बीजापुर के ‘अजय’ अब पराजित योद्धा! 15 बरस बाद सत्ता वापसी के बाद कांग्रेस से बाहर… चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए अब वहां से भी बाहर कर दिए गए…!
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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।
राजनीति में ‘नकारात्मकता’ का मतलब आपका ‘अस्तित्व’ ही खतरे में पड़ सकता है… यदि इस कथन को सही तरह से समझना हो तो छत्तीसगढ़ के दक्षिण—पश्चिम जिला बीजापुर के एक युवा नेता अजय सिंह को करीब से देखना पड़ सकता है।
हमेशा विवादों के साथ चोली—दामन का साथ लेकर चलने वाले अजय सिंह 2013 में झीरम माओवादी हमले में जीवित बचने वाले वे कांग्रेसी नेता हैं जो हमेशा माओवादियों के निशाने पर रहे। सलवा जुड़ूम के दौर में अपने नेता महेंद्र कर्मा के साथ जुड़कर इस अभियान का सक्रिय नेतृत्व करने वाले अजय सिंह इस समय एक बार फिर जेल में हैं।
हाल ही में बीजापुर जिले में एक क्रशर प्लांट को लेकर उपजे विवाद के बाद उनके खिलाफ एट्रोसिटी का मामला थाने में दर्ज किया गया था। अजय सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आदिवासियों के एक प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल वे जेल में हैं।
इस मामले को लेकर बीजापुर जिला भाजपा ने एक प्रस्ताव पारित कर अजय सिंह को पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव प्रदेश संगठन को भेजा था जिसके आधार पर प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने निष्कासन के निर्देश दिए मंगलवार की देर शाम भाजपा ने उन्हें पार्टी से बाहर का आदेश जारी कर दिया।
कलेक्टर अनुराग पांडे के साथ बातचीत का आडियो
अजय सिंह बीते दिनों तब चर्चा में आए जब बीजापुर कलेक्टर अनुराग पांडेय से बहस का ऑडियो कांग्रेस के आईटी सेल की ओर से वायरल किया गया था। इस आडियो में अजय सिंह बीजापुर कलेक्टर को चार दिन के भीतर हटाने की धमकी दे रहे थे। बातचीत के दौरान कलेक्टर अनुराग पांडे ने पार्टी में उनकी हैसियत का सवाल भी उठाया था। खैर इस आडियो के बाद कलेक्टर के दो और आडियो बाजार में खलबली मचाने लगे। इसके बाद राज्य शासन की ओर से किए गए प्रशासनिक फेरबदल में अनुराग पांडे को हटाने का आदेश जारी कर दिया गया।
कांग्रेस में अजय
कभी विक्रम मंडावी के बेहद करीबी अजय सिंह कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद विक्रम के खिलाफ इस तरह खड़े हो गए कि सीएम भूपेश हो या डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव वे भी अजय को पार्टी में बनाए नहीं रख सके। पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज के भी बेहद करीबी होने के बाद भी अजय का मामला सुलझ नहीं सका। अंतत: पार्टी से बाहर कर दिया गया। इसके बाद अजय ने महेश के साथ जमकर पार्टी के लिए काम किया। विक्रम मंडावी के खिलाफ जमीन पर इस तरह से खड़े रहे कि बीजापुर के सीमावर्ती पांच जिलों में उनके रहने पर पाबंदी डीएम की ओर से लगा दी गई।
भाजपा में अजय
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता और संगठन के बीच कुछ तो ऐसा है जो साफ—साफ दिखाई नहीं दे रहा है। अजय सिंह के मामले में यह देखने को मिला है। दक्षिण—पश्चिम बीजापुर जिला के सबसे कद्दावर भाजपा नेता पूर्व मंत्री महेश गागड़ा हैं। अजय सिंह को भाजपा में चुनाव से पहले वे ही शामिल करवाने में कामयाब रहे। लंबे संघर्ष के बाद जब भाजपा की सत्ता आई तो उम्मीद जागी कि अब सब कुछ सुधर जाएगा। पर अपने नकारात्मक राजनीति के लिए विख्यात अजय सिंह सीधे जिला प्रशासन से भिड़ने लगे। जिसका नतीजा वह आडियो था जो बाहर आ गया।
बीजेपी की ओर से जारी निष्कासन कार्यवाही
अजय सिंह को जारी पत्र में लिखा गया है “आपके विरुद्ध आरोप है कि, भैरमगढ़ में आदिवासी युवक के साथ अभद्र व्यवहार के प्रकरण पुलिस द्वारा क़ानूनी कार्यवाही किया गया है। जिससे भाजपा की छवि धूमिल हुई है। यह पार्टी अनुशासनहीनता के श्रेणी में आता है। फलस्वरूप भारतीय जनता पार्टी की जिला इकाई ने आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की है। अतः भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव के निर्देशानुसार आपको पार्टी की सदस्यता से निष्कासित किया गया है। यह निष्कासन तत्काल प्रभाव से लागू होगा।” इसके बाद छत्तीसगढ़ भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक कार्ड पोस्ट किया है। जिसमें एक स्लोगन लिखा है ‘आदिवासी भाईयों से अभद्रता बर्दाश्त नहीं। पार्टी अध्यक्ष जी ने बीजापुर के अजय सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखया…’
कई ऐसे सवाल हैं जिन्हें लेकर बात चल रही है
भाजपा सरकार ने बीजापुर कलेक्टर का तबादला तो कर दिया पर उन्हें अब तक भारमुक्त नहीं किया गया है? क्या भाजपा ने कलेक्टर अनुराग पांडे भाजपाई सियासती रिश्ते को भांपे बगैर कलेक्टर को बीजापुर से हटाया था? क्या महेश गागड़ा को मजबूर होकर अपने साथी का साथ छोड़ना पड़ा या उन्होंने पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया है? जिला भाजपा ने यदि अजय सिंह के निष्कासन का प्रस्ताव प्रदेश संगठन को भेजा तो क्या इसमें महेश गागड़ा की सहमति थी? महेश गागड़ा के दबाव से कलेक्टर अनुराग पांडे का तबादला करने की खबरें हैं? क्या महेश कलेक्टर को भारमुक्त करा पाने की स्थिति में नहीं हैं? क्या बीजापुर इलाके में महेश गागड़ा के राजनीतिक भविष्य को लेकर बस्तर भाजपा की कोई अंदरूनी पालिटिक्स चल रही है? क्या बीजापुर भाजपा की राजनीति में विक्रम के इशारे पर दांव खेला जा रहा है?