नीलम सरई के बाद बाहर आई बोडकम सरई वाटरफॉल की खूबसूरती… भोपालपट्नम ब्लाक के मेटलाचेरू गांव की पहाड़ियों पर कुदरत का एक और नगीना… पहाड़ी चढ़ाई से लेकर घास के मैदान से भरापूरा इलाका…
पी.रंजन दास. बीजापुर। उसूर की पहाड़ियों में नीलम सरई जलप्रपात की खूबसूरती से लोग वाकिफ हो चुके हैं, अब एक दफा फिर बीजापुर जिले में कुदरत का एक और खूबसूरत तौहफा देखने को मिला है, जो वोडकम सरई वाटरफ ॉल के नाम से चर्चित हो चला है। अब तक पहाड़-जंगल में छिपे इस जलप्रपात को खोज निकाला है क्षेत्र के ही कुछ युवाओं ने, जिसकी तस्वीरें सोषल मीडिया पर जबरदस्त टेंड कर रही हैं।
पहली बार इस वाटरफॉल तक पहुंचे युवाओं के समूह में शामिल चित्रकार लक्ष्मी नारायण तामड़ी ने इम्पेक्ट से जगह की नैसर्गिक सुंदरता का अनुभव बताते हुए कुछ तस्वीरें और वीडिया भी शेयर की है।
लक्ष्मी के अनुसार वोडकम जलप्रपात नीलम सरई जितना उंचा तो नहीं, लेकिन इसकी जलधाराओं की सुंदरता की झलक देखते ही बन पड़ती है। वनच्छादित इलाके में पहाड़ियों के बीच तीन जलधाराएं , हरीतमा से नजर आते जलकुंड मन आगंतुकों का मन मोह लेते हैं। जलप्रपात के नीले कुंड की संरचना ऐसी मानो प्राकृतिक तरणताल हो।
लक्ष्मी ने बताया कि वोड़कम जलप्रपात तक पहंुचने भोपालपट्नम से 17 किमी दूर मेटलाचेरू गांव पहुंचना पड़ता है, इसके आगे बाए तरफ से करीब डेढ़ किमी की खड़ी पहाड़ी चढ़ाई पूरी करनी होती, पहाड़ी पर चढ़ने के बाद उपर समतल घास के मैदान है। जिस पर 11 किमी पैदल चलने के बाद यह जलप्रपात नजर आने लगता है। जलप्रपात की संरचना अग्रेजी वर्णमाला के सी लेटर सी प्रतीत होती है।
लक्ष्मी के मुताबिक बारिष के दौरान यहां तीन जलधाराएं देखने को मिलती है, इस समय बारिष कम हो रही है, इसलिए उन्हें दो जलधाराएं दिखी, आमतौर पर यह इलाका काफी गर्म है, ऐसे में जाड़े के मौसम में जलधाराएं पतली धार में तबदील हो जाती है।
पेषे से चित्रकार लक्ष्मी अपने अनुभवों में आगे कहते हैं कि बोड़कम जलप्रपात को देख एक बारगी महसूस होता है मानो कुदरूत ने कैनवास पर कोई जीवंत चित्र उकेरा हो, जलप्रपात के चारों तरफ की हरियाल, कुंड की हरितमा और यहां की शांति एक अलग ही सुकून देती है।
लक्ष्मी बताते हैं कि टैकिंग और कैम्पिंग के शौकिनों के लिए यह स्थल आदर्श साबित होगा।