पेटी प्रथा बनी पीएमजीएसवाय की पहचान, नौसिखिए ठेकेदारों के भरोसे करोड़ों की सड़कें, सीपीआई जिला सचिव कमलेश का आरोप
बीजापुर। जिले में प्रधामनंत्री सड़क योजना में विभागीय कार्यप्रणाली लंबे समय से विवादों में रही है। विषय चाहे सड़कों की गुणवत्ता का हो अथवा भुगतान का… इंजीनियर से लेकर अफसरों की कार्यशैली पर उंगलियां उठती रही है।
अबकी बार सड़कों के निर्माण पर हावी पेटी प्रथा का मुद्दा गहराया हुआ है। सीपीआई के जिला सचिव कमलेश झाड़ी का आरोप है कि पीएमजीएसवाई में पेटी कांट्रेक्टर की भूमिका इस कदर हावी हो चली है कि टेंडर हासिल करने वाले असल ठेकेदार ही गुमनाम है।
सड़को का भविष्य पेटी ठेकेदार और टेंडर भरने वाले ठेकेदार के बीच एग्रीमेंट पर तय हो रहा है। नतीजतन सड़क जिस गुणवत्ता में बननी चाहिए, वैसी ना बनकर घटिया निर्माण को बेधड़क अंजाम दिया जा रहा है। मिट्टी-मुरुम के पूरे खेल में मूल ठेकेदार से लेकर पेटी कांट्रेक्टर, इंजीनियर, एसडीओ समते आला अफसर लाल हो रहे हैं।
चरम गड़बड़ी के सम्बंध में मीडिया में खबरें भी आ रही है मगर स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई के बजाए हाथ पीछे खींच रखे हैं। कमलेश का कहना है कि पीएमजीएसवाय जैसी महत्वाकांक्षी योजना जिले के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी, परंतु कमीशन के खेल में विभागीय अफसरों ने सिस्टम को पेटी ठेकेदारों के सुपुर्द कर घटिया कार्य करने की खुली छूट दे रखी है। सीपीआई बहुत जल्द ऐसी सड़कों का खुलासा भी करेगी, जिससे विभाग की करस्तानी सिद्ध होती है।