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कार्टून सिर्फ कला ही नहीं, विचार भी है: त्रयंबक शर्मा

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मैट्स यूनिवर्सिटी के हिन्दी विभाग में कार्टून के सकारात्मक 

उपयोग पर विशेष व्याख्यान सम्पन्न

रायपुर। कार्टून सिर्फ कला ही नहीं अपितु एक विचार भी है जो लोगों के मनो-मस्तिष्क को गहराई के साथ  प्रभावित करता  है। जो बात एक हजार शब्दों में कही जाती  है वह कार्टून के माध्यम से चंद शब्दों में अभिव्यक्त  हो जाती है।

कार्टून के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर कटाक्ष भी किया जाता  है। वर्तमान समय में कार्टून के लिए भले ही समाचार पत्रों में जगह का अभाव  हो किन्तु इस क्षेत्र  में आज भी अपार संभावनाएं हैं।

यह बातें छत्तीसगढ़ व देश के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट एवं देश  की प्रसिद्ध कार्टून पत्रिका कार्टून वाच के संपादक श्री त्रयंबक शर्मा ने विशेष  व्याख्यान में कहीं। मैट्स यूनिवर्सिटी  के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने बताया कि हिन्दी विभाग द्वारा कार्टून के सकारात्मक उपयोग पर विशेष व्याख्यान  का आयोजन किया गया जिसके मुख्य वक्ता प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट त्रयंबक शर्मा थे। श्री शर्मा ने विद्यार्थियों को कार्टून के सकारात्मक उपयोग, कार्टून का इतिहास,  देश के प्रसिद्ध कार्टूनिस्टों के संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान की।

उन्होंने ऑनलाइन बनाई गई कार्टून म्यूजियम से भी विद्यार्थियों को अवगत कराया। श्री शर्मा ने कहा कि कार्टून अभिव्यक्ति की ऐसी सशक्त विधा है जिसके माध्यम से एक कार्टूनिस्ट समाज  की गंभीर से गंभीर समस्याओं को भी अपनी रचनात्मकता के जरिए हास्य की गुंजाइश पैदा कर ही देता है।

श्री शर्मा ने कार्टून के माध्मय से  कबीर, तुलसी के दोहों और गीता का सार भी प्रस्तुत किया जिसकी विद्यार्थियों व प्राध्यापकों ने काफी सराहना की। इसके पूर्व हिन्दी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ, कमलेश गोगिया ने कार्टूनिस्ट श्री त्रयंबक शर्मा की उपलब्धियों एवं उनकी कार्टून-कला की यात्रा से अवगत  कराया। हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा अंसारी ने त्रयंबक शर्मा का पुस्तक एवं शाल भेंटकर स्वागत  किया।

इस अवसर पर हिन्दी विभाग के प्राध्यापकगण डॉ. रमणी चंद्राकर, डॉ, सुनीता  तिवारी, डॉ. सुपर्णा श्रीवास्तव, डॉ. कमलेश गोगिया, प्रियंका गोस्वामी सहित सभी पाठ्यक्रमों के विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे।  इस विशेष व्याख्यान  के आयोजन  पर मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, कुलपति प्रो. के.पी. यादव, उपकुलपति डॉ. दीपिका ढांड, कुलसचिव श्री गोकुलनंदा पंडा ने हर्ष व्यक्त कर इसे सराहनीय प्रयास बताया।