केंद्र ने वापस लिया तारा कोल ब्लॉक के कॉमर्शियल खनन का निर्णय… छत्तीसगढ़ सरकार ने जताई थी आपत्ति…
इम्पैक्ट डेस्क.
कोयला मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ सरकार की आपत्ति के बाद तारा कोयला ब्लॉक को वाणिज्यिक खनन कार्रवाई प्रक्रिया से वापस ले लिया है। इसका वन क्षेत्र 81% है और यह राज्य के हसदेव अरण्य में भारत का सबसे बेहतरीन जंगल है। केंद्रीय कोयला मंत्रालय की ओर से 28 जुलाई को नीलामी से हटने का नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में का गया था कि कोयला मंत्रालय ने 29 मार्च, 2023 को वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 7वें दौर और 6वें दौर का दूसरा प्रयास शुरू किया था। तारा कोयला खदान को वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 7वें दौर के तहत पेश किया गया था। हालांकि, सक्षम प्राधिकारी ने कोयला खदान को मौजूदा नीलामी प्रक्रिया से वापस लेने का फैसला किया है। तारा कोयला ब्लॉक हसदेव अरण्य वन क्षेत्र (सूरजपुर जिला) में है और कोयला खदान में 15.96 वर्ग किमी का बहुत घना जंगल (वीडीएफ) क्षेत्र मौजूद है।
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरणीय कारणों का हवाला देते हुए छत्तीसगढ़ में कुल 23 कोयला ब्लॉकों में से नौ कोयला ब्लॉकों को वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी से रोकने के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में तारा कोयला ब्लॉक भी शामिल है। तारा छत्तीसगढ़ का एकमात्र कोयला ब्लॉक था जिसे 28 जून 2023 को कोयला मंत्रालय द्वारा जारी सूची के अनुसार बोलीदाता प्राप्त हुए थे।
तारा कोयला ब्लॉक के बोली लगाने वाले गुजरात खनिज विकास निगम, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और रायगढ़ नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड शामिल थे। राज्य सरकार ने यह भी हवाला दिया था कि छत्तीसगढ़ वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने केंद्र सरकार से नौ कोयला ब्लॉक वापस लेने के लिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान का हवाला दिया है।
ये हैं 9 कोयला ब्लॉक
इन नौ कोयला ब्लॉक में तारा (सूरजपुर जिला), करकोमा (कोरबा), कोइलर (रायगढ़), तेंदुमुड़ी (रायगढ़), जिल्गा बरपाली (कोरबा), बरपाली कलमी टिकरा (कोरबा), बटाटी कोलगा नॉर्थ ईस्ट (कोरबा), बटाटी कोलगा ईस्ट (कोरबा) और फतेहपुर दक्षिण (रायगढ़) शामिल हैं।