Beureucrate

छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग की तबादला सूची अधर में… पोस्टिंग, तबादला के लिए दिया गया एडवांस… अब फोन खड़खड़ा रहे हैं प्रभावित!

Getting your Trinity Audio player ready...

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

बनी हुई सड़क चोरी हो जाती है। कुआं गायब हो जाता है। यह तो सभी ने पढ़ा, सुना और जाना है पर छत्तीसगढ़ के सबसे कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के शिक्षा विभाग की जम्बो लिस्ट वाली फाइल समन्वय के बाद आगे बढ़ ही नहीं पाई। गुम हो गई है। अब आचार संहिता प्रभावशील होते ही फाइल का मिलना और संबंधितों को पालन करने के लिए बाध्य कर पाना असंभव भी हो गया है।

सीजीइम्पेक्ट ने सबसे पहले यह बताया था कि शिक्षा विभाग की सूची पर समन्वय का अड़ंगा लग गया है। पर सवाल यही है कि फाइल फिलहाल कहां है? शिक्षा विभाग के इस तबादला सूची को लेकर बहुत सारी बातें राजधानी में तैर रही हैं। कांग्रेस के दौर में तबादला उद्योग का आरोप लगाने वाली मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी इस छाप से भी बचना चाह रही थी। पर मनमाफिक पोस्टिंग के लिए भारी भरकम एडवांस प्रचलन में रहने की खबरें भी हैं।

सत्ता और संगठन से जुड़े कई कद्दावर चेहरे इस लिस्ट के पीछे छिपे थे। सो जिस—जिस ने जिस—जिस से लिया—दिया था अब वे उस—उस को फोन खड़खड़ा रहे हैं। दरअसल आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद प्रथम कार्यदिवस पर लिस्ट के जारी होने का अनुमान सभी लगाए बैठे थे। कोशिश चल रही थी कि बेक डेट से आदेश का पालन करवा दिया जाए।

डबल इंजन की सरकार में डबल पावर के मंत्री के विभाग की फाइल यदि दबाई भी गई होगी तो निश्चित तौर पर इसके पीछे रूतबेदारों का ही प्रभाव काम किया होगा। बताया जा रहा है कि पहले लिस्ट को बगैर समन्वय के ही आर्डर जारी करने के लिए सीधे सचिव को भेज दिया गया था। बताया जा रहा है इसके बाद सचिव ने फाइल समन्वय के लिए भेज दिया।

शिक्षा विभाग की लिस्ट में करीब साढ़े छह सौ नाम शामिल थे जिनका तबादला किया जाना था। इसके अलावा बीईओ समेत समग्र शिक्षा के लिए प्रतिनि​युक्ति की लिस्ट भी डन कर दी गई थी। बकायदा इसके लिए टोकन रिमांड सिस्टम के माध्यम से काम किया गया। संगठन के प्रभा​वकारी चेहरों के साथ—साथ नवनिर्वाचित कई विधायकों के हिसाब से यहां से वहां की जुगत लगाई गई थी।

जानकारी यह भी है कि प्रदेश में डीईओ की पदस्थापना सूची जारी होने के बाद प्रतिनियुक्ति के लिए 45, बीईओ के 167 और व्याख्याता के 270 नाम शामिल थे। इसमें सबसे बड़ा खेल प्रतिनियुक्ति के 45 में से 40 तो डीएमसी के लिए ही थे और बीईओ के 167 पदों में नवीन पदस्थापना को लेकर सोमवार तक जोरआजमाइश चलती रही।

अब इस मामले में शिक्षामंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आंखे टेढ़ी की है। मौजूदा प्रस्ताव पर आदेश जारी नहीं हो पाने के कारण उनकी फजीहत का हवाला भी दिया जा रहा है। बृजमोहन लोकसभा चुनाव के लिए मैदान पर हैं। उनकी जीत के बाद प्रदेश में शिक्षामंत्री का बदलना स्वाभाविक है। संभव है उस समय उनकी लिस्ट के मुताबिक ही आदेश जारी हो जाएं। इससे उनके मान की रक्षा भी हो सकेगी। साथ ही सबसे बड़ा लाभ उन लोगों को हासिल होगा जिन्हें ​अपने पद पर बने रहने के लिए रिनीवल भुगतान से मुक्ति मिलेगी।