नए शिक्षा सत्र से पहले एक्शन मोड में सरकार, बड़े बदलाव के संकेत, पी दयानंद और एस प्रकाश हटाए जा सकते हैं…
- इम्पेक्ट न्यूज. रायपुर.
छत्तीसगढ़ में अगला शिक्षा सत्र नई सरकार के हिसाब से संचालित करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। माना जा रहा है कि 15 जून से पहले सरकार शिक्षा विभाग में कई बड़े फेरबदल को अंजाम दे सकती है। इसमें समग्र शिक्षा अभियान और एससीईआरटी के संचालक पी दयानंद और लोक शिक्षण संचालक एस प्रकाश को हटाकर किसी अन्य को बिठाया जा सकता है।
भूपेश सरकार शिक्षा विभाग में अब तक का सबसे बड़ा आपरेशन करने की तैयारी में है। इसके लिए प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि नई सरकार के मुताबिक सचिव से लेकर संयुक्त संचालक तक की पूरी टीम बदल दी जाए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में कलेक्टर—एसपी कान्फरेंस के बाद भूपेश सरकार ने कई जिलों के कलेक्टर व एसपी बदल दिए। इसके बाद रायपुर में फिलहाल कलेक्टर के तौर पर किसी की पोस्टिंग नहीं की गई है। वहीं नवीन शिक्षा सत्र को लेकर सरकार की बड़ी प्लानिंग चल रही है।
ज्ञात हो कि भूपेश बघेल ने सीएम बनने के बाद अपनी पहली प्रशासनिक सर्जरी की थी उसमें बिलासपुर के कलेक्टर पी दयानंद को समग्र शिक्षा अभियान के संचालक के पद पर बिठा दिया था। माना जा रहा है कि बीते छह माह में दयानंद नई सरकार के साथ अपनी पटरी बिठा पाने में नाकाम रहे।
सूत्रों ने बताया कि कई मसलों पर दयानंद का रूख उपर के अधिकारियों से इतर रहा। जिसके कारण कई बार विवाद की स्थिति भी खड़ी हुई। समर कैंप के मसले पर शिक्षा विभाग के दो आला अफसरों के बीच रस्सा कसी चलती रही।
इधर शिक्षा विभाग में सचिव के तौर पर आने वाले समय में किसी ऐसे चेहरे को बिठाने की कवायद है जिसके माध्यम से पूरी व्यवस्था को टाप टू बाटम स्क्रीनिंग की जा सके। फिलहाल कई आईएएस अफसरों के कैडर में वापस लौटने का इंतजार है जिसमें सोनमणी बोरा और मनिंदर कौर द्विवेदी भी हैं। इनमें से किसी को शिक्षा विभाग के कमान सौंपी जा सकती है।
इधर संचालक लोक शिक्षण विभाग एस प्रकाश का करीब तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इन्हें भी हटाया जाना सुनिश्चित माना जा रहा है।
इसके अलावा राज्य शैक्षिक अनुसंधान में अतिरिक्त संचालक के तौर पर सुनिता जैन पदस्थ हैं। वे करीब 5 बरस से विभाग में टिकी हुई हैं। भाजपा के एक बड़े नेता के करीबी होने के कारण प्राध्यापक सुनिता जैन को मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग से यहां प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किया गया है। सूचना है कि इसके लिए भी विभागीय स्तर पर विभाग प्रमुख से अभिमत मांगा गया है।
वैसे ही समग्र शिक्षा अभियान में बीते एक दशक से पदस्थ संयुक्त संचालक के कुमार उप संचालक से पदोन्नत होकर टिके हैं। इन्हें भी पूर्व भाजपा सरकार का करीबी होने के चलते हटाए जाने की चर्चा है।
कुल मिलाकर इम्पेक्ट के पास जो सूचना है उसके मुताबिक शिक्षा विभाग में बड़े फेरबदल के पीछे केवल प्रशासनिक ढांचा को बदलने का मसला ना होकर कुछ दूसरे कारण भी हैं। ज्ञात हो कि राज्य में शिक्षा विभाग का बजट सबसे ज्यादा है। इस विभाग में हाल ही में सप्लायरों की भूमिका को लेकर मीडिया में बड़ा हल्ला भी मच चुका है। ऐसे में बदलाव के कारणों में इंटरनल पालिटिक्स की भूमिका ज्यादा बड़ी होने की प्रबल संभावना है।