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तो क्या मैडम सौम्या ने नॉन घोटला फेम अनिल टूटेजा के कहने पर सीएम सचिवालय में अफसरों के पदभार बदलने की फाइल चलाई? न्यायलयीन दस्तावेजों में दर्ज वाट्सएप चैट तो यही कहानी कह रही…

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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

आयकर (आई-टी) विभाग के छापे के बाद दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में जांच व कार्रवाई से जुड़े मामले की सुनवाई चल रही है। यहां जांच एजेंसी ने करीब एक हजार पन्नों का दस्तावेज जमा करवाया है। इस दस्तावेज में दर्ज कई ऐसे तथ्य हैं जिससे छत्तीसगढ़ की राजनीति में आने वाले दिनों में बहुत ज्यादा असर देखने को मिल सकता है। इस संबंध में द स्टेट्समेन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।

रिपोर्ट के मुताबिक दस्तावेजों से पता चला है कि कैसे एक डिप्टी कलेक्टर (डीसी) और एक पदोन्नत आईएएस अधिकारियों की तूती बोल रही थी। न केवल अपनी चला रहे थे बल्कि छत्तीसगढ़ में शीर्ष रैंकिंग वाले आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की पोस्टिंग भी तय कर रहे थे।

आयकर विभाग ने आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया और 13 अन्य के खिलाफ 997 पन्नों की चार्जशीट में खुलासा किया है कि रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर सहित आरोपी अधिकारियों और उनके अनुचरों का कितना प्रभाव था।

प्राप्त बातचीत में से एक में, अनिल टुटेजा डिप्टी कलेक्टर रैंक के एक अधिकारी सौम्या चौरसिया को तत्कालीन प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, जो अब प्रसार भारती के सीईओ हैं, को मुख्यमंत्री सचिवालय से हटाने और उनकी जगह सुब्रत साहू को रिप्लेस करने के लिए ताना—बाना बुन रहे थे। श्री साहू वर्तमान में मुख्यमंत्री सचिवालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं।

चैट के मुताबिक दर्ज वार्तालाप में टुटेजा कह रहे हैं “गौरव को पंचायत दे दो। सुब्रत को पीआर और एनर्जी विद होम और पीएस टू एचसीएम…” दोनों अधिकारियों के बीच व्हाट्सएप चैट पढ़ा जा सकता है। एक चैट में राज्य सरकार में संयुक्त सचिव रैंक के अधिकारी टुटेजा ने सौम्या से पूर्व पाठ्य पुस्तक निगम के एमडी अशोक चतुर्वेदी को सेवा से हटाने की सिफारिश वाली नोट-शीट प्राप्त करने का अनुरोध किया है।

मजेदार बात तो यह है कि इस चैट के बाद की तिथि में संवाद के मुताबिक प्रशासनिक बदलाव भी किए गए। यह अपने आप में अभूतपूर्व है कि क्या किसी मुख्यमंत्री की मर्जी के बगैर उनके अधीनस्त इस तरह के बदलावों को लेकर ताना—बाना बुन सकते हैं और यदि बुन सकते हैं और उसके सीएम से क्रियान्वित भी करवा सकते हैं तो उनकी प्रशासनिक ताकत का अनुमान साफ लगाया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है ‘I-T के लोगों ने व्यवसायी विजय बुधिया के साथ एक सहित कई चैट भी बरामद किए हैं, जिसमें संकेत मिलता है कि टुटेजा और चौरसिया के कहने पर चतुर्वेदी से 5 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। बाद में, टुटेजा ने रिश्वत वसूली में किसी भी भूमिका से इनकार किया और कहा कि चूंकि चतुर्वेदी एक दागी अधिकारी थे, इसलिए वह (टुटेजा) उनके जैसे व्यक्ति से मिलना नहीं चाहते थे।’

आईटी छापे ने 27 फरवरी और 3 मार्च, 2020 के बीच किए गए। छापे के दौरान टुटेजा और अन्य के बीच सनसनीखेज बातचीत के रिकार्ड भी बरामद किए। जो दर्शाता है कि नागरिक आपूर्ति निगम (नॉन) घोटाले के प्रमुख आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने न केवल सक्रिय रूप से भाग लिया था। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने घोटाले में उनकी भूमिका की जांच की। लेकिन उनके खिलाफ मामले को कमजोर करने के लिए कई मौकों पर इसकी ‘अनौपचारिक’ जांच, प्रभावित और इसकी मसौदा रिपोर्ट को बदल दिया।

रिपोर्ट में कहा गया है ‘प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी स्पेशल लीव पिटीशन में बंद लिफाफे में आरोपियों के बीच हुई चौंकाने वाली बातचीत का ब्योरा पेश किया था।’

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडी की ओर से एससी को बताया “दोनों वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, ईओडब्ल्यू-एसीबी छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय में एक बहुत वरिष्ठ कानून अधिकारी, एसआईटी के सदस्यों और छत्तीसगढ़ के  मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के साथ अभियोजन एजेंसी के क्रमिक प्रमुखों के साथ मिलकर अभियोजन एजेंसी से अनुकूल रिपोर्ट प्राप्त करके और गवाहों को धमकी देकर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के अपराध को कमजोर किया है।’

हांलाकि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खंडन करते हुए साफ किया था कि इस तरह की कोई मुलाकात और दबाव बनाने की प्रेक्टिस कभी नहीं की गई। उन्होंने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया था।

वहीं द स्टेट्समेन की रिपोर्ट कहती है कि ईडी ने आरोप लगाया कि “यहां तक कि एसआईटी रिपोर्ट की सामग्री को मुख्य अभियुक्त (शुक्ला और टुटेजा) के इशारे पर बदल दिया गया था और एसआईटी की मसौदा रिपोर्ट को मुख्य आरोपी ने अपने अधिवक्ताओं की मदद से अनौपचारिक रूप से जांचा था। यह कई मौकों पर बेरोकटोक हुआ…”

नई सरकार ने 3 जनवरी, 2019 को एक एसआईटी गठित करने का फैसला किया, जबकि जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा अदालत में चार्जशीट दायर की जा चुकी थी। ईओडब्ल्यू-एसीबी के जांच अधिकारी संजय देवस्थले को अगले ही दिन निलंबित कर दिया गया था।

दोनों अधिकारियों पर चावल की खरीद और परिवहन में करोड़ों रुपये का गबन करने का आरोप है। यह घोटाला मार्च 2015 में नागरिक आपूर्ति निगम के परिसर में एसीबी की छापेमारी के दौरान सामने आया था।

छत्तीसगढ़ में आईटी के छापों के बाद ईडी का दखल तेजी से बढ़ा है इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में बेहद गहमा—गहमी है। अभी भी करीब आधा दर्जन आईएएस अधिकारी और करीब दर्जन भर नेता जांच के दायरे में हैं। हाल ही में खनिज घोटाले के आरोप में आईएएस समीर विश्नोई जेल में हैं। वहीं इस करोबार से जुड़े कई व्यापारी और नेता भी फिलहाल कोर्ट और ईडी का चक्कर काट रहे हैं।

मुख्यमंत्री की विशेष सचिव सौम्या चौरसिया को कई बार पूछताछ के लिए ईडी ने बुलाया है। रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू भी ईडी के जांच के दायरे में हैं। बीते मई 2022 में न्यायालय में जमा किए गए करीब 1000 पन्नों के इस दस्तावेज को देखने से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। फिलहाल सरकार, ईडी, न्यायालय और जांच का दौर छत्तीसगढ़ में दैनिक चर्चा का विषय बना हुआ है।