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बच्चे की इस हरकत पर दोबारा बैठी हाईकोर्ट की बेंच… आदेश के बाद भी पिता से हाथ छुड़ाकर भागा…

इम्पैक्ट डेस्क.

बॉम्बे हाई कोर्ट में उस वक्त नाटकीय माहौल बन गया, जब अदालत ने 11 साल के एक बच्चे की कस्टडी पिता को दे दी, लेकिन वह जाने को राजी ही नहीं हुआ। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बच्चे को उसके मां के परिजनों की बजाय पिता को सौंप दिया जाए। इसके बाद जब बच्चा पिता को दिया गया तो वह हाथ छुड़ाकर हाई कोर्ट की बिल्डिंग में ही भाग गया। इस दौरान बच्चे के पिता और उसके मामा आदि के बीच में विवाद भी होने लगा। ऐसा होने पर कोर्ट एक बार फिर से बैठी और बच्चे के मामा पक्ष की ओर से पेश वकील को फटकार लगाई।

अदालत ने कहा कि बच्चे की कस्टडी उसके पिता को कस्तूरबा मार्ग पुलिस थाने में दी जाए। दरअसल बच्चे की मां की मौत हो चुकी है और वह अपने मामा के घर में था। उसकी कस्टडी पिता को नहीं मिल पा रही थी और इसके चलते उसने अदालत में केस किया था। बीते साल फरवरी में हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि बच्चा पिता को सौंप दिया जाए। इसके बात सुप्रीम कोर्ट ने भी सितंबर 2022 में इस फैसले को बरकरार रखा था। हालांकि इस फैसले पर जब अमल नहीं हो सका तो बच्चे के पिता ने हाई कोर्ट में अवमानना का केस दाखिल कर दिया। 

लीगल मामलों की रिपोर्टिंग करने वाली वेबसाइट ‘बार ऐंड बेंच’ के मुताबिक अपनी अर्जी में पिता ने दावा किया कि बच्चे के मामा और नाना उसकी कस्टडी देने से इनकार कर रहे हैं। उसने आरोप लगाया कि बच्चे के नाना और मामा उसे सिखा रहे हैं कि वह मेरे साथ ना आए। बच्चे की मां को कैंसर था और उसकी तीन साल पहले मौत हो गई थी। तब से ही वह पिता की बजाय मामा और नाना के परिवार के साथ रह रहा है। दरअसल मंगलवार को दोपहर 2:30 बजे हाई कोर्ट की डिविजनल बेंच ने आदेश दिया कि बच्चा पिता को सौंप दिया जाए। इसके बाद बच्चे को पिता को दे दिया गया, लेकिन वह वहीं पर रोने लगा और पिता का हाथ छुड़ाकर ही भाग गया। 

इस दौरान अदालत के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई। पिता ने कई बार कोशिश की, लेकिन वह बच्चे को कार में नहीं बिठा सका। इस दौरान बच्चे के पिता और नाना के बीच टकराव होने लगा। इसी बीच मौका देखकर बच्चा पिता से हाथ छुड़ाकर वापस हाई कोर्ट परिसर में चला गया। इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से फिर अदालत का रुख किया गया और तत्काल दोबारा सुनवाई की गई। इसमें अदालत ने मामा पक्ष के वकील को फटकार लगाई और कहा कि वह सुनिश्चित करें कि पिता को बच्चे की कस्टडी आसानी से मिल जाए।