…और यूं कल—कल करती इंद्रावती बहने लगी बस्तर की राह… 15 गांवों के इंद्रावती बचाओ मंच के ग्रामीणों ने राह की बाधा रेत के टीले को हटाया…
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इम्पेक्ट न्यूज। जगदलपुर।
आज सुबह बस्तर और ओड़िसा की सीमा पर इंद्रावती नदी के उस मुहाने पर इंद्रावती माई की जय के जयकारे के साथ ग्रामीणों ने प्राणदायिनी नदी को बस्तर में नवजीवन प्रदान कर दिया।
दरअसल ओड़िसा के आते हुए इंद्रावती का बहाव जोरानाले से होकर सबरी की ओर मुड़ गया है। बारिश के बाद इंद्रावती नदी पर बहाव यकायक ठहर जाता है जिसका प्रभाव बस्तर में इंद्रावती की तटीय क्षेत्र में किसानी करने वालों पर पड़ता रहा है।
साथ ही नदी में पानी का बहाव बंद होने के साथ ही विश्वप्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात में भी बहते पानी की जगह पत्थर ले लेते हैं। जिसके चलते सैलानियों को एक सा दो ही धार दिखाई देती है।
तीन दशक से यह समस्या गर्मी के साथ ही बस्तर के लिए इंद्रावती के साथ बनी हुई है। इसके लिए जोरा नाला में एक स्ट्रक्चर का निर्माण भी किया गया है बावजूद इसके इंद्रावती नदी का बहाव रेत की वजह से हमेशा से प्रभावित होता रहा है।
इस बार भी यही हालत बहुत जल्द ही तैयार हो गया है। प्राकृतिक तौर पर जोरा नाला की ओर विमुख होने वाली इंद्रावती का हिस्सा ओड़िसा की ओर ही आता है। इसके चलते दो राज्यों के बीच राजनीति का मसला भी हो गया है।
आज सुबह इंद्रावती नदी के तटीय इलाकों के करीब 15 गांवों के ग्रामीणों का जत्था जोरानाला के करीब उस स्थान पर पहुंचा। यहां नाला में बने स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाए बगैर इंद्रावती नदी के बहाव में बाधा उत्पन्न कर रहे रेत के टीले को हटाने के लिए जुट गया। शाम होते तक बस्तर की ओर इंद्रावती नदी में पानी का बहाव होने लगा और लोगों ने इंद्रावती नदी के लिए जयकारा लगाते हुए नदी का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल से जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर से इंद्रावती नदी में जल प्रवाह सुनिश्चित
रायपुर 12 मार्च 2025 / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर में जल प्रवाह को नियंत्रित कर इंद्रावती नदी की मुख्य धारा में पानी छोड़ा गया है। ओडिशा सरकार की सहमति के बाद स्ट्रक्चर में रेत की बोरियां डालकर पानी का प्रवाह सुनिश्चित किया गया, जिससे इंद्रावती नदी में जल स्तर में वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री श्री साय के निर्देश पर जल संसाधन मंत्री श्री केदार कश्यप ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल से इंद्रावती नदी के जल संकट के समाधान हेतु चर्चा की। इस पर केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा के मुख्यमंत्रियों को समस्या के निराकरण हेतु आवश्यक निर्देश दिए। जिसके परिणामस्वरूप उड़ीसा राज्य की सहमति से जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर को अस्थायी रूप से एक फीट ऊंचा किया गया, जिससे इंद्रावती नदी के जल प्रवाह में सुधार हुआ।
इसके अतिरिक्त, इंद्रावती नदी के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में जमा रेत को हटाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, जिसे अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस संबंध में कलेक्टर श्री हरिस एस के मार्गदर्शन में अपर कलेक्टर श्री सी.पी. बघेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री महेश्वर नाग और जल संसाधन विभाग के ईई श्री वेद पांडेय ने स्थानीय किसानों को जिला कार्यालय के प्रेरणा सभा कक्ष में पूरी जानकारी दी।
इंद्रावती नदी और जोरा नाला की समस्या
इंद्रावती नदी का उद्गम ओडिशा राज्य के कालाहांडी जिले के रामपुर धुमाल गांव से हुआ है। यह नदी 534 किलोमीटर की यात्रा के बाद गोदावरी नदी में मिलती है। नदी का कैचमेंट एरिया 41,665 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें ओडिशा में 7,435 वर्ग किमी, छत्तीसगढ़ में 33,735 वर्ग किमी और महाराष्ट्र में 495 वर्ग किमी शामिल हैं।
ओडिशा राज्य की सीमा पर ग्राम सूतपदर में इंद्रावती नदी दो भागों में बंट जाती है। एक भाग इंद्रावती नदी के रूप में 5 किमी बहकर ग्राम भेजापदर के पास छत्तीसगढ़ में प्रवेश करता है, जबकि दूसरा भाग जोरा नाला के रूप में 12 किमी बहते हुए शबरी (कोलाब) नदी में मिल जाता है। पहले जोरा नाला का पानी इंद्रावती में आता था, लेकिन धीरे-धीरे इसका बहाव बढ़ने से इंद्रावती का जल प्रवाह कम हो गया।
समस्या गंभीर होने पर दिसंबर 2003 में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के प्रमुख अभियंताओं की बैठक में जोरा नाला के मुहाने पर जल विभाजन के लिए कंट्रोल स्ट्रक्चर बनाने का निर्णय लिया गया। यह स्ट्रक्चर ओडिशा सरकार द्वारा बनाया गया, जिसकी डिज़ाइन केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने तैयार की। निर्माण के बाद भी जोरा नाला में अधिक पानी जाने से छत्तीसगढ़ को ग्रीष्म ऋतु में औसतन 40.71% और ओडिशा को 59.29% जल प्रवाह मिला।
राज्य सरकार की पहल से समाधान की दिशा में प्रगति
इंद्रावती नदी में न्यूनतम जल प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कई प्रयास किए। 6 जनवरी 2021 को ओडिशा और छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में कंट्रोल स्ट्रक्चर के अपस्ट्रीम में जलभराव रोकने के लिए रेत और बोल्डर हटाने तथा जोरा नाला के घुमाव को सीधा करने का अनुरोध किया गया।
वर्ष 2018 के बाद इंद्रावती नदी में सतत जल प्रवाह कम होने की समस्या बनी हुई थी। अब राज्य सरकार के प्रयासों से ओडिशा सरकार का सहयोग प्राप्त हुआ है, जिससे नदी के जल प्रवाह को संतुलित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इससे इंद्रावती नदी में जल प्रवाह बढ़ेगा और किसानों को सिंचाई के लिए पानी की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित होगी।