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बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुले, भक्तों को दर्शन की अनुमति नहीं…

न्यूज डेस्क. उत्तराखंड।

विश्व प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ धाम के कपाट विधि विधान और पूजा अर्चना के बाद आज सुबह 6:10 खोल दिए गए। कपाट खुलने के मौके पर यहां तीर्थयात्री और स्थानीय लोगों की कमी साफ देखी गई। कोराना संकट के चलते यह पहला मौका होगा जब कपाट खुलने पर बाबा के दरबार में भक्तों का टोटा नहीं था।

केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कपाट खुलने की परम्परा का निर्वहन किया। जबकि उनके साथ देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि के तौर पर बीडी सिंह समेत पंचगाई से संबंधित 20 कर्मचारी कपाट खुलने पर यहां पहुंचे। इसके अलावा पुलिस और प्रशासन के करीब 15 लोग यहां मौजूद रहे। इस बार मंदिर को फूलों के बजाय बिजली की लड़ियों से सजाया गया है।

सोशल डिस्टेंसिंग रहे और भीड़ न हो इसके लिए प्रशासन ने किसी को भी केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दी है। इसलिए कपाट खुलने के मौके पर काफी कम संख्या में लोग मौजूद नहीं रहे। मंगलवार को जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया था कि कोरोना महामारी के चलते केदारनाथ के कपाट खुलने की परम्परा का सादगी से निर्वहन किया जाएगा, किसी भी दर्शनार्थी को केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दी गई है।

इतिहास में पहली बार मंदिर परिसर रहा खाली
केदारनाथ यात्रा के इतिहास में यह पहला मौका है जब मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर परिसर पूरी तरह खाली रहा। इस बार हजारों भक्तों की बम-बम भोले के जयघोषों की गूंजों की कमी खली। ऐसा पूर्व में कभी नहीं देखा गया कि जब बाबा केदार के कपाट खुल रहे हों और भक्तों की किसी तरह कमी देखी गई हो।

विश्व के साथ ही देश में कोरोना महामारी से माहौल भयभीत है। देश लॉकडाउन में है, ऐसे में सभी धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन काफी सहज तरीके से किया जा रहा है ताकि लॉकडाउन के पालन के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। भीड़ भाड़ न हो, इसको देखते हुए सरकार और प्रशासन ने केदारनाथ में सामान्य तीर्थयात्रियों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।

केदारनाथ धाम में चारों ओर बर्फ ही बर्फ
केदारनाथ धाम में इस साल अधिक बर्फ गिरने की वजह से मंदिर के चारों ओर बर्फ ही बर्फ दिखाई दी। यहां पहुंचे लोगों ने मंदिर के आसपास कुछ बर्फ साफ भी की, किंतु परिसर में करीब 4 फीट बर्फ के बीच आने जाने के लिए रास्ता बनाया गया है। बीते सालों की तुलना में इस बार केदारनाथ में काफी बर्फ दिखाई देगी। एक ओर यहां लगातार बर्फ गिरती रही, वहीं कोरोना संकट के चलते केदारनाथ यात्रा पर सरकार और प्रशासन द्वारा ज्यादा फोकस नहीं किया गया जिससे समय पर व्यवस्थाएं बहाल नहीं हुई।

26 को खुले थे गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट
विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट रविवार को अक्षय तृतिया के मौके पर वैदिक मंत्रोच्चारण व पूजा-अर्चना के साथ श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए। गंगोत्री धाम के कपाट 12:35 व यमुनोत्री के कपाट ठीक दोपहर 12:41 पर खोले गए। दोनो धामों के कपाट खुलने के बाद आगामी छह माह तक श्रद्धालु धामों में मां गंगा व यमुना के दर्शनों के भागी बन सकेंगे। हालांकि लॉकडाउन के कारण कपाट खोलते वक्त श्रद्धालु नहीं पहुंच सके।

15 मई को खुलेंगे बदरीनाथ के कपाट
बदरीनाथ धाम के कपाट इस साल 15 मई को खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री आवास पर सरकार और राजपरिवार के प्रतिनिधियों के बीच बैठक के बाद यह फैसला लिया गया था। बैठक में बदरीनाथ के रावल के केरल से आने के बाद 14 दिन तक क्वारंटाइन रहने की स्थिति को लेकर चर्चा हुई थी। इस पर तय किया गया कि कपाट खुलने की तिथि आगे बढ़ाई जाए। इसके बाद टिहरी राजपरिवार प्रमुख मनु जयेंद्र शाह ने फोन पर बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख 30 अप्रैल से आगे बढ़ा कर 15 मई करने की घोषणा की। पांच मई को नरेंद्रनगर राजमहल से तेल निकालने की गाडू घड़ा पंरपरा का निर्वहन किया जाएगा।

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