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IMPACT INVESTGATION : नियुक्ति फर्जीवाड़े मामले में खुलासा “सहायक शिक्षिका चंद्ररेखा शर्मा ने कभी दर्रापारा में दी ही नहीं ज्वाइनिंग…!” सर्विस रिकॉर्ड और आदेश क्रमांक में बड़ा झोल…

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इम्पेक्ट न्यूज़। रायपुर।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा की धर्म पत्नी चंद्ररेखा शर्मा की फर्जी नियुक्ति के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है। इम्चं के इन्द्रवेस्रेटिगेशन में यह तथ्खा साफ़ हुआ है कि सर्विस रिकॉर्ड और नियुक्ति आदेश के क्रमांक में सबसे बड़ा झोल है।

शर्मा ने दस्तावेजों के जरिए जिस तारीख को अपनी नियुक्ति दिखाई है उसी 11 जनवरी 2007 को वास्तविकता में एक सहायक शिक्षिका नीलम टोप्पो की नियुक्ति शासकीय प्राथमिक शाला ( दर्रापारा) उरांवपारा में हुई है जिन्होंने उस स्कूल में लगभग 14 साल अपनी सेवाएं दी है।

सबसे मजेदार बात यह है की नीलम टोप्पो का नियुक्ति आदेश 229 है जबकि चंद्ररेखा शर्मा का नियुक्ति आदेश 2229 तो क्या पत्थलगांव नगर पंचायत से एक ही दिन में 2000 पत्र जारी हुए?

इस पूरे मामले का पड़ताल करने के लिए जब हमारी टीम ने नीलम टोप्पो से बात की तो उन्होंने बताया कि 11 जनवरी 2007 को सहायक शिक्षक के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई और उस दिन और किसी सहायक शिक्षिका की नियुक्ति नहीं हुई , न ही उसके बाद किसी चंद्ररेखा शर्मा ने उसे स्कूल में कभी कोई कार्यभार ग्रहण किया है।

सबसे मजेदार बात यह है कि चंद्ररेखा शर्मा सामान्य अनारक्षित महिला वर्ग से आती है और उन्होंने थर्ड डिवीजन के जरिए अपनी नौकरी पाना बताया है क्योंकि 12वीं में उनके थर्ड डिविजन मार्क्स है जबकि अनुसूचित जाति से वास्ता रखने वाली नीलम टोप्पो 12वी में प्रथम श्रेणी से पास है और वह भी 65 प्रतिशत के साथ उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की है तब जाकर उनकी नौकरी लगी है।

उनकी नौकरी अनुसूचित जाति वर्ग के आधार पर लगी है ऐसे में यह संभव ही नहीं है कि उनसे कम प्रतिशत वाली किसी महिला की नियुक्ति उसी दिन अनारक्षित कोटे में हो जाए क्योंकि यदि ऐसा होता तो नीलम टोप्पो का चयन अनारक्षित वर्ग से होता । नीलम ने खुद जानकारी देते हुए बताया कि उनकी नियुक्ति आदेश क्रमांक 229 के तहत हुई है और उनका 12वीं में 65% है और उन्होंने कभी भी स्कूल में चंद्र रेखा शर्मा नाम की सहायक शिक्षिका को कार्य करते नहीं देखा है।

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और न ही कभी उनकी इस स्कूल में नियुक्ति हुई है इससे साफ है कि चंद्ररेखा शर्मा की नियुक्ति आदेश और उनका स्थानांतरण आदेश दोनों ही संदेहास्पद है। इस मामले को लेकर डीपीआई में भी शिकायत हुई थी और सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मामले की जांच शुरू हो चुकी है।

तो देखना होगा कि इस बड़े खुलासे के बाद विभाग क्या एक्शन लेता है क्योंकि यदि विभाग पूरे मामले में संजीदगी से कार्रवाई करता है तो एक बड़े रैकेट का भी खुलासा हो सकता है।