उन्मादित भीड़ या आल्हादित जनता? शपथ ग्रहण समारोह का हाल ए बयां…
सुरेश महापात्र। “उन्मादित भीड़ या आल्हादित जनता” यह तय कर पाना निहायत कठिन सा हो गया था आज! जब हम सभी शपथ ग्रहण कार्यक्रम का हिस्सा रहे। नेता या पार्टी की जीत से बड़ी विचारधारा की जीत या हार होती है। लोकतंत्र में विचारधारा ही मूल मंत्र है। हम यह मानते और जानते रहे हैं कि राजनीतिक दलों की अपनी एक विचारधारा होती है। मैंने बीते कुछ अरसे में यह जानने में सफलता पाई है कि “कांग्रेस” और “कांग्रेसी” सही मायने में विचारहीन राजनीतिक दल की श्रेणी में आती है।
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