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दो महिलाओं को एक ही खाता आबंटित कर दिया बैंक ने, कई साल तक चलता रहा लेन-देन दक्षिण बस्तर का अजीब मामला…

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एक खाता, दो हमनाम दावेदार, अजब बैंक का गज़ब कारनामा

(एक्सक्लूसिव ) शैलेन्द्र ठाकुर। दंतेवाड़ा।

आपने एक संयुक्त बैंक खाते में दो या अधिक खातेदारों का नाम सुना व देखा होगा, लेकिन एक ही सिंगल खाता के लिए दो हमनाम खातेदारों को अलग-अलग पासबुक, वह भी सचित्र जारी करने का मामला पहली बार सुना होगा। जी हां ।

ऐसा अजीब मामला दंतेवाड़ा में संचालित छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक शाखा 1207 में सामने आया है। इस बैंक ने पंडेवार निवासी महिला श्यामबती पति उमाशंकर, खाता क्रमांक 7702642066-2 के नाम से दोनों श्यामबती को अलग-अलग पासबुक जारी कर दिया। 9 साल पहले वर्ष 2015 में दोनों महिलाओं ने बैंक में खाता कुछ महीने के अंतराल में खुलवाया था।

खाते से लेन-देन कम होने की वजह से इस भारी गड़बड़ी का पता ही नहीं चल पाया। मामले का खुलासा तब हुआ, जब विष्णुदेव साय सरकार की महतारी वंदन योजना का पैसा खाते में जमा होने की बारी आई।

पैसे को लेकर दोनों हितग्राहियों के बीच खींचतान होने लगी। इसके बाद बैंक अफसरों को अपनी गलती का पता चला तो दोनों ही महिलाओं को बुलाकर पासबुक अपने कब्जे में ले लिया।

एक खातेदार श्यामबती व उसके पति उमाशंकर ने बताया कि बैंक वालों डांट-डपटकर खाता हमेशा के लिए बंद करने की बात कहकर धमकाया। वहीं श्यामबती पति स्व कलम ने भी ऐसे ही व्यवहार की शिकायत करते बताया कि अब उसने नगर के दूसरे बैंक में खाता खुलवा लिया है, जिसमें महतारी वंदन योजना की राशि जमा करने का आवेदन महिला, बाल विकास विभाग को दे चुकी है।

इतनी बड़ी चूक कैसे?
एक पासबुक में श्यामबती पति उमाशंकर की फ़ोटो और दूसरे पासबुक में श्यामबती पति कमल की फ़ोटो बाकायदा ब्रांच मैनेजर के हस्ताक्षर से प्रमाणित की हुई है। श्यामबती पति कमल की फ़ोटो लगे हुए पासबुक में इसे जारी करने की तारीख 5/01/2015 अंकित है, जबकि श्यामबती पति उमाशंकर की फोटोयुक्त पासबुक में 22/07/2015 की तारीख दर्ज की हुई है। जबकि दोनों के आधार कार्ड नंबर अलग-अलग एवं उनके पति का नाम अलग-अलग अंकित है। सवाल यह उठता है कि बैंक खातों में आधार कार्ड कार्ड लिंक करने की अनिवार्यता के नियम के बावजूद आखिर 9 साल तक बैंक को अपनी इस चूक का पता कैसे नहीं चल पाया?

क्या कहते हैं ब्रांच मैनेजर
इस बारे में ब्रांच मैनेजर जगदीश बेहरा का कहना है कि दोनों के बीच विवाद होता देखकर खाता बंद कर दिया गया है। खाते में जमा राशि दोनों में बराबर बांट दी गई। उन्हें दूसरे बैंक में खाता खोलने की सलाह दी गई है। दोनों हितग्राहियों का जन धन खाता खोलने सचिव ने फॉर्म लाकर जमा करवाया होगा। 8-9 साल पुराना खाता है, मेरी पोस्टिंग साल भर पहले हुई है। ब्रांच मैनेजर ने माना कि दोनों ही खातेदार एक ही खाते से समय-समय पर लेन-देन करते आ रहे थे।

हमनाम के साथ गज़ब का संयोग
दिलचस्प बात यह है कि श्यामवती नामक खातेदार महिलाओं का नाम एक होना ही महज इत्तेफाक नहीं है। दोनों महिलाओं का मायका भी बालपेट नामक एक ही गांव है और ससुराल भी पंडेवार नामक एक ही गांव है।