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रायपुर दक्षिण उपचुनाव : रिकॉर्ड के लिए नहीं प्रतिष्ठा के लिए लड़ाई…

दिवाकर मुक्तिबोध। रायपुर लोकसभा की बहुचर्चित विधान सभा सीट रायपुर दक्षिण के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित हो जाएंगे. यह सीट दोनों पार्टियों, कांग्रेस व भाजपा के लिए करो या मरो की स्थिति में नहीं है अलबत्ता प्रतिष्ठा की लड़ाई जरूर है. छत्तीसगढ में भारतीय जनता पार्टी मजबूत बहुमत के साथ सरकार में है इसलिए इस सीट को जीतने से उसकी राजनीतिक स्थिति पर विशेष फर्क नहीं पड़ेगा. विधान सभा में उसके विधायकों की संख्या में एक का इज़ाफा होगा लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण घटना  सांसद

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नक्सलियों के सामने तन गए आदिवासी…

सुदीप ठाकुर। अबूझमाड़ के जंगलों में नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर चार अक्टूबर को हुई भीषण मुठभेड़ के बाद पुलिस ने 31 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया। इसके कुछ दिनों बाद माओवादियों के प्रवक्ता ने कहा कि मुठभेड़ में 35 माओवादी मारे गए। बीते चार दशक में बस्तर में यह माओवादियों के खिलाफ सबसे बड़ी मुठभेड़ है। करीब 14 साल पहले 6 अप्रैल, 2010 को नक्सलियों के अब तक के सबसे बड़े हमले में सुरक्षाबलों के 76 जवान मारे गए थे। ये दो घटनाएं एक दूसरे

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Articles By NameMuddaState News

बदल रही है छत्तीसगढ़ की राजनीति

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ की राजनीति में पिछले कुछ समय से जो घटनाक्रम चल रहा है, वह इस बात का संकेत है कि प्रदेश की दो बड़ी राजनीतिक ताकतें आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जोरदार युद्धाभ्यास कर रही हैं। उनकी तैयारियां बताती हैं कि तीन महीने बाद होने वाला पांचवां चुनाव यकीनन पिछले चार के मुकाबले अधिक संघर्षपूर्ण और दिलचस्प होगा।  2018 के चुनाव में कांग्रेस ने भारी भरकम विजय पायी थी। उसे अगले चुनाव में भी बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है जिसका दबाव उस पर है। 90 सीटों की

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पीएम मोदी से पहले गृहमंत्री अमित शाह का रायपुर दौरा क्यों?

डा. अवधेश मिश्रा। रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, गौरीशंकर अग्रवाल, प्रेम प्रकाश पाण्डेय, सरोज पाण्डेय, अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर, विजय बघेल, केदार कश्यप, विक्रम उसेंडी, नारायण चंदेल, विष्णुदेव साय, विजय शर्मा, संतोष पाण्डेय, भईयालाल राजवाड़े, रेणुका सिंह…इनके अलावा और भी कुछ नाम हैं जो संभवतः छूट रहे हैं, मसला यह हैं कि यहां मौजूद नाम सिर्फ नाम है हां इन नामों की संख्या भाजपा के मौजूदा विधायकों की संख्या से कहीं ज्यादा है… खैर हम बात कर रहे हैं #पीएममोदी के दौरे से ठीक पहले केंद्रीय गृहमंत्री

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केजरीवाल का “मिशन छत्तीसगढ़” दौरा और सूबे की सियासत में तीसरे दल की स्थिति…

डा. अवधेश मिश्रा। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से अलग होकर 26 नवंबर 2012 को देश की राजनीति में एक नई पार्टी का उदय हुआ जिसे आम आदमी पार्टी “आप” AamAadmiParty  नाम दिया गया। अरविंद केजरीवाल इसके सर्वेसर्वा बने। बाद में दिल्ली के सीएम, देश के 4036 विधानसभा सीटों में से 161 सीट जीतने वाली आप पार्टी को 10 अप्रैल 2023 को #ECI के द्वारा राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया गया, पहले #दिल्ली फिर #पंजाब में सरकार बनाने वाली आप पार्टी #गोवा और #गुजरात के बाद अब #छत्तीसगढ़ में स्थापित होने

