दंतेवाड़ा : रेंज अफसर की लापरवाही से कट रहे कोरलापाल के जंगल… अधिकारियों की अकर्मण्यता के चलते खत्म हो रही वन संपदा… अवैध चिरान जप्त कर खुद ही थपथपाते रहे अपनी पीठ…
इम्पैक्ट डेस्क.
दंतेवाड़ा. बस्तर में घटते वन और सिमटते जंगल इस बात का प्रमाण है कि यहां तेजी से जंगलो की कटाई हो रही है। विभाग व इसके मातहत जिमेदार वन अधिकारी लाख दावा कर लें कि वनों की अवैध कटाई नहीं हो रही है लेकिन सच्चाई यही है कि जंगलों में बेतरतीब ईमारती वृक्षों की कटाई हो रही है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। वनकर्मी अपने कार्य के प्रति घोर लापरवाह व अकर्मण्य बने हुए हैं। लापरवाह वनकर्मियों के वजह से ही बस्तर का घनघोर वनांचल क्षेत्र आज मरूस्थली में तब्दील होता जा रहा है। जंगलों की बेतरतीब कटाई बस्तर में कोई नई बात नहीं है सालों से वन माफिया वन अधिकारियों की सुस्त एवं लापरवाह कार्यप्रणाली का फायदा उठाते हुए जंगलों को चट कर रहे हैं। बड़े बड़े ईमारती वृक्षों को काटकर उसकी चिरान उंचे दामों पर बाहर ले जाकर बेच लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।
जंगल कटने का एक ताजा मामला गीदम वनमंडल के उप परिक्षेत्र बारसूर के कोरलापाल के जंगलों से सामने आया है। ज्ञात हुआ है कि वन तस्कर जंगलों में घुसकर बेखौफ ईमारती साल सागौन के वृक्षों को गिरा रहे हैं। इसे रोकने, टोकने, देखने वाला कोई नहीं। न जंगलों में बीटगार्ड अपनी जिमेदारी निभाते दिखाई पड़ रहे हैं और ना ही कोई जिमेदार वनकर्मी जंगलों की सुध ले रहा है। ऐसा प्रतित होता है कि-पूरा जंगल तस्करों के लिए छोड़ दिया गया है कि, आओ और लूट ले जाओ। करीब सप्ताह भर पूर्व किसी अज्ञात व्यक्ति की सूचना पर वनकर्मियों ने अवैध चिरान भरी एक पिकअप को पकड़ा था जिसमें करीब 30 नग अवैध साल चिरान को जप्त किया गया था।
अवैध चिरान को जप्त कर रेंज अफसर खुद ही अपनी पीठ थपथपाने में लगे हुए हैं। जबकि हकीकत यह है कि रेंज अफसर की घोर लापरवाही, अकर्मण्यता एवं गैर जिमेदाराना कार्य के चलते ही वन परिक्षेत्र गीदम के बारसूर सर्किल के कोरलापाल के जंगलों में वन तस्कर दिन दहाड़े कुल्हाड़ी चलाकर सैकड़ों ईमारती वृक्षों की बलि चढ़ा रहे हैं। आखिर इन वन तस्करों को वन अधिकारियों का डर व खौफ क्यों नहीं होता? जबकि सीधे तौर पर वनों की सुरक्षा की जिमेदारी रेंज अफसर समेत संबंधित तमाम वन अमले की होती है। बीट गार्ड, वन प्रबंधन समिति, इलाके का डिप्टी रेंजर आखिर क्यों जंगलों को बचाने की ओर ध्यान नही देते। नौकरी पाने के दौरान तो ये सभी लोग वनों को बचाने की शपथ लेते हैं। लेकिन जब वनों की सुरक्षा की बारी आती है तो ये जंगलों को तस्करों के हवाले कर जिम्मेदारी से भाग खड़े होते हैं। वनकर्मी आखिर क्यों अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते हैं।
वनो की पूरी सुरक्षा हो रही है ऐसी झूठी रिपोर्ट बनाकर रेंज अफसर को परोसा जाता है और रेंज अफसर आंखे मूंदकर फ़ाइल में हस्ताक्षर कर अपनी जिम्मेदारी का इतिश्री कर लेते हैं। किसी भी परिक्षेत्र के जंगल में अगर वनों की कटाई होती है तो इसकी पूरी जवाबदेही उस रेंज की रेंज अफसर के कांधों पर होती है। अगर कोरलापाल के जंगलों में तस्कर सक्रिय हैं और लंबे समय से उस इलाके में वनों की कटाई हो रही है तो गीदम रेंज अफसर को इसकी भनक क्यों नही लगी? अवैध चिरान को पकड़ना जरूरी है या फिर वनो को कटने से रोकना ज्यादा जरूरी? अवैध चिरान को पकड़ने से जंगलों की सुरक्षा नही हो जाती जनाब। अगर जंगल बचाना है तो जिम्मेदार वन अधिकारियों को कार्यालय की घुमावदार कुर्सी को छोड़कर, एसी, कूलर व पंखों के कमरों से बाहर निकलकर जंगलों की खाक छाननी होगी। जंगलों की पूर्ण सुरक्षा करनी होगी। अन्यथा बस्तर की वन संपदा एवं जंगलों को ठूंठ में तब्दील होने से कोई नही बचा सकता।