सब्जबाग बनकर रह गया विकासः कमलेश
भुमकाल दिवस पर सीपीआई ने वीर गुंडाधुर को किया याद…
सीपीआई नेता का आरोप, सरकार के झुठे वायदों को सहने मजबूर हैं जनता…
इंपैक्ट डेस्क.
बीजापुर। भुमकाल दिवस पर आज सीपीआई पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं ने वीर गुंडाधुर को याद किया। इस मौके पर पत्रकारों से चर्चा में सीपीआई के जिला सचिव कमलेश झाड़ी ने बताया कि एक फरवरी से 10 फरवरी भुमकाल दिवस तक सीपीआई गांव-गांव पहुंची और सघन जनसंपर्क के जरिए ग्रामीण इलाकों में व्याप्त समस्याओं से रूबरू हुई। उन्होंने पाया कि जिले के अंदरूनी इलाकों में विकास महज सब्जबाग बनकर रहा गया है। वर्तमान राज्य सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जनता से जो वायदे किए थे, धरातल पर सच कुछ और है। तंज कसते कमलेश ने कहा कि सरकार के घोषणा पत्र जेलों में निरूद्ध निर्दोष आदिवासियों की शीघ्र रिहाई के वायदे पर आज पर्यंत अमल नहीं हो सका है। इसी तरह शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता, रोजगार , पेसा कानून, पांचवी अनुसूची पर अमल करने जैसे वायदे धरे के धरे रह गए है। जनता भी अब खुद को ठगा महसूस कर रही है।
आबकारी एवं जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा के शराब बंदी पर दिए बयान पर कटाक्ष करते कमलेश ने कहा कि सरकार और उसके मंत्री जनता को गुमराह कर रहे हैं। एक तरफ शराबबंदी का वायदा कर सरकार सत्तासीन हुई और अब सरकार और उनके ही आबकारी मंत्री इसे असंभव बता रहे हैं, जिससे सरकार का दोहरा चरित्र जनता के सामने आ चुका है। क्षेत्रगत समस्याओं का जिक्र करते कमलेश का कहना था कि जिले के ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी विकराल रूप लेती जा रही है। औरतें-पुरूष यहां तक की बच्चे भी दो जुन की रोटी के लिए गांव छोड़कर पड़ोसी राज्यों में काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और ना ही क्षेत्रीय विधायक को बढ़ती बेरोजगारी और पलायन की भयावह समस्या की परवाह है। रोजगार गारंटी का प्रावधान होने के बाद भी सत्ताधारी दल के लोग रोजगार मूलक कामों को मशीनों से करवाकर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं, जिससे गरीब और गरीब, अमीर और अमीर होता जा रहा है। वही तेंदूपत्ता खरीदी में भी स्थानीय आदिवासियों की आमदनी पर ठेकेदारी प्रथा हावी है। कमलेश का कहना था कि आने वाले दिनों में उनकी पार्टी तेंदूपत्ता संग्रहण दर में बढ़ोतरी के साथ ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने की मांग भी करेगी। ताकि स्थानीय आदिवासियों को उनका वाजिब हक मिल सके। वही सिलगेर, बेचापाल, बुरजी और अब माड़ इलाके में मूल वासी बचाओं मंच के आंदोलन को दूसरे भुमकाल की संज्ञा देते हुए कमलेश का कहना था कि जब ग्रामीण संवैधानिक अधिकारों के लिए संवैधानिक तरीके से आंदोलनरत् है तो सरकारें चाहे वो राज्य हो या केंद्र ग्रामीणों के बीच पहुंचकर वार्ता को तैयार क्यों नहीं हो रही? अगर वार्ता से बस्तर में व्याप्त समस्याओं का हल निकल सकता है तो इस पर सरकार की चुप्पी से कई सवाल उठते हैं। इस दौरान पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता कोवाराम हेमला, एआईएसएफ के प्रदेश अध्यक्ष संजय झाड़ी, जेम्स कुडियम, राजु तेलम, सुरेंद्र जुमड़े, सोमनाथ तेलम, गुंडा हेमला, हिर्मा तेलम, मुन्ना तेलम, अरविंद तेलम, रिंकु तेलम आदि मौजूद थे।