90 के दशक से मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव में है बीजेपी का दबदबा
भोपाल
1990 में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक था, तब लोकसभा की 40 सीटें थीं। संयुक्त मध्य प्रदेश में 90 के दशक में कांग्रेस का दबदबा रहा था। इस दौर में ही बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में अपने चुनावी वर्चस्व को बढ़ाया है। 90 के दशक के बाद से एमपी और छत्तीसगढ़ में बीजेपी का ग्राफ बढ़ता गया है। कांग्रेस की सरकार रहने के दौरान भी लोकसभा चुनावों बीजेपी का दबदबा एमपी में रहा है। यह तब भी हुआ, जब 1993 से 2003 तक एमपी में दिग्विजय सिंह की सरकार थी। दिग्विजय सिंह के कार्यकाल के दौरान तीन लोकसभा चुनाव हुए। इन तीनों चुनाव में बीजेपी का ही दबदबा दिखा है। यह चुनाव 1996, 1998 और 1994 में हुए थे।
इसके साथ ही केंद्र में 2004 से 2014 तक यूपीए की सरकार रही है। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भी एमपी में बीजेपी को 29 में से 25 सीटें आईं। हालांकि 2009 में कांग्रेस की प्रदर्शन में सुधार हुआ था। कांग्रेस को 12 सीटें आई थी और बीजेपी के 16 सीटें मिली थी। इस दौरान अन्य को एक सीट पर जीत मिली थी। बीते तीन दशक में यह बीजेपी का सबसे कमजोर प्रदर्शन था।
2019 में सबसे दमदार प्रदर्शन
वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन सबसे दमदार रहा है। बीजेपी ने एमपी की 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 27 सीट पर जीता हासिल की थी। 2019 में कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा सीट पर चुनाव जीत पाई थी। यह कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ का गढ़ है।
बीजेपी का ही रहा है बोलबाला
दरअसल, 1991-2019 के बीच हुए लोकसभा चुनाव के रेकॉर्ड को देखें तो पता चलता है कि बीजेपी का ही बोलबाला है। साथ ही यह दिखता है कि कांग्रेस कैसे अपनी जमीन खो रही है। सिर्फ 2009 के प्रदर्शन को छोड़ दें कांग्रेस लगातार एमपी में नीचे गिरते रही है। इसी साल कांग्रेस सिर्फ 12, बीजेपी 16 और बीएसपी एक सीट जीत पाई थी।
साल | बीजेपी का प्रदर्शन (सीट) | कांग्रेस का प्रदर्शन (सीट) | अन्य |
1991 | 12 | 27 | 1 |
1996 | 27 | 8 | 5 |
1999 | 29 | 11 | 0 |
2004 | 25 | 4 | 0 |
2009 | 16 | 12 | 1 |
2014 | 27 | 2 | 0 |
2019 | 28 | 1 | 0 |
1992 में 27 सीट जीती थी कांग्रेस
वहीं, 1991 में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक था, तब कांग्रेस पार्टी 27, बीजेपी 12 और बीएसपी 1 सीट जीती थी। मध्य प्रदेश में यह कांग्रेस की बड़ी जीत थी। बीजेपी की तुलना में दोगुनी सीटें जीती थी। कांग्रेस को यह सफलता तब मिली थी, जब एमपी में सुंदरलाल पटवा की सरकार थी।
दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन
1993 में दिग्विजय सिंह की सरकार बनी, वह 10 सालों तक मुख्यमंत्री रहे। इसके बावजूद 1996 में बीजेपी लोकसभा चुनाव के दौरान एमपी में 27 सीटें जीत ली। कांग्रेस को सिर्फ आठ लोकसभा सीटों पर जीत मिली। इसी साल बीएसपी को भी दो सीटों पर जीत मिली थी।
मध्यावधि चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन
इसके बाद 1998 में मध्यावधि चुनाव हुए। इसमें भी बीजेपी का प्रदर्शन एमपी में शानदार रहा है। उस वक्त भी बीजेपी को 40 में से 30 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस को सिर्फ 10 सीटों पर जीत मिली थी। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को 29 सीटों पर और कांग्रेस को 11 सीटों पर जीत मिली थी।
एमपी की सत्ता पर बीजेपी की वापसी
2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी एमपी की सत्ता पर काबिज हो गई। उमा भारती के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बन गई। 2004 में लोकसभा के चुनाव में हुए। 29 में से 25 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली। वहीं, कांग्रेस चार सीटों पर सिमट गई। इस दौरान छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग हो गया था, इसके बाद एमपी में लोकसभा की 29 सीटें ही बची थी। इसके बाद से बीजेपी लगातर लोकसभा चुनाव में डोमिनेट कर रही है।
दो बार ही वापसी करती दिखी कांग्रेस
वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव और 2018 के विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस तीन दशक के दौरान वापसी करती दिखी है। 2009 के विधानसभा चुनाव में बस बीजेपी को 16 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस 12 सीट जीती थी। वहीं, 2014 में मोदी लहर के दौरान कांग्रेस को गुना-शिवपुरी और छिंदवाड़ा सीट पर सिर्फ जीत मिली थी। 2019 में गुना-शिवपुरी भी कांग्रेस के हाथ से निकल गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कोशिश है कि सभी 29 सीटों पर जीत मिले।