नक्सल संगठन में खिंच गयी विश्वासघात की लकीर,निचले कैडर से उठा शीर्ष माओवादियों का भरोसा,जंगल मे खुद को महफूज रखने चल रहा खूनी खेल
By Ganesh Mishra
बीजापुर। जिले में माओवादियों द्वारा लगातार ग्रामीणों की मुखबिरी के नाम पर हत्याओं व बीते दस दिनों के अंदर पामेड़ क्षेत्र में 16 ग्रामीणों के हत्या की खबर प्रकाषन के बाद इस मामले में अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि इस समय बीजापुर जिले में आंध्र के कुछ टाॅप मोस्ट नक्सली नेताओं की मौजूदगी है और उन्हें अब बस्तर में संगठन के लिए काम करने वाले डीकेएमएस, जनताना सरकार,मिलिशिया,क्रांतिकारी महिला संगठन और माओवादियों के इंटिलिजेंस नेटवर्क के कार्य प्रणाली पर विष्वास अब पहले जैसा नहीं रहा है। माओवादियों के लिए इन संगठनों के मार्फत काम करने वाले निचले कैडर के नक्सलियों पर माओवादी अब पुलिस के लिए मुखबिरी करने का संदेह जताने लगे हैं और विष्वसनीय व गोपनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यही एक बड़ी वजह है कि माओवादियों द्वारा पिछले एक महीने में अपने ही साथियों को मुखबिरी का आरोप लगाकर मौत के घाट उतार दिया गया है। विदित हो कि गंगालूर से किरंदुल के मध्य और पामेड़ क्षेत्र में सुकमा, तेलंगाना और बीजापुर के बीच का इलाका माओवादियों का पनाहगाह माना जाता है। जहां पर हमेषा बड़े कैडर के माओवादियों की मौजूदगी की खबरें हमेषा आती रहती है और जब-जब इन इलाकों में पुलिस का आॅपरेषन तेज होता है तब तब माओवादी इन आॅपरेषन के पीछे मुखबिरी करने वालों की तलाष कर उनकी हत्या कर देते हैं। अब बताया जा रहा है कि माओवादी मुखबिरी के आरोप में अपने ही साथियों की हत्या कर रहे हैं। तेलंगाना के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पामेड़ इलाके में मारे गए 16 ग्रामीणों के पीछे हाल ही में तेलंगाना में हुए दो मुठभेड़ों में मारे गए पांच माओवादियों को वजह बताया जा रहा है। यह जानकारी भी प्राप्त हो रही है कि पामेड़ इलाके में माओवादियों द्वारा मारे गए 16 ग्रामीणों में माओवादियों का पामेड़ एरिया कमेटी का एरिया कमांडर भी शामिल है, जो करीब डेढ़ साल पहले संगठन छोड़कर फरार हो गया था। जिसे अब माओवादियों ने पुलिस का मुखबिर करार देकर उसकी हत्या कर दी है। नक्सलियों की तरफ से बढ़ती हत्याओं के पीछे खुफिया सूत्रों के हवाले से बड़ी वजह निकलकर सामने आ रही है। दरअसल अंदरूनी गांवों में नक्सली जिन ग्रामीणों की हत्याएं कर रहे हैं और जिनके बारे में कोई ठोस सुराग पुलिस के हाथ नहीं लग रहे हैं, इनमें कुछ संगठन के सदस्य बताए जा रहे हैं। नक्सलियों द्वारा की जा रही कु्ररता में नक्सल संगठन के सदस्य भी बख्शे नहीं जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इसके पीछे नक्सली संगठन में आपसी दरार बड़ी वजह हैं। माओवादी संगठन में वर्चस्व के मुकाबले अब विष्वासघात ने लाल लड़ाकों के बीच खाई पैदा कर दी है। पामेड़, गंगालूर इलाके में पिछले दिनों हुई हत्याओं के मामले में कुछ नक्सली भी शामिल बताए गए हैं, जो संगठन छोड़ चुके थे या संगठन छोड़ने के इरादे से बगावत पर उतारू थे और यही वजह है कि टाॅप कैडर के नक्सली मिलिषिया, संघम स्तर के अपने साथियों पर ही विष्वास खोते जा रहे हैं , जिसकी परिणति हत्या की वारदात के रूप में सामने आ रही हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि गंगालूर और पामेड़ इलाके में नक्सलियों के हाथों मारे गए कुछ का नाता नक्सलियों से रहा। वे संगठन के लिए काम करते थे, लेकिन पुलिस मुखबिर होने के संदेह में टाॅप कैडर के नक्सलियों के ईषारे पर एरिया कमेटी के कमांडरों के निर्देष पर इन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। गौरतलब है कि इससे पहले झारखंड में आपसी वर्चस्व की लड़ाई में नक्सली खूनी खेल खेल चुके हैं। अपने ही साथियों के हाथों नक्सलियों के मारे जाने की खबरें भी आई थी। इस समय बस्तर में नक्सलियों के टाॅप लीडर रमन्ना की मौत के बाद संगठन की कमान शीर्ष नेतृत्व के हाथों में नहीं आ पाई हैं। नक्सलियों की पोलित ब्यूरो अब तक यह तय नहीं कर पाई कि आखिर दण्डकारण्य की कमान किसे सौंपी जाए। इस पर पोलित स्तर पर मंथन जारी है। इधर माओवादियों के थिंक टैंक के रूप में चर्चित गणपति के सरेंडर की खबर का खंडन कर चुके नक्सली दण्डकारण्य में नेतृत्वहीन होने से संगठन में सक्रिय टाॅप नक्सलियों को अब निचले स्तर के अपने ही साथियों पर भरोसा उठ रहा है। उनमें असुरक्षा की भावना इस कदर हावी होने की बात सामने आ रही है कि जिससे वे अपने ही साथियों को मौत की नींद सुलाने की योजना बना वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
पुलिस के आक्रमक शैली और रणनीति से बौखला गए है नक्सली–एसपी
इस मामले में बीजापुर एसपी कमलोचन कश्यप का कहना है कि पुलिस की आक्रमक शैली और रणनीति से नक्सली बौखला गए हैं और अब माओवादियों का अपने ही संगठन डीकेएएमएस, जनताना सरकार,क्रांतिकारी महिला संगठन, मिलिशिया और इंटिलिजेंस नेटवर्क के कार्य प्रणाली से नेटवर्क उठता जा रहा हैं। उनका यह भी कहना है कि माओवादी संगठन से जुड़े इंटिलिजेंस नेटवर्क से जुड़े लोगों को माओवादियों द्वारा ही पुलिस के आक्रमक रणनीति से परेशान होकर उनकी हत्या करने की खबरें आ रही हैं,जिसकी तस्दीक पुलिस द्वारा की जा रही है। चूंकि माओवादियों के निचले कैडरों में ये चारों कैडर माओवादियों के लिए आंख, कान और नाक का काम करते हैं, परंतु अब इनके कार्यप्रणाली से माओवादियों का विश्वास उठने लगा है और इसी बौखलाहट में अपना वर्चस्व कायम करने व पैठ को बनाए रखने के लिए निर्दोष ग्रामीणों की हत्याएं कर रहे हैं, परंतु बहुत जल्द ही बीजापुर जिले में माओवादियों को आक्रमक और करारा जबाव दिया जाएगा।