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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने CAA को लेकर बड़ा ऐलान किया, राज्य में नहीं होगा लागू

तमिलनाडु
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बड़ा ऐलान किया है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सीएए लागू नहीं होगा। स्टालिन ने कहा, 'हमारी सरकार राज्य में CAA को लागू नहीं करने वाली है।' केंद्र सरकार की ओर सीएए लागू करने की घोषणा पर स्टालिन ने सोमवार को भाजपा पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक लाभ हासिल करने के प्रयास में लोकसभा चुनाव से पहले CAA के नियमों को अधिसूचित कर रहे हैं। इसके जरिए वह अपने डूबते जहाज को बचाने की कोशिश में हैं। स्टालिन ने कहा, 'भाजपा सरकार के विभाजनकारी एजेंडे ने नागरिकता अधिनियम को हथियार बना दिया है, इसे मानवता के प्रतीक से धर्म और नस्ल के आधार पर भेदभाव के उपकरण में बदल दिया है।'

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने भी सीएए का विरोध किया है। पार्टी महासचिव एके पलानीस्वामी ने नागरिकता CAA के लागू होने की आलोचना की और कहा कि केंद्र सरकार ने इसके कार्यान्वयन के साथ ऐतिहासिक भूल की है। उन्होंने भाजपा पर राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, ‘अन्नाद्रमुक इस कदम की कड़ी निंदा करती है, जिसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ लेने के लिए लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को विभाजित करना है। जबकि इसे पिछले 5 वर्षों से लागू नहीं किया गया था।’ राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पलानीस्वामी ने सोमवार देर रात एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘केंद्र सरकार ने इसे लाकर एक ऐतिहासिक भूल की है। अन्नाद्रमुक इसे स्वदेशी लोगों – मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिलों के खिलाफ लागू करने के किसी भी प्रयास की अनुमति नहीं देगी। अन्नाद्रमुक देश के लोगों के साथ मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से इसका विरोध करेगी।’

असम में हड़ताल और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन
असम के विपक्षी दलों ने भी सीएए को लागू करने पर बीजेपी नीत केंद्र सरकार की आलोचना की है। राज्यभर में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। 16 दल वाले संयुक्त विपक्षी मंच, असम (यूओएफए) ने मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान और उनके निष्कासन की मांग को लेकर 6 वर्षीय आंदोलन की शुरुआत की थी। एएएसयू ने कहा कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी।

बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने की अनुमति देता है। केंद्र की ओर से सोमवार को सीएए के नियमों को अधिसूचित किया गया।