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विकास को बनाया नया हथियार… गांव-गांव में माओवादी करवा रहे हैं सड़क और पुल पुलियों का निर्माण…

गणेश मिश्रा. बीजापुर।

बस्तर में सड़क, स्कूल और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विरोध करने वाले माओवादी अब अंदरूनी इलाकों में सड़कों के माध्यम से विकास करने का दंभ भरने लगे हैं, जिन माओवादियों ने फोर्स के रुकने के नाम पर स्कूल भवनों को तोड़ दिया और जवानों के नक्सल विरोधी अभियान को प्रभावित करने के लिए सड़कों को काट दिया।

सड़क पर ताड़ के पेड़ से बनाया गया ह्यूम पाइप

आज वही माओवादी अपने आधार इलाकों में अपने जनताना सरकार के माध्यम से सड़कों का निर्माण करवा रहे हैं। ऐसी ही कुछ तस्वीरें उन इलाकों से निकल कर बाहर आई है जो सरकार के पहुंच से दूर है। माओवादियों का आधार इलाका माना जाता है माओवादियों द्वारा इन इलाकों में मिट्टी और मुरूम की सड़कें बनवाई जा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर लकड़ियों के माध्यम से पुल पुलियों का निर्माण भी करवाया जा रहा है।

इरपागुट्टा में माओवादियों द्वारा बनाया गया मिट्टी मुरुम की सड़क

ग्रामीणों का कहना है कि इन सड़कों और पुल पुलियों का निर्माण माओवादियों द्वारा करवाया गया है। बीजापुर जिले के लगभग 40 फ़ीसदी गांव में ऐसी सड़कों का निर्माण कराया गया है जिनका निर्माण शासन-प्रशासन के लिए संभव ही नहीं बल्कि नामुमकिन सा है और इन निर्माण कार्यो का खुलासा तब हुआ जब वंहा से तस्वीरें निकलकर बाहर आयी है।

जपेमरका में बनाया गया लकड़ियों का पुल

विदित हो कि हाल ही में माओवादियों के उत्तर बस्तर डिविजनल कमेटी ने लिखित में बयान जारी किया गया था कि उनके द्वारा लोगों की मदद से मिट्टी मुरूम की सड़कें और पत्थरों व लकड़ियों के पुल पुलियों का निर्माण कराया जा रहा है और अब बीजापुर जिले के नेशनल पार्क इलाके के साथ-साथ गंगालूर और भैरमगढ़ के अंदरूनी इलाकों से माओवादियों द्वारा बनाए गए कुछ ऐसे ही सड़कों और पुल पुलियों की तस्वीरें निकल कर बाहर आई है।

जहां माओवादियों द्वारा ग्रामीणों की मदद से गांव के अंदर ही बड़े पैमाने पर मिट्टी और मुरूम के सड़कों का निर्माण कराया गया है यही नहीं बल्कि खेतों से होकर गुजरने वाली सड़कों में लकड़ियों के सहारे पुल का निर्माण कराया गया है इसके अलावा ताड़ के पेड़ो को काटकर उसे ह्यूम पाइप का रूप देकर पानी निकासी का जरिया बनाया गया।

इन सड़कों का निर्माण नेशनल पार्क में आने वाले 4 पंचायतों के अलावा गंगालुर और भैरमगढ़ क्षेत्र के उन गांव में कराया गया है जो सरकार की पहुंच से दूर हैं साथ ही वह नक्सलियों का आधार इलाका भी माना जाता है।

हाल ही में जवानों की एक टीम गंगालूर इलाके के कुछ गांवों में नक्सल विरोधी अभियान के लिए पहुंची थी इसी दौरान जवानों द्वारा अपने मोबाइल पर कुछ ऐसी तस्वीरें भी कैद की गई जिसमें नालों में लकड़ियों के बल्लियों के माध्यम से माओवादियों द्वारा पुलियों का निर्माण किया गया है दूसरी बड़ी बात यह है कि माओवादियों द्वारा सिर्फ गांव के अंदर ही सड़कों का निर्माण कराया गया है और किसी एक गांव को दूसरे गांव के जोड़ने के लिए सड़कों के उपयोग पर और निर्माण पर पाबंदी लगा दिया गया है ग्रामीणों ने यह भी बताया कि माओवादियों के जनताना सरकार द्वारा इस निर्माण कार्य को अंजाम दिया गया है।

इस निर्माण कार्य के बदले सड़क निर्माण में काम करने वाले ग्रामीणों को मजदूरी के बजाय एक वक्त का परिवार के लिए चावल उपलब्ध कराया जाता है इस समय माओवादियों द्वारा बनाए गए सड़कों और पुलियो की जो तस्वीरें निकल कर बाहर आई है उनमें से नेशनल पार्क स्थित इरफागुंडा गांव की तस्वीर है जहां पर माओवादियों ने मिट्टी और मुरूम की सड़क बनवाई है जिसमें ताड़ के पेड़ों को काटकर ह्यूम पाइप जैसा इस्तेमाल कर पानी निकासी के लिए उपयोग किया गया है वहीं दूसरी तस्वीर गंगालूर क्षेत्र के जपेमरका से आई है।

जहां पर एक नाले में माओवादियों द्वारा लकड़ियों की बल्ली और बांस के सहारे पुल का निर्माण करवाया गया है यह तस्वीर नक्सल विरोधी अभियान के लिए उस इलाके में गए जवानों द्वारा ली गई है जहां सड़क के साथ लकड़ियों का पुल भी नजर आ रहा है ऐसा माना जा रहा है कि शासन के पहुंच से दूर स्थित इलाकों में विकास की इच्छा रखने वाले ग्रामीणों से विकास विरोधी होने के कारण माओवादियों से लगातार दूरियां बढ़ती जा रही है और इसी दूरी को कम करने के लिए अब माओवादी सड़कें बनवा कर लोगों के बीच विकास प्रिय होने की बात रखने लगे हैं और साथ ही यह भी कह रहे हैं कि वे विकास विरोधी नहीं हैं और ना ही ग्रामीण इलाकों में बनने वाले सड़कों का उनके द्वारा विरोध किया जाता है बावजूद बस्तर में ऐसे सैकड़ों घटनाएं हो चुकी है जब सड़क निर्माण के दौरान अपने आपको विकास समर्थक बताने वाले माओवादियों द्वारा वाहनों में आगजनी के अलावा ठेकेदार और मुंशियों की हत्या कर दी गई अब ऐसे में अंदरूनी इलाकों में माओवादियों द्वारा सड़क निर्माण निश्चित ही शासन प्रसासन के खिलाफ माओवादियों की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

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