उच्च शिक्षा विभाग का आदेश सिर्फ छात्रों को आर्थिक व मानसिक परेशान करने का तरीका- महेश कुंजाम
इम्पेक्ट न्यूज़. सुकमा।
उच्च शिक्षा विभाग कोविड-19 महामारी को देखते हुए महाविद्यालयों में परीक्षार्थियों को इकट्ठा होने पर रोक लगाते हुए आदेश जारी कर परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र ,उत्तर पुस्तिका डाउनलोड कर समस्त छात्रों को स्पीड पोस्ट के माध्यम से संबंधित महाविद्यालयों को भेजने का जवाबदेही दिया गया है? क्या साइबर सेंटरों डाकघरो में परीक्षार्थियों की भीड़ इकट्ठा नहीं होगी ? क्या यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग या कोविड-19 का पालन होगा ? साइबर सेंटरों या डाकघरों में भी भीड़ इकट्ठा होना ही है । केवल छात्रों को परेशान करने व आर्थिक रूप से तंग करने का तरीका है। इसलिए ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन कड़ी निंदा करता है उक्त बातें छात्र नेता महेश कुंजाम ने कही।
छात्र नेता महेश कुंजाम ने कहा कि संभाग में बस्तर विश्वविद्यालय के अंतर्गत समस्त जिलों में 38 कालेजों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है, इसमें से अधिकतर सुदूर अंचलों में स्थित महाविधालयों जो आदिवासी अंचलों के छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं।इन महाविद्यालयों में अधिकांश छात्र छात्राएं जो बस्तर में गरीब, कमजोर, सामाजिक ,आर्थिक परिस्थितियों से बीच रहकर जीवन यापन करते हैं, इस परिस्थितियों को देखते हुए बस्तर विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालयों में परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र, डाउनलोड करने ,स्टेशनरी सामग्री खरीदने ,से लेकर डाक से पैकेट भिजवाने तक परीक्षार्थियों को स्वयं की जवाबदेही सौंपना अनुचित है। जबकि गरीब कमजोर ,सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के बीच रहने वाले छात्र-छात्राओं को ध्यान में रखते हुए नियम लागू करना चाहिए। जो प्रश्न पत्र डाउनलोड से लेकर, स्टेशनरी सामग्री खरीदने के पैकेट भिजवाने तक 1000 से 1500 रुपए परीक्षार्थियों की जेब से बोझ पड़ना तय है। इसके अलावा अन्य महाविद्यालय में अध्ययन करने वाले सुदूर अंचलों दूरदराज अति संवेदनशील इलाकों जैसे सुकमा , दंतेवाड़ा बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव आदि महाविद्यालयों में अध्ययन करने वाले छात्रों को साइबर सेंटरों में डाउनलोड ,डाक स्पीड पोस्ट आदि करने के लिए आस पास सुविधा नहीं है और अधिकतर छात्रों ने ना नेटवर्क से कनेक्ट हैं ना स्मार्टफ़ोन हैं यह परीक्षार्थियों को 20 से 50 किलोमीटर तय कर मुख्यालयों में आकर आॅनलाईन आदि प्रक्रिया है करना पड़ रहा है। यहां तक पहुंचने के लिए भी अलग से आर्थिक खर्चा छात्रों को बोझ बना देता हैं इन दिनों में वैश्विक कोविड 19 महामारी बीमारी का दौर है, दूसरी और आवागमन बंद है , इसी बीच 50 रूपये की जगह ₹100 रूपय यात्रा किराया लिया जाता है। इस गंभीर परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए ।जो छात्रों को कुल मिलाकर लगभग 2000 से अधिक जेब से खर्च करना पड़ता है ,जबकि परीक्षा आवेदन के समय प्रश्न पत्र ,उत्तर पुस्तिका के लिए कुल राशि जमा कर ही दिया गया तो, परीक्षार्थियों को फिर डबल राशि खर्च करने का जवाबदेही क्यों? क्या विश्वविद्यालय छात्रों को फीस वापस करेगा? कोई शर्त नहीं है ,
श्री कुंजाम ने कहा कि समस्त बस्तर विश्वविद्यालय के अन्तर्गत के महाविधालयीन परीक्षार्थियो की प्रश्न पत्र प्रिन्ट से लेकर स्पीड पोस्ट भिजवाने तक की शुल्क विश्वविद्यालय वहन करे ,छात्रों के साथ अन्याय व लूट है जो उचित नही है।