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शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना कमलनाथ ने दिया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा… ‘मध्यप्रदेश में भाजपा को निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों का साथ’

  • न्यूज डेस्क. भोपाल।

मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को इस्तीफा सौंप दिया है। कमलनाथ ने शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।

शुक्रवार को संभावित फ्लोर टेस्ट से पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा कि वह आज राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। मध्य प्रदेश में जारी सियासी गतिरोध के बीच आज दोपहर 12 बजे शुरू हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कमलनाथ ने बीजेपी पर सरकार गिराने की साजिश करने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य की जनता धोखा देने वाले बागियों को माफ नहीं करेगी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कमलनाथ सरकार को आज शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। इसके बाद कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट कराना था। मगर फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है।

राज्यपाल को लिखे त्यागपत्र में कमलनाथ ने कहा ‘मैंने अपने 40 साल के सार्वजनिक जीवन में हमेशा से शुचिता की राजनीति की है और प्रजातांत्रिक मूल्यों को सदैव तरजीह दिया है। मध्य प्रदेश में पिछले दो हफ्ते में जो कुछ भी हुआ, वह प्रजातांत्रिक मूल्यों के अवमूल्यन का एक नया अध्याय है।’

उन्होंने आगे लिखा, ‘मैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से अपना त्यागपत्र दे रहा हूं। साथ ही नए बनने वाले मुख्यमंत्री को मेरी शुभकामनाएं। मध्य प्रदेश के विकास में उन्हें मेरा सहयोग सदैव रहेगा।’

कैसे संकट पैदा हुआ
मालूम हो कि ज्योतिरादित्या सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के 11 मार्च को विधायक के पद से अपना त्यागपत्र देने से सियासी संकट पैदा हुआ। इनमें से छह के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने तुरंत कर लिये थे, जबकि 16 बागी विधायकों के इस्तीफे कल देर रात को मंजूर हुए थे। इससे कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी। ये सभी विधायक वर्तमान में बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं।

क्या है नंबर गेम:
विधानसभा में 230 विधायक संख्या है, जिनमें से 24 स्थान रिक्त है। 206 विधायकों के सदन में बहुमत के लिए 104 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। भाजपा के पास 107 विधायक हैं। कांग्रेस के 92 और सपा, बसपा व निर्दलीय विधायकों के समर्थन से यह आंकड़ा 99 तक ही पहुंचता है।

मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ के इस्तीफे के बाद भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में निर्दलीय, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा किया है। विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया ने कहा कि प्रदेश में भाजपा को निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों का समर्थन हासिल है।

उन्होंने कहा, ”लगभग सभी निर्दलीय विधायक हमारे साथ हैं। सपा और बसपा के विधायक पहले से ही हमारे साथ थे, फिलहाल वे यहां नहीं हैं लेकिन हमारी उनसे बात हो गई है। ये सभी विधायक प्रदेश में सकारात्मक राजनीति चाहते हैं।” भदौरिया ने कहा कि बेंगलुरु में ठहरे कांग्रेस के विधायक बार-बार कह रहे थे कि वह कांग्रेस नेताओं से नहीं मिलता चाहते, लेकिन पार्टी के नेताओं ने जबदस्ती अंदर घुसने और विधायकों को ले जाने की कोशिश की।

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