मुख्यमंत्री जी से फरियाद – गैर शैक्षणिक कार्य से शिक्षको को मुक्त रखा जावे… शिक्षा गुणवत्ता हेतु शिक्षक कटिबद्ध – शिक्षकों को स्वतंत्र किया जाए… शिक्षक निकम्मा नही – 2 लाख शिक्षक व परिवार का सम्मान रखा जाए…
इम्पैक्ट डेस्क.
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने माननीय मुख्यमंत्री व मुख्यसचिव छत्तीसगढ़ शासन को पत्र देकर प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षकों के लिए निकम्मा कहने पर आपत्ति दर्ज करते हुए शिक्षा गुणवत्ता हेतु शिक्षकों को स्वतंत्र करने तथा गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त रखने की मांग की है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रवीण श्रीवास्तव, प्रदेश संगठन सचिव शिव सिंह चंदेल, जिलाध्यक्ष राजेश गुप्ता, प्रांतीय महिला प्रतिनिधि कमला शर्मा ने कहा है कि प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षकों के लिए निकम्मा कहा गया, यह शिक्षकों का अपमान है।
जिला कोषाध्यक्ष ताहीर शेख, कोषाध्यक्ष अमित पाल ने शिक्षा गुणवत्ता हेतु शिक्षक निरन्तर प्रयासरत रहते है, उत्कृष्ट शिक्षा के लिए शिक्षक, बालक, पालक व विभागीय नीति की संयुक्त भूमिका होती है, उसके उपरांत भी शिक्षकों के सम्बंध में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिया गए बयान से शिक्षक हतोत्साहित है।
अतः गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त रखते हुए शिक्षा गुणवत्ता हेतु शिक्षकों को स्वतंत्र रखा जावे व शिक्षको के सम्मान की रक्षा किया जावे।
जिला मीडिया प्रभारी नीलमणी साहू ने कहा कि उत्कृष्ट शिक्षा पर शिक्षको को क्या वित्तीय लाभ मिला? फिर निम्न शिक्षा पर सजा कैसे? शिक्षको के लिए निकम्मा शब्द निंदनीय है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की शिक्षा को सराहने पर शिक्षको को कोई लाभ नही दिया गया, तब अधिकारियों ने वाहवाही लूटी, अब निम्न स्तरीय शिक्षा पर सजा की बात विभाग कैसे कर सकता है? उत्कृष्ट शिक्षा पर अन्य विभाग जैसे विशेष भत्ता, आउट ऑफ टर्न प्रमोशन व प्रोत्साहन राशि क्यो नही दिया गया? शिक्षको का प्रतिनिधित्व शिक्षक कर्मचारी संघ करते है, उनसे सुझाव लेकर शिक्षा का क्रियान्वयन क्यो नही किया जाता? विभाग को दिए गए सुझाव पर कभी अमल क्यो नही किया शिक्षा विभाग ने? अच्छे परीक्षाफल वाले शिक्षको को अतिरिक्त वेतनवृद्धि क्यो नही दिया गया?
ऐसे ही कई विषय है जिस पर शिक्षा विभाग को चर्चा करना चाहिए? विभाग हमेशा से एकतरफा निर्णय करते है और शिक्षको पर दोष मढ़ा जाता है, निम्मनतम शिक्षा स्तर के लिए पूरे विभाग की जिम्मेदारी है और खास कर अधिकारियों की है क्योंकि समय रहते गुणवत्ता की सही मॉनिटरिंग नही की गई और एनजीओ के सुझाव के अनुसार कई प्रयोग किये गए।
30 जून को आयोजित राज्य स्तरीय वेबिनार में शिक्षा सचिव महोदय के द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए पूरा दोषारोपण शिक्षको पर ही कर दिया गया, जो कि आपत्तिजनक है। बालक, पालक व शिक्षा विभाग की नीति व कार्य पर समीक्षा कर जिम्मेदारी तय नही किया गया।
शिक्षा को प्रभावित करने वाले बहुत से उत्तरदायी कारण है जिन पर गहन चिंतन होना चाहिए। केवल शिक्षक को दोषी ठहरा कर शिक्षा सचिव द्वारा ठीकरा फोड़ने का कार्य किया जा रहा है,,इससे गुणवत्ता सुधार कार्य में न तो समाधान मिले सकेगा और न ही ये उच्चाधिकारी अपने उत्तरदायित्वों से बच पाएंगे।
संघ के जिला महिला प्रमुख भूमिका निषाद, जिला संयोजक फुल दास नागेश, हरेंद्र राजपूत,मंगल मौर्य, जिला उपाध्यक्ष सुधीर दुबे, धनेश्वर बघेल, लुदरसन कश्यप, देवानंद नाग, रामदीन कुरूद, जिला महासचिव अफजल अली , आशीष दास, संतोष पाणिग्रही ,ब्लॉक अध्यक्ष गण मनीष ठाकुर ,भुनेश्वर नाग, अमित अवस्थी, हेमंत मंडावी, शत्रुघ्न कश्यप ,आरएन भारद्वाज, बुधराम कश्यप आदि ने कहा है कि शिक्षको को ग़ैरशिक्षकीय कार्य दिया जाता, कार्यालयीन दस्तावेजी कार्य की भरमार है, जिससे शिक्षको को अध्यापन का पूरा समय नही मिलता है, ऐसे सभी कार्य से शिक्षक को मुक्त कर शिक्षा में गुणवत्ता लाने पहल किया जावे, शिक्षक उत्कृष्ट शिक्षा के लिए कटिबद्ध है, पर विभाग शिक्षको के सुझाव को लागू तो करे।