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प्रदेश के 18 प्रतिशत गांव चाहते हैं शराबबंदी हो : 1296 ग्राम पंचायतों ने आबकारी विभाग को दुकान नहीं खोलने का भेजा प्रस्ताव, विभाग ने सिर्फ 496 पंचायतों के प्रस्ताव मंजूर किए, बाकी…

इम्पैक्ट डेस्क.

हरियाणा सरकार ने साल 1996 में शराबबंदी कानून लाई थी, लेकिन 27 साल बाद ये प्रभावी ढ़ंग कामयाब नहीं हो पाई है। इसी बीच अब प्रदेश के 11 जून को नई आबकारी नीति लाएगी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश के 18 प्रतिशत गांव अब भी शराबबंदी चाहते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश के पिछले 4 साल के आंकड़ों की बात करें तो 6228 में से 1296 ग्राम पंचायतों ने आबकारी विभाग के पास शराब दुकान नहीं खोलने का प्रस्ताव भेजा है। इनमें से विभाग ने सिर्फ 496 पंचायतों के प्रस्ताव मंजूर किए। बाकी 800 गांवों के प्रस्ताव नामंजूर कर दिए गए। कहा गया है कि 800 गांवों के प्रस्ताव नियमों के पचेड़े में फंस गए। ग्रामीणों ने शराब ठेके बंद कराने के पीछे शरारती तत्वों द्वारा हुड़दंग और स्कूली बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ना बताया है।


शराब बंदी कराने की 2 बड़ी शर्तें
जो पंचायत अपने गांव में शराब ठेका नहीं खुलवाना चाहती, उसे गांव के 10% मतदाताओं की सहमति के साथ ग्राम सभा की बैठक में प्रस्ताव पारित करना होता है।
ठेका न खुलवाने की शर्त यह भी है कि गांव में पिछले 2 साल के दौरान अवैध शराब की बिक्री का कोई मामला सामने न आया हो। गांव में गुरुकुल हो तो भी ठेका नहीं खुलेगा।
जून में आएगी नई आबकारी नीति
प्रदेश की नई आबकारी नीति 11 जून को घोषित होगी। पिछले दिनों डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि पंजाब की आबकारी नीति के कारण हरियाणा को कुछ इलाकों में नुकसान हुआ है। वहीं, अधिकारियों ने नए शराब ठेके भी तलाशने शुरू कर दिए हैं।