80 के मुकाबले 311 मतों से आधी रात पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल…
न्यूज डेस्क. नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन विधेयक सोमवार देर रात 12 बजे लोकसभा में पारित हो गया। मैराथन 12 घंटे चली बहस के बाद हुए मतदान में विधेयक के पक्ष में 311 जबकि विरोध में 80 वोट पड़े। अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
इससे पहले विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि “मुस्लिमों का इस बिल से कोई वास्ता नहीं है। यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और अनुच्छेद-14 का उल्लंघन नहीं करता। यह केवल पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने के लिए लाया गया है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ‘यह विधेयक भारत की समावेश करने, मानवीय मूल्यों में भरोसे की सदियों पुरानी प्रकृति के अनुरूप है।’ देखें ट्विट
Delighted that the Lok Sabha has passed the Citizenship (Amendment) Bill, 2019 after a rich and extensive debate. I thank the various MPs and parties that supported the Bill. This Bill is in line with India’s centuries old ethos of assimilation and belief in humanitarian values.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 9, 2019
लोकसभा में भारी विरोध और देशभर में चल रहे प्रदर्शन के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार की दोपहर नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पेश कर दिया। इससे पहले भारी विरोध के चलते नागरिकता संशोधन बिल पेश करने से पहले लोकसभा में वोटिंग की प्रक्रिया का पालन किया गया। जिसमें लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश होने के पक्ष में 293, विपक्ष में पड़े 82 वोट पड़े।
इस विधेयक के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए लाया गया विधेयक है। जबकि, अमित शाह ने कहा कि यह बिल .001 फीसदी भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है।
जबकि, दूसरी तरफ नागरिक संशोधन बिल पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव ने कहा- हम नागरिक संशोधन बिल के खिलाफ हैं और पार्टी हर कीमत पर इसका विरोध करेगी।
इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है। प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था। भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था। लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी।
नागरिकता संशोधन विधेयक पर जदयू और बीजद के साथ आने से बदला अंकगणित
लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में जेडीयू, बीजद एवं पूर्वोत्तर के कुछ दलों के साथ आने से विधेयक पर संसद का अंकगणित बदल गया है। इस अंक गणित से लोकसभा में भारी भरकम बहुमत वाली भाजपा को भले ही ज्यादा फर्क न पड़ता हो, लेकिन राज्यसभा में यह अंकगणित सरकार के पक्ष में रहेगा।
इस साल जनवरी माह में केंद्र सरकार को इन्ही दलों के विरोध के कारण राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा कराने से पीछे हटना पड़ा था। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर काफी अक्रामक है। कई विपक्षी पार्टियां भी उनका समर्थन कर रही है। पर सरकार ने जद(यू) और बीजेडी को अपने साथ कर अंकगणित बदल लिया है।
राज्य सभा में पास होना तय
महाराष्ट्र में एनसीपी-कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने वाली शिवसेना भी इस मुद्दे पर सरकार के साथ है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी भी सरकार के पक्ष में खड़ी है। भाजपा को अपने 83 सांसदों के साथ एनडीए के 109 सदस्यों का समर्थन है। इन पार्टियों के साथ आने से भाजपा को 18 और सांसदों का समर्थन मिल जाएगा। यह समर्थन राज्यसभा में विधेयक को पारित कराने के लिए काफी है। राज्यसभा में इस वक्त कुल 240 सदस्य हैं।
धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं: विधेयक पर चर्चा में 48 सदस्यों ने हिस्सा लिया। शाह ने विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश में शरणार्थियों के संरक्षण के लिए पर्याप्त कानून हैं।
नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र: शाह ने 1950 में हुए नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि इसे पूर्ण रूप से लागू ही नहीं किया गया। उन्होंने दोहराया कि यदि धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं किया गया होता तो विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती।
अल्पसंख्यक बढ़े: गृह मंत्री ने कहा कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी, जो 2011 में 3.7% रह गई। बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में कम होकर 7.8% रह गई। जबकि 1951 में देश में 9.8% मुस्लिम थे जो बढ़कर 14.23% हो गए हैं।