केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख की एकमात्र लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ताशी ग्यालसन ने अपना नामांकन दाखिल किया
लेह
केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख की एकमात्र लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी ताशी ग्यालसन ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल किया। इस दौरान लद्दाख भाजपा के अंदर जारी अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई। दरअसल पार्टी ने लद्दाख के मौजूदा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल का टिकट काटकर ताशी ग्यालसन को अपना प्रत्याशी बनाया है। पार्टी के इस फैसले से नामग्याल विद्रोह पर उतर आए। वे ताशी ग्यालसन के नामांकन के दौरान मौजूद नहीं थे।
यही नहीं, एक दिन पहले जामयांग नामग्याल ने भी लेह जिला आयुक्त संतोष सुखादेव से नामांकन पत्र का एक सेट लिया था। संतोष सुखादेव लद्दाख संसदीय क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी हैं। रिटर्निंग ऑफिसर सुखदेव ने कहा, "बीजेपी के निवर्तमान सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने मंगलवार को चुनाव कार्यालय से नामांकन पत्रों का एक सेट प्राप्त किया था।"
जामयांग नामग्याल का यह कदम भाजपा आलाकमान के खिलाफ विद्रोह को दर्शाता है। एकमात्र लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 3 मई है, जहां 20 मई को मतदान होगा। लद्दाख के लोगों की छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की मांग के बीच भाजपा ने इस बार एलएएचडीसी सीईसी ताशी ग्यालसन को अपना उम्मीदवार चुना है। ग्यालसन मौजूदा समय में लेह स्थित लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के अध्यक्ष-सह-प्रमुख कार्यकारी पार्षद हैं।
वहीं नामांकन दाखिल करने के बाद, ताशी ग्यालसन ने कहा, “आज, मैंने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। मेरे साथ उत्साही कार्यकर्ता और लद्दाख के हर कोने से लोग शामिल हुए। मेरे नामांकन पत्र के साथ, हमने चुनावी बिगुल बजा दिया है।” मौजूदा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल के बारे में पूछे जाने पर ग्यालसन ने कहा, ''उनके साथ बातचीत चल रही है। वह हमारे नेता हैं और हमें विश्वास है कि वह हमारा समर्थन करेंगे।” ताशी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नामग्याल पार्टी आलाकमान के फैसले से सहमत होंगे और निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ेंगे।
ताशी ग्यालसन ने कहा, “एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में उन्हें क्या मिलेगा? मूल्य और सम्मान तभी है जब आप पार्टी के साथ हैं। एक व्यक्ति क्या कर सकता है? मुझे उम्मीद है कि वह पार्टी का समर्थन करेंगे।'' उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे और उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, लेकिन फैसला उन पर निर्भर है।" सीईसी ने बताया कि नामांकन पत्र दाखिल करने में जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेता भी उनके साथ शामिल हुए थे। नामग्याल के खुले विद्रोह के बाद, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, तरुण चुग और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन उनके प्रयासों का अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला है।
भाजपा ने पहली बार 2014 में लद्दाख संसदीय सीट जीती थी और पार्टी के उम्मीदवार थुपस्तान छेवांग विजयी हुए थे। 2019 में, जामयांग त्सेरिंग नामगयाल ने भाजपा के लिए सीट बरकरार रखी। नामगयाल भी उस समय लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC) लेह के अध्यक्ष-सह-सीईसी थे। लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस मुख्य रूप से छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा और लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले भाजपा द्वारा लद्दाख लोकसभा सीट से उम्मीदवार की घोषणा किए जाने के बाद नामग्याल ने कहा था कि पूरे केंद्र शासित प्रदेश से उनके समर्थक इस फैसले पर असहमति व्यक्त कर रहे हैं। नामग्याल 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के नरेन्द्र मोदी सरकार के फैसले का बचाव करने के लिए लोकसभा में दिए भाषण के वायरल होने के बाद सुर्खियों में आए थे। नामग्याल को हटाने का भाजपा का फैसला लेह में बौद्धों के एक वर्ग के बीच सत्तारूढ़ दल के प्रति नाराजगी के बीच आया है।