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पीएम बोले तीसरे कार्यकाल में बुलेट की रफ्तार से होगा आर्थिक विकास

नई दिल्ली
पीएम मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए पहले से ही रूपरेखा तैयार करना शुरू कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार कहा कि आर्थिक विकास के रोडमैप पर काम कर रहे हैं और आपको कई और बड़े फैसलों के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम पिछले डेढ़ साल से गरीबी दूर करने, विकास को गति देने के रोडमैप पर काम कर रहे हैं। मैंने 15 लाख से ज्यादा लोगों से सुझाव लिए हैं। मैंने उसके लिए कोई प्रेस नोट जारी नहीं किया है। 20-30 दिन में यह अपना अंतिम रूप ले लेगा। नया भारत सुपर स्पीड से काम करेगा। यह बातें उन्होंने ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट में कही। मोदी ने कहा कि लोगों को उनकी सरकार के 'तीसरे कार्यकाल' के दौरान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने की क्षमता पर भरोसा है।

हमने इस फॉर्मूले को अपनाया है
1 फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने सभी नीतियों में स्थिरता और निरंतरता पर फोकस किया है। हर बजट में चार प्रमुख बातें होती हैं – हर बजट में चार प्रमुख चीजें होती हैं- कैपेक्स पर रेकॉर्ड प्रॉडक्टिव खर्च, अभूतपूर्व कल्याणकारी योजनाएं, फिजूलखर्ची पर लगाम और वित्तीय अनुशासन। हमने उस पर फोकस किया है और परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा कि दूसरों के विपरीत, एनडीए सरकार ने फ्री बिजली जैसे मुद्दों पर एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा, मैं सिर्फ वर्तमान ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हूं। मैं उस राजनीति से दूर रहता हूं जहां चार अतिरिक्त वोटों के लिए खजाना खाली हो जाता है। इसलिए हमने अपने फैसलों में वित्तीय प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।

अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों की सलाह को नजरअंदाज किया
पीएम मोदी ने नई रूफटॉप सौर योजना का जिक्र किया। मोदी ने टैक्सपेयर्स के पैसे बचाने के लिए एक प्रमुख उपकरण के रूप में परियोजनाओं के तेजी से पूरा करने की ओर इशारा किया। हमने प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने के लिए 'पैसा बचाया गया पैसा कमाया है' के मंत्र का पालन किया। मोदी ने कहा कि केंद्र ने कोविड के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों की सलाह को नजरअंदाज कर दिया और नोटों की छपाई का विकल्प नहीं चुना, जिससे मुद्रास्फीति को कंट्रोल करने में मदद मिली। विकसित देश अभी भी जूझ रहे हैं।

उस वक्त श्वेत पत्र जारी होता तो गलत संकेत जाता
अपनी सरकार की उपलब्धियों की पिछली सरकार से तुलना करते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने 10 साल तक पद पर रहने के बाद श्वेत पत्र जारी करने का विकल्प चुना। अर्थव्यवस्था गंभीर स्थिति में थी। यदि उस वक्त श्वेत पत्र जारी होता तो गलत संकेत जाता, निवेशकों का भरोसा खत्म हो जाता। मैंने राजनीति (राजनीति) के बजाय राष्ट्रनीति को चुना। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने बहुत उच्च स्तर का विश्वास अर्जित किया है और सकारात्मक भावना पैदा की है। किसी भी देश की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है जब सभी परिस्थितियां उसके अनुकूल होती हैं, जब वह देश कई दशकों के लिए खुद को मजबूत करता है। मैं भारत के लिए वह समय देख रहा हूं।