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#शब्द कितने मारक होते हैं… यह विनोद दुआ के जाने के बाद पता चला…

सुरेश महापात्र। सन् 1954 में जन्मे और सन् 2021 में अपनी मौत से पहले विनोद दुआ ने पत्रकारिता को ना जाने कितने शब्दों से सजाया। टीवी पत्रकारिता में उनके शब्द और शैली ने कम से कम दो पीढ़ी के पत्रकार तैयार किए। उनकी मौत के बाद सोशल मीडिया में राइट विंग यानी भाजपा समर्थक उनके कहे एक शब्द का इस्तेमाल उनके ही खिलाफ कर रहे हैं। यह शब्द था ‘पाखंड’। वैसे यह शब्द अब पूरी तरह से राजनैतिक हो गया है। इस शब्द का इस्तेमाल पत्रकार विनोद दुआ ने द

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क्या सरकारों से भरोसा उठ रहा है? यदि ऐसा है तो अभी भी वक्त है सुप्रीम कोर्ट अपनी लक्ष्मण रेखा लांघ ले…

सुरेश महापात्र। 25 मार्च 2020 को भारत के प्रधानमंत्री के लॉक डाउन की घोषणा के बाद यकायक सब कुछ असमान्य नहीं हुआ। बल्कि यह क्रमश: होता रहा। जब दूसरे चरण के लॉक डाउन की बात उठी तो महानगरों में काम करने पहुंचे दिगर राज्यों के प्रवासी मजदूरों के लिए जीने की राह कठिन होने लगी। काम ठप होने से रोजगार बंद हो गया और जिन ठिकानों पर वे रहते थे वहां से खदेड़े जाने लगे। हालात बदतर होते चले गए और नई बीमारी के संक्रमण का जिस तरह से खतरा

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अजीत जोगी के बाद…?

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि उनके नेतृत्व में गठित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का भविष्य क्या होगा। कांग्रेस से अलग होने के बाद जोगी ने तीन वर्ष पूर्व नई प्रादेशिक पार्टी बनाई थी जिसकी पहिचान राज्य की तीसरी राजनीतिक शक्ति के रूप में हुई और इसने काफी हद तक इसे सिद्ध भी किया। वर्ष 2018 के अंत में हुआ विधान सभा चुनाव उसका पहिला चुनाव था जिसमें उसके पाँच उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। बसपा से उसका चुनावी

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