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डिप्टी बनने क्यों राजी हुए सिंहदेव! …तब वे सत्ता संघर्ष में कमजोर पड़ गए थे…

राजनीतिक विश्लेषण। दिवाकर मुक्तिबोध। वायदे के अनुसार जिसे अब सिंहदेव मीडिया की हवा बताते हैं, उन्हें जून 2021 में मुख्यमंत्री बना दिया जाना था लेकिन उस दौर के सत्ता संघर्ष में सिंहदेव कमजोर पड़ गए… छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति में हाल ही में हुए बदलाव पर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने भले ही आलोचना की हो लेकिन मुद्दे की बात यह है कि वह पुनः हताशा की शिकार हो गई है। दरअसल कांग्रेस संगठन व सत्ता के बीच पिछले कुछ समय से जो अंदरूनी खींचतान चल रही थी, उसे देखते

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भाजपा की नयी कवायद पुराने हटेंगे नये आएंगे…

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ विधानसभा के इसी वर्ष नवंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के संदर्भ में काफी समय से यह चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी अधिकांश सीटों पर नये चेहरों को मौका देगी। विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 90 है और वर्तमान में भाजपा के केवल 14 विधायक हैं। इन 14 विधायकों में हर किसी को पुन: टिकिट मिल ही जाएगी ,कहना मुश्किल है। यानी इनमें से भी कुछ का पत्ता कटने की संभावना है। शेष 86 सीटों में अधिकांशतः नये चेहरे होंगे अलबत्ता उन प्रत्याशियों पर पुनः दांव

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श्रम दिवस पर विशेष : श्रमिकों और किसानों का बढ़ा मान, बोरे बासी को मिली वैश्विक पहचान…

डॉ. दानेश्वरी सम्भाकर, सहायक संचालक, रायपुर. खानपान और रहन सहन संस्कृति से जुड़ा मुद्दा है। छत्तीसगढ़ में कहावत है कि जैसे खाए अन्न वैसा होय मन। यह कहावत बिलकुल छत्तीसगढ़ में सही उतरती है। बोरे-बासी एक सरल और सहज भोजन है। वैसे ही छत्तीसगढ़ के लोग भी सीधे-साधे लोग हैं, इसलिए कहा जाता है कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के सीधे साधे श्रमिकों और किसानों का मान बढ़ाने के लिए मजदूर दिवस के दिन लोगों से बोरे-बासी खाने की अपील की है। यह अपील लोगों

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मिलना एक महान रचनाकार से…

एक मार्च को शैलेन्द्र नगर में विनोद जी के घर में उनसे मुलाकात हुई। उनका चेहरा देखा तो अनायास मुझे 60-62 वर्ष पूर्व के वे विनोद जी याद आ गए जिन्हें मैं राजनांदगांव के दिग्विजय कॉलेज परिसर के अपने मकान की विशाल खिड़की के पाटे पर बैठकर अपने घर की ओर पैदल आते देखा करता था। उन दिनों वे जबलपुर के कृषि महाविद्यालय के छात्र थे और जैसा कि उन्होंने अनेक बार अपने संस्मरणों में जिक्र किया है, वे नये-नये युवा कवि थे, कविताएं लिख रहे थे। छुट्टियों में जब

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छत्तीसगढ़ के लोक तिहार: दान की महान संस्कृति का परिचायक ‘छेरछेरा’ मां शाकंभरी जयंती…

छेरछेरा पर विशेष। छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम, हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे छेरछेरा पुन्नी या छेरछेरा तिहार भी कहते हैं। इसे दान लेने-देने पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से घरों में धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती। इस दिन छत्तीसगढ़ में बच्चे और बड़े, सभी घर-घर जाकर अन्न का दान ग्रहण करते हैं। युवा डंडा नृत्य करते हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन द्वारा बीते चार

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