वयस्कता के बाद वजन घटाने की चुनौतियां: जानें 40 साल के बाद क्यों होती हैं समस्याएं
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, स्वस्थ वजन बनाए रखना हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. खाने-पीने और व्यायाम पर ध्यान देने के बाद भी वजन कम करना मुश्किल होता है. अक्सर इसे मेटाबॉलिज्म धीमा होने से जोड़ा जाता है, लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में दिमाग की भूमिका सामने आई है.
नागोया यूनिवर्सिटी (जापान) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि उम्र बढ़ने के साथ दिमाग का एक खास हिस्सा 'हाइपोथैलेमस' (hypothalamus) वजन को प्रभावित करता है. हाइपोथैलेमस भूख और मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करता है. इसमें मेलानोकोर्टिन-4 रिसेप्टर (MC4R) नामक प्रोटीन पाया जाता है, जो शरीर को रूरत से ज्यादा फैट बर्न करने का संकेत देता है.
चूहों पर हुआ अध्ययन
शोधकर्ताओं ने चूहों पर अध्ययन किया और पाया कि उनकी उम्र बढ़ने के साथ MC4R रिसेप्टर न्यूरॉन (नर्व सेल) का आकार बदल गया. इससे रिसेप्टर की संख्या कम हो गई, जिसके चलते वजन बढ़ने लगा. अध्ययन के दौरान यह भी पाया गया कि हाइपोथैलेमस के न्यूरॉन पर मौजूद छोटे बालों जैसे सिलिया (cilia) की लंबाई भी उम्र के साथ कम हो जाती है. ये सिलिया ही MC4R रिसेप्टर का आधार होते हैं. चूहों की उम्र बढ़ने के साथ इन सिलिया की लंबाई काफी कम हो गई.
रिसर्च में क्या हुआ?
शोधकर्ताओं का मानना है कि इंसानों में भी यही प्रक्रिया होती है. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर काजुहिरो नाकामुरा का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि इस खोज से मोटापे के इलाज के लिए नए तरीके खोजे जा सकें. अध्ययन में यह भी पाया गया कि खानपान का सीधा असर सिलिया की लंबाई पर पड़ता है. ज्यादा फैट वाली डाइट लेने वाले चूहों में सिलिया तेजी से छोटी हुईं, जबकि कम खाने वाले चूहों में सिलिया की लंबाई कम ना के बराबर कम हुई. दिलचस्प बात यह है कि जब इन चूहों को दो महीने तक कम खाना खिलाया गया, तो उनकी सिलिया फिर से लंबी हो गईं. इससे पता चलता है कि खानपान में बदलाव दिमाग की मेटाबॉलिज्म और भूख को कंट्रोल करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है.
लेप्टिन रेसिस्टेंस
अध्ययन से लेप्टिन रेसिस्टेंस (leptin resistance) को समझने में भी मदद मिलती है. लेप्टिन एक हार्मोन है जो शरीर की फैट सेल्स द्वारा बनाया जाता है और दिमाग को भूख कम करने का संकेत देता है. लेकिन मोटे लोगों में लेप्टिन रेसिस्टेंस हो जाता है, जिससे भूख बढ़ती है और मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन चूहों के MC4R रिसेप्टर वाली सिलिया छोटी थीं, उनके शरीर पर लेप्टिन का असर नहीं हुआ, भले ही सीधे दिमाग में लेप्टिन डाला गया. इससे पता चलता है कि उम्र के साथ सिलिया छोटी होने से लेप्टिन रेसिस्टेंस हो सकता है.