कागज न दिखा पाने वाले हिंदुओं का क्या होगा, शाह ने बताया आगे का रास्ता
नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. इस कानून पर सवाल उठा रहा है. यहां तक कि तीन मुख्यमंत्रियों ने दावा किया है कि वो अपने राज्य में सीएए लागू नहीं होने देंगे. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में स्पष्ट किया है. शाह का कहना था कि चुनाव तक विरोध किया जा रहा है, उसके बाद सारे राज्य सीएए पर सहयोग करेंगे. शाह ने यह भी कहा कि राज्यों को सीएए लागू होने से रोकने का अधिकार भी नही है और इस प्रक्रिया से जुड़े कामकाज को सिर्फ भारत सरकार से जुड़े अधिकारी ही पूरा करेंगे.
सवाल: केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने कहा है कि हम अपने राज्यों में सीएए लागू नहीं होने देंगे. क्या उनके पास यह अधिकार है कि वो इसे लागू नहीं कर सकते हैं?
जवाब: वो भी समझ रहे हैं कि अधिकार नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 11 में नागरिकता के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल और केवल भारत की संसद को दिया गया है. ये केंद्र का विषय है. केंद्र और राज्यों का साझा विषय नहीं है. तो नागरिकता के बारे में कानून और कानून का इंप्लीमेंटेशन वो दोनों हमारे संविधान के अनुच्छेद 246/1 के माध्यम से इसे शेड्यूल 7 में डाला गया है. इसकी तमाम शक्तियां केंद्र सरकार को दी गई हैं.
सवाल: वैरिफिकेशन, चेकिंग वगैरह का काम ग्राउंड पर होगा और वो सब स्टेट गवर्नमेंट ही पूरा करेगी?
जवाब: क्या वैरिफाई करना है. वो सब तो खुद इंटरव्यू में बताएंगे कि हम बांग्लादेश से आए हैं. अपना पुराना डॉक्यूमेंट्स भी दिखाएंगे. वो इंटरव्यू राज्य में भी हो सकता है, लेकिन यह काम भारत सरकार करेगी.
सवाल: तो कोऑपरेशन की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह करना ही है?
जवाब: मैं मानता हूं कि चुनाव के बाद सब कोऑपरेट करेंगे. यह पॉलिटिक्स के लिए गलत प्रचार कर रहे हैं. ये अपीसमेंट की पॉलिटिक्स है.
सवाल: बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के जो शरणार्थी हैं, क्या वो तमिलनाडु में गए हैं? जो वहां के मुख्यमंत्री इतना बड़ा मुद्दा बना रहे हैं.
जवाब: मैं कोई पॉसिबिलिटी छोड़ना नहीं चाहता. अगर एक भी वहां है तो उसको नागरिकता देंगे.
सवाल: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश इसे असंवैधानिक बता रहे हैं. शशि थरूर कहते हैं कि अगर कांग्रेस सरकार आएगी तो सीएए को रिपील कर देंगे?
जवाब: देखिए, उनको भी यह पता है कि कांग्रेस या इंडिया ब्लॉक की सरकार नहीं बन रही है. मैं आज कहना चाहता हूं कि सीएए के कानून को भारतीय जनता पार्टी की सरकार लाई है. इसे रिपील करना असंभव काम है. हम पूरे देश को जागरूक करेंगे और रिपील करने वालों को कहीं पर स्थान ही ना मिलने की स्थिति होगी. जहां तक असंवैधानिक होने का सवाल है तो आर्टिकल 14 का हवाला देते हैं. वो भूल जाते हैं कि अनुच्छेद 14 में दो अपवाद रखे हुए हैं. एक रीजनेबल क्वालिसिफिकेशन का अपवाद है और दूसरा अपवाद कानून के उद्देश्यों के साथ लॉजिकल संबंध होना चाहिए. इसलिए वो आर्टिकल 14 का उल्लंघन नहीं करता है. इसमें रीजनेबल क्वालिसिफिकेशन बहुत स्पष्ट है कि जिन लोगों पर भारत के पुराने हिस्सों में आज वो विभाजन के कारण देश से कटे हैं. अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में जिन लोगों पर धार्मिक प्रताड़ना होने के कारण जो भारत की शरण में आए हैं, उसके लिए यह कानून बनाया गया है.
सीएए के जरिए नया वोट बैंक तैयार करने के विपक्ष के आरोपों पर अमित शाह ने कहा कि उनकी हिस्ट्री है, जो बोलते हैं वो करते नहीं है, मोदी जी की हिस्ट्री है जो बीजेपी या पीएम मोदी ने कहा वो पत्थर की लकीर है. मोदी की हर गारंटी पूरी होती है.
गृह मंत्री ने कहा, विपक्ष के पास कोई दूसरा काम नहीं है. उन्होंने तो ये भी कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक में भी राजनीतिक लाभ है तो क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ एक्शन नहीं लेना चाहिए था? विपक्ष ने तो आर्टिकल 370 हटाने को भी राजनीतिक लाभ से जोड़ा था. हम 1950 से कह रहे हैं कि हम आर्टिकल 370 हटाएंगे. उनकी हिस्ट्री है जो बोलते हैं करते नहीं है, मोदी जी की हिस्ट्री है जो बीजेपी या पीएम मोदी ने कहा वो पत्थर की लकीर है. मोदी की हर गारंटी पूरी होती है.
क्या होगी प्रक्रिया
समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान शाह ने पूरी प्रक्रिया को भी समझाया। उन्होंने कहा, 'समय निकालकर आवेदन करें। भारत सरकार आपको आपकी समय की सुविधा के हिसाब से इंटरव्यू के लिए बुलाएगी। सरकार आपको डॉक्युमेंट के ऑडिट के लिए बुलाएगी और फेस-टू-फेस इंटरव्यू होगा।'
मुस्लिम भी कर सकते हैं आवेदन
शाह ने कानून के जरिए किसी की नागरिकता छिनने की बात से भी इनकार किया है। उन्होंने कहा कि कानून का मकसद मुस्लिम बहुल देशों में सताए जा रहे अल्पसंख्यकों की मदद करना है। भाजपा नेता ने यह भी कहा कि संविधान सभी धर्मों और समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता लेने की अनुमति देता है।
उन्होंने कहा, 'मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार है। दरवाजे किसी के लिए भी बंद नहीं हैं।'