22 जवानों की शहादत के बाद वीरान ‘जीरा गांव’ फिर आबाद…
घटना स्थल से लौटकर गणेश मिश्रा.
- ग्रामीणों ने कहा- पहाड़ियों पर गोलियां चलने की आवाज सुन गांव छोड़ पूवर्ती में रहें दो दिन
- मुठभेड़ से पहले जीरा गांव से ही आगे बढ़े थे जवान
- अब हालात: इधर कुंआ, उधर खाई जैसे
बीजापुर। शनिवार 3 अप्रैल को तर्रेम इलाके के जौनागुड़ा और जीरा गांव में पुलिस और नक्सलियों के मध्य बड़ी मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 22 जवानों की शहादत हुई। घटना के तीन दिन बाद इम्पैक्ट संवाददाता ने घटना स्थल पहुंचकर हालात का जायजा लिया तो तस्वीर अलहदा थी। मुठभेड़ के बाद जो जीरा गांव वीराना पड़ा हुआ था। जहां इंसान तो दूर जानवर भी नजर नहीं आ रहे थे, साल के सबसे बड़े नक्सली हमले के गवाह उसी जीरा गांव में लोग नजर आए हैं।
गांव में हालात सामान्य दिखे मानो यहां कुछ हुआ ही नहीं। ग्रामीण अपनी दिनचर्या में व्यस्त दिखे तो दर्जनों ग्रामीण तेलंगाना से मजदूरी कर टैक्टरों पर लदकर लौटते दिखे। गांव में मुर्गों की बाग सुनाई पड़ रही थी, खेतों में मवेषियों को चरा रहे चरवाहे और महुआ बिनते लोग मानो घटना से बेखबर हो।
संवाददाता ने यहां ग्रामीणों से चर्चा का प्रयास किया तो , कईयों ने बात करने से इंकार कर दिया मगर एक शख्स ने किसी तरह हिम्मत जुटाते बात की। उसका कहना था कि शनिवार की सुबह गांव के लोग गांव में ही थे। फोर्स जीरा गांव से ही आगे बढ़ी थी। जवान जौनागुड़ा की तरफ बढ़े थे। कुछ देर बाद जौनागुड़ा के आगे पहाड़ियों से गोलियां चलने की आवाज सुनाई पड़ी।
यह सुन गांव वाले डर गए। डर के चलते गांव वाले अपने साथ खाने पीने के सामान की गठरियां बांध 20 किमी दूर पूवर्ती गांव भाग गए। उसका कहना था कि डर के चलते दो दिनों तक वे पूवर्ती गांव में ही डेरा डाले हुए थे। तीसरे दिन किसी तरह हिम्मत जुटाते सभी ग्रामीण गांव को लौटे।
यह जरूर पता चला कि गांव में गोलियां चली थी। जवान-नक्सली मारे गए थे। हालांकि अब भी उन्हें दोनों तरफ से डर है। दबी जुबां से कुछ ग्रामीणों का कहना था कि घटना के बाद उनके हालात इधर कुंआ-उधर खाई जैसे हो गए हैं।
बता दें कि बीजापुर का जीरा गांव सुकमा की सरहद से लगा हुआ है। यह गांव शनिवार को हुए मुठभेड़ के बाद सुर्खियों में आया। गांव में वैसे तो बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। तर्रेम को जगरगुंडा से जोड़ रही सड़क से महज 10 किमी के दायरे में जीरा गांव समेत तमाम बसे गांवों पर नक्सलियों का दबदबा है।
यही वजह रही कि इलाके में नक्सलियों की पुख्ता सूचना पर शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी फोर्स को उतारा गया था। जिसकी सूचना नक्सलियों को मिल गई थी। जिसके बाद नक्सलियों ने बड़ा एम्बुश प्लान करते टीसीओसी के दौरान बड़ी वारदात को अंजाम देकर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश को दहला दिया।