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ओडिशा में कैदियों के लिए नया प्लान : जेल में नहीं, शरीर पर GPS डिवाइस फिट करके आरोपी को घर पर ही किया जाएगा कैद… ओडिशा इसे लागू करता है तो बनेगा भारत का पहला देश…

इम्पैक्ट डेस्क.

भुवनेश्वर. ओडिशा की जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। गैर-जघन्य आरोपों का सामना कर रहे विचाराधीन कैदियों को अब जेल में नहीं बल्कि घरों में ही कैद करके रखा जाएगा। इसके लिए नवीन पटनायक सरकार जीपीएस-सक्षम ट्रैकिंग उपकरणों का यूज करने जा रही है। कैदियों पर जीपीएस लगाकर उनकी निगरानी करने वाला ओडिशा पहला राज्य बन जाएगा। सरकार ने कहा कि ऐसा कदम उठाने के पीछे मकसद विचाराधीन कैदियों को नजरबंद करने की अनुमति देकर जेल की भीड़ को कम करना है। इस पहल से जहां जेलों में भीड़ कम होगी वहीं सरकार का कैदियों पर होने वाला खर्च भी बचेगा। इस तरह की डिवाइस का प्रयोग यूएस में हो रहा है।

सूत्रों ने कहा कि ट्रैकिंग डिवाइस, जिसकी अनुमानित लागत 10,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच है। इस डिवाइस को कैदी के टखने से जोड़ा जाएगा। यह ऐसा जीपीएस होगा कि अगर इससे छेड़छाड़ की गई तो यह अलर्ट भेजेगा।

अधिकृत सीमा से बाहर जाने पर जाएगा अलर्ट

आरोपियों पर लगाया जाने वाला डिवाइस एक निर्दिष्ट क्षेत्र या परिधि प्रोग्राम की जाएगी। अगर विचाराधीन व्यक्ति अधिकृत सीमाओं से परे कदम रखता है तो यह पुलिस को तुरंत सचेत करेगी। जिसके परिणामस्वरूप आरोपी की जमानत रद्द हो जाएगी और उसे जेल भेजा जाएगा।

कैदियों से ही लिया जाएगा डिवाइस का खर्च

डीजी जेल ने कहा कि जमानत देने के दौरान, विचाराधीन कैदियों से पूछा जा सकता है कि वे जेल चाहते हैं या जमानत। जमानत पाने के लिए, उनके लिए ट्रैकिंग उपकरण को अनिवार्य बनाया जा सकता है। सरकार को इस उपकरण को खरीदने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, विचाराधीन कैदियों को जमानत के बदले उपकरण खरीदने के लिए कहा जा सकता है।

सरकार प्रस्ताव पर कर रही विचार

तकनीक का उपयोग जेलों के अंदर खतरनाक अपराधियों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है। डीजी (जेल) मनोज कुमार छाबड़ा ने कहा, ‘हमने राज्य सरकार को ऐसी तकनीक पेश करने का प्रस्ताव दिया है जिसके माध्यम से हम छोटे अपराधों में शामिल अहिंसक विचाराधीन कैदियों को जेल भेजे बिना उनके घरों में सीमित रख सकते हैं।’

हाल ही में, निदेशालय ने गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष विचाराधीन कैदियों के लिए टखने की निगरानी प्रणाली प्रस्तुत की, जिसमें ओडिशा सरकार के शुरू किए गए उल्लेखनीय जेल सुधारों पर प्रकाश डाला गया।

ओडिशा की जेलों में 65 पर्सेंट विचाराधीन कैदी

छाबड़ा ने कहा कि इस पहल का प्राथमिक लाभ जेलों में भीड़भाड़ से निपटना है। उच्चतम न्यायालय ने पहले राज्यों को सलाह दी थी कि वे अधिकतम सात साल के कारावास वाले अपराधों के लिए अपराधियों को गिरफ्तार न करें। ओडिशा की जेलों में लगभग 65% विचाराधीन कैदियों को सात साल तक की जेल की सजा के लिए हिरासत में लिया जाता है।