उसे फेडएक्स कूरियर एजेंट और फिर मुंबई पुलिस के रूप में धोखेबाजों की ओर से पहला कॉल आया, जिन्होंने उसे बताया कि उसका आधार नंबर मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा हुआ है।

होटल में बॉस संग मीटिंग की बात कहकर निकला

जालसाज कॉलर्स ने इंजीनियर के खिलाफ केस और गिरफ्तारी की धमकी दी। उसे अपने खाते के सत्यापित होने तक वॉट्सऐप वीडियो कॉल पर बने रहने के लिए कहा। एक साइबर क्राइम अधिकारी के अनुसार, जालसाजों के निर्देशों का पालन करते हुए, वह सुबह 4 बजे के आसपास मियापुर में अपने घर से निकले और अपनी पत्नी और छोटे बेटे से कहा कि उन्हें एक होटल में अपने बॉस के साथ एक इमरजेंसी मीटिंग करनी है और अगले कुछ घंटों तक वह बिजी रहेगा।

परिवार को फंसाने की दी धमकी

पुलिस ने कहा कि जालसाजों ने उन्हें धमकी दी कि अगर उन्होंने उनकी बात नहीं मानी तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनके परिवार को कानूनी परेशानी में डाल दिया जाएगा। पुलिस ने कहा, 'उन्होंने उनसे कहा कि यह प्रक्रिया सोमवार तक जारी रहेगी जब बैंक परिचालन के लिए खुलेंगे। फिर वह सत्यापन के लिए अपने खाते से RTGS भुगतान कर सकते हैं और रिहा हो सकते हैं।'

30 घंटे तक लगातार न सोया ना कुछ खाया

यह रविवार सुबह करीब 4 बजे तक जारी रहा, जब अचानक कॉल ड्रॉप हो गई और वह हैदराबाद साइबर क्राइम हेल्पलाइन 8712665171 पर कॉल करने में कामयाब रहा। कॉन्स्टेबल मोकथला गणेश ने कॉल रिसीव की। उन्होंने उन्हें एक घंटे से ज़्यादा समय तक फ़ोन पर व्यस्त रखा, जब तक कि उनके परिवार के लोग लॉज नहीं पहुंच गए और उन्हें बचा नहीं लिया।

कॉन्स्टेबल ने इस तरह की मदद

कॉन्स्टेबल गणेश ने बताया, 'जब मैंने उनकी आवाज़ सुनी तो मुझे एहसास हुआ कि वह साइबर अपराधियों के जाल में फंस गए हैं। वह बहुत डरे हुए थे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह टूट न जाएं या कोई चरम कदम न उठा लें, मैं उनसे अपने निजी मोबाइल पर बात करता रहा। मैंने उनके पड़ोसी का नंबर भी लिया और सुनिश्चित किया कि कोई उनके परिवार से संपर्क करे। मैंने तभी कॉल काटा जब उनके परिवार के लोग लॉज पहुंच गए और उन्हें ले गए।'

लगातार फोन चार्जिंग पर भी लगा रहा

बाद में, कॉन्स्टेबल का शुक्रिया अदा करते हुए पीड़ित ने पुलिस को बताया कि यह सिर्फ़ उनकी (गणेश) मदद और मार्गदर्शन की वजह से ही संभव हुआ कि उन्हें पैसे नहीं गंवाने पड़े। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि उसका फोन लगातार चार्जर से लगा रहता था और उसे एक सेकंड के लिए भी वीडियो डिस्कनेक्ट करने की अनुमति नहीं थी, यहां तक कि जब वह टॉइलट गया, तब भी वह लगातार लाइन पर रहा।

'हालांकि कॉल दो बार डिस्कनेक्ट हो गई, लेकिन धोखेबाजों ने वापस कॉल किया। रविवार की सुबह ही मैं साइबर क्राइम पुलिस से संपर्क कर पाया,' उन्होंने कहा। साइबर क्राइम एसीपी आरजी सिवा मारुति और शहर के अन्य पुलिसकर्मियों ने समय पर हस्तक्षेप करने के लिए गणेश की सराहना की। सिवा मारुति ने कहा, 'हम ऐसी घटनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं और पीड़ितों की सहायता करते हैं। हम लोगों से भी आग्रह करते हैं कि वे ऐसे धोखेबाजों की मांगों के आगे न झुकें और सतर्क रहें।'

डिजिटल गिरफ्तारी के हालिया मामले

अक्टूबर 2024– बेगमपेट का एक पायलट, जो एक निजी एयरलाइन में कार्यरत था, डिजिटल गिरफ्तारी योजना का शिकार हो गया, जिससे उसे ₹7 लाख का नुकसान हुआ।
मई 2024– एक महिला आर्किटेक्ट को डिजिटल गिरफ्तारी के तहत रखा गया था, लेकिन घोटालेबाजों को ₹60 लाख का भुगतान करने के बाद उसे रिहा कर दिया गया।
मार्च 2024- आईआईटी हैदराबाद के एक पीएचडी स्कॉलर को डिजिटल गिरफ्तारी के बाद 30 लाख रुपये की धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा।