सुप्रीम कोर्ट ने पीएम के दौरे का रिकॉर्ड एकत्र करने का दिया निर्देश… सुनवाई पूरी होने तक केंद्र व राज्य की समितियां नहीं करेंगी कोई कार्रवाई…
इंपेक्ट डेस्क.
पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई चूक मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की सुनवाई पूरी होने तक केंद्र व राज्य सरकार द्वारा गठित समितियां मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं करेंगे। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया कि प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा के दौरान उनके यात्रा रिकॉर्ड को सुरक्षित व संरक्षित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब सोमवार को सुनवाई करेगा।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का मामला दुर्लभ से दुर्लभ है। इसने हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा किया है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए यह गंभीर खतरे के रूप में सामने आया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ का एक वीडियो बुधवार को इसी तरह की कार्रवाई का आह्वान करते हुए सामने आया था। पंजाब सरकार की ओर से गठित जांच कमेटी पर केंद्र ने कहा कि राज्य के गृह सचिव भी इस मामले में जांच के दायरे में हैं। इसलिए वह जांच पैनल का हिस्सा नहीं हो सकते।
NIA से करवाई जाए जांच
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह मामला सीमा पार आतंकवाद का मामला है इसलिए एनआईए अधिकारी जांच में सहायता कर सकते हैं। वहीं मामले में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हमने एक जांच समिति बनाई है। यहां तक कि केंद्र द्वारा भी जांच समिति बनाई गई है। समिति पूरी तरह से खुली हुई है। किसी को भी जांच के लिए नियुक्त किया जा सकता है।
अदालत करे समिति का गठन
केंद्र द्वारा राज्य की समिति पर उठाए गए सवाल पर पंजाब सरकार ने कहा कि हमें भी केंद्र द्वारा गठित समिति पर भरोसा नहीं है। अगर पंजाब का पैनल जांच नहीं कर सकता तो केंद्र का पैनल भी नहीं कर सकता। बेहतर होगा अदालत समिति का गठन करे। पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया ने कहा कि अदालत जांच के लिए किसी अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश या अन्य अधिकारियों को नियुक्त कर सकती है